गोरखपुर (ब्यूरो)।वेदर एक्सपर्ट के अनुसार उत्तराखंड में हो रही बर्फबारी और पछुआ हवाओं के चलते यहां गलन बढ़ रही है। गुरुवार को मैक्सिसम टेम्प्रेचर 17.5 डिग्री सेल्सियस व मिनिमम टेम्प्रेचर 6.9 डिग्री रहा। आने वाले दिनों में तापमान के और नीचे आने व बारिश के आसार हैं। इधर, घर, सड़क से लेकर बाजार में लोग अलाव तापते नजर आए। शाम होते ही लोग घरों में दुबक गए।
गुरुवार को भी रहा कोल्ड-डे
वेदर डिपार्टमेंट के मानक पर गुरुवार का दिन भी कोल्ड-डे के मानक पर खरा उतरा। मानक के अनुसार जब किसी दिन का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से कम रहता है और अधिकतम तापमान में औसत तापमान के मुकाबले 4.5 डिग्री की गिरावट दर्ज की जाती है तो उसे कोल्ड-डे करार दिया जाता है। बुधवार को न्यूनतम तापमान 9 डिग्री सेल्सियस रहा था।
ठंड से बचने की जरूरत
डॉक्टरों के अनुसार ठंड से बचाव जरूरी है। सभी लोग गर्म व ऊनी कपड़े पहनें। गर्म व ताजा भोजन के साथ सावधानी बरतने की जरूरत है। शरीर का कोई भी अंग खुला न रखें। सिर, सीना, कान को ढंक कर रखें। 45 वर्ष से अधिक आयु के लोग को यदि रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) की बीमारी हो या न हो सप्ताह में एक बार जांच अवश्य कराएं। समस्या होने पर तत्काल निकट के स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सक से संपर्क करें।
रैन बसेरा पहुंचे नगर आयुक्त, देखे इंतजाम
बढ़ती ठंड में रैन बसेरों में इंतजाम की व्यवस्थाओं का गुरुवार को नगर आयुक्त अविनाश सिंह ने जायजा लिया। नगर आयुक्त ने मिली कमियों को तत्काल दुरुस्त करने का निर्देश दिया। उन्होंने चेताया कि ठंड में ठहरने वाले लोगों की व्यवस्था में कोई कोताही नहीं होनी चाहिए। अगर इसमें लापरवाही मिली तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
अलाव के इंतजाम साबित हो रहे नाकाफी
नगर निगम की ओर से 40 जगह अलाव के इंतजाम किए गए हैं। हालांकि यह इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। अभी भी कई ऐसी जगहें हैं, जहां अलाव की जरूरत है, लेकिन नगर निगम वहां अलाव नहीं जलवा सका है। इसमें रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन भी शामिल है। इसकी वजह से बढ़ती ठंड में यात्रियों और राहगीरों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गरीबों व मजदूरों का बुरा हाल
ठंड से आमजनों की समस्या बढऩे लगी है। सबसे बुरा हाल बेसहारा, गरीबों व मजदूरों का है, जिनका फुटपाथ ही रोजी-रोटी का साधन व आवास है। उनके पास सिर छिपाने के लिए न तो घर है और न ही ठंड से बचने के लिए गरम कपड़े। रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और चौराहों पर दिहाड़ी मजदूरों को परेशान होना पड़ रहा है। इसके साथ ठेला-खोमचा व पटरी पर दुकान लगाने वालों का बुरा हाल है।