- झोपड़ी में रह रहे लोग परेशान, लगातार हो रही अगलगी की घटनाएं
- आग पर काबू पाने के लिए प्रशासन के पास कारगर इंतजाम नहीं
BRAHMPUR:
गर्मी का मौसम दस्तक देने लगा है और इसी के साथ पछुआ हवाओं ने ग्रामीणों की परेशानी बढ़ा दी है। पछुआ हवाओं से अगलगी की घटनाएं बढ़ गई हैं। वहीं वर्षो बाद भी क्षेत्र में इन घटनाओं पर काबू पाने के लिए प्रशासन के पास कोई व्यवस्था नहीं है। आग के बाद जब तक अग्निशमन की गाड़ी पहुंचती है तब तक सबकुछ जल चुका होता है।
उड़ा ले जाती है चिंगारी
गांवों में फूस के घरों में मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी से खाना बनता है। शाम में पछुआ हवाएं तेज हो जाती हैं। इससे चूल्हे से निकली कोई चिंगारी उड़कर फूस से लग जाती है और आग लग जाती है। तेज हवा के कारण आग पर पानी का भी कोई खास असर नहीं होता। ग्रामीण एक घर को बुझाते हैं तब तक उसकी चिंगारी उड़कर दूसरे घरों को अपनी चपेट में ले लेती है। कई बार तो कई किमी। दूर तक चिंगारी उड़कर दूसरे गांव को भी आग की चपेट में ले लेती है। हर वर्ष इस समय ग्रामीण पछुआ हवाओं के समय डरे सहमे रहते हैं।
खेतों में खड़ी है फसल
इस समय खेतों में फसल खड़ी है। किसानों की सारी लागत खेतों में है। ऐसे में फसलों को लेकर भी उनकी चिंता बनी हुई है। यदि कोई चिंगारी उड़कर खेत में पड़ जाए तो सैकड़ों एकड़ में लगी फसल स्वाहा होते देर नहीं लगती। खेतों में झूलते बिजली के तारों को लेकर भी ग्रामीण आशंकित हैं। शिकारगढ़ गांव वासी वीरेन्द्र, पांडेय पुनाहा के राजेन्द्र, बकसुड़ी निवासी प्रहलाद गुप्ता, कैथवलिया के सुनील यादव, गजाइलकोल के राजा मिश्रा, दीनानाथ यादव, रामप्रीत यादव, डॉ। इन्दल पासवान, उदयभान आदि लोगों ने मांग की है कि अगलगी की घटनाओं से निपटने के लिए प्रशासन व्यवस्था करे। साथ ही बिजली के लूज तारों को दुरुस्त कराया जाए।
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बारिश से भी फसलों का होगा नुकसान
PEPPEGANJ: पछुआ हवाओं से ग्रामीण परेशान हैं तो आसमान में छाए बादल भी डरा रहे हैं। रविवार की रात आसमान में बादल छाए देख किसानों में फसलों को लेकर चिंता बढ़ गई। हल्की बूंदाबांदी से तो कोई नुकसान नहीं हुआ लेकिन यदि ठीक से बारिश होती है तो फसलों को क्षति होगी।
बेमौसम बारिश से दिक्कत
पीपीगंज क्षेत्र के किसान सेनगुप्त सिंह, केशव चौधरी, उमा शंकर पांडेय, बालमुकुंद सिंह आदि किसानों का कहना है कि पछुआ हवा से गेहूं के दाने कमजोर हो गए हैं। आंधी पानी आने पर गेहूं की फसल खेत में ही ढह जाएगी। इससे उसके सारे दाने भी खेत में ही रह जाएंगे। अभी फसल ठीक से पकी भी नहीं है। दलहन, तेलहन फसलों को भी नुकसान पहुंचेगा।