- चौक-चौराहों और रोड किनारे बगैर लाइसेंस खुलेआम बिक रही ताड़ी
- अधिक नशा के लिए कारोबारी ताड़ी में मिला रहे मेंडेक्स और कम्पोज की गोलियां
- पुलिस को है मालूम, लेकिन नहीं कर रही कार्रवाई
URUVA BAZAR: जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में इस समय नशे का कारोबार खूब फल-फूल रहा है। चौक-चौराहों से लेकर रोड किनारे तक खुलेआम बगैर लाइसेंस ताड़ी की दुकानें सज रही हैं और उन पर पियक्कड़ों का जमावड़ा लग रहा है। ताड़ी को और नशीली बनाने के लिए उसमें कम्पोज और मेडेक्स की गोलियां डाली जा रही है। यह पीने वालों को नशे का आदी तो बनाएगा ही, स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। अधिक मात्रा में सेवन से जान तक जा सकती है। बावजूद, पुलिस को कुछ दिखाई नहीं दे रहा। पूछने पर थानेदार कहते हैं कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
इन जगहों पर चल रही दुकानें
उरुवा क्षेत्र में उरुवा-माल्हनपार रोड पर चचाई राम गांव, नायक परसा, दुघरा, भरवलिया गांव के मोड़ पर और उरुवा-नकौझा मोड़ के पास रोज ताड़ी की दुकान लग रही है। इसके अलावा लगभग सभी रोड पर कुछ-कुछ किलोमीटर पर गैलन वगैरह में ताड़ी लेकर महिला, पुरुष, बच्चे बैठे मिल जा रहे हैं।
कार्रवाई का नया अंदाज
लोगों का आरोप है कि पुलिस इन दुकानों पर कार्रवाई की जगह वसूली के लिए पहुंच रही है। बिट सिपाही, हल्का दरोगा से लेकर थानेदार तक के संज्ञान में जगह-जगह दुकानें लग रही हैं लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो रही तो इसलिए कि दुकान लगाने वाले 'तय फीस' दे रहे हैं।
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ले-देकर हो जाता है काम, लाइसेंस के पचड़े में कौन पड़ने जाए
SONBARSA:
चौरी चौरा थाना क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर ताड़ी की दुकानें बगैर लाइसेंस संचालित हो रही हैं। इस पर पुलिस की चुप्पी उसे भी सवालों के घेरे में ला रही है। वहीं कारोबारियों की मानें तो कुछ दिनों के कारोबार के लिए लाइसेंस के पचड़े में कौन पड़ने जाए। कुछ ले-देकर वे काम हो जाए वही सच्से अच्छा है।
यहां देख सकते दुकानें
क्षेत्र के फुटहवा इनार, सोनबरसा, मिर्जवा धूस, भटगावां, बेलवाबाबू, पंसरही, डुमरी आदि जगहों पर दुकानें देखी जा सकती हैं। कहीं एक गैलन से ही दुकान सज गई है तो कहीं झोपड़ी डालकर कारोबारी बैठे हैं, कहीं पेड़ के नीचे ही मजमा लगा रहता है।
सुबह से देर शाम तक दुकानें चल रही हैं लेकिन पुलिस रास्तों से चुपचाप गुजर जाती है।
मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
- अमरजीत यादव, एसओ, उरुवा
क्षेत्र में विभिन्न जगहों पर जल्द ही छापेमारी कर कार्रवाई की जाएगी।
वीरेन्द्र प्रताप सिंह, आबकारी निरीक्षक,
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वो जो सबको दिखता है, पुलिस क्यों नहीं देख पाती?
जिले की प्रमुख सड़कों, ग्रामीण चौक-चौराहों पर ताड़ी आसानी से उपलब्ध है। कहीं चाय दुकान में, कहीं पेड़ के नीचे, कहीं गुमटी में तो कहीं झोपड़ी में। अपनी सुविधा के अनुसार जहां जी चाहे, कारोबारी जहां चाहें वहीं दुकान सजा लें। पुलिस ऐसी कि उसे कुछ नजर ही नहीं आती। लोग समझना चाहते हैं कि आखिर जो सबको दिखता है, वह पुलिस को क्यों नहीं नजर आता? शिकायत करने पर पुलिस हो या आबकारी विभाग, सभी अधिकारियों का कहना होता है कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी। किस बात की जांच? रोड किनारे की वे दुकानें देखने के लिए पुलिस क्या तरीका आजमाएगी? क्या उसे खुली आंखों वह नहीं देख सकती? आम लोगों में पुलिस के ऐसे बयानों पर खूब चर्चा है। लोगों का कहना है कि पुलिस कारोबारियों से वसूली कर अपनी आंखें बंद कर लेती है। जिससे उसे बस उतना ही दिखता है, जितना वह देखना चाहती है।