- आंध्र प्रदेश की कंपनी ने किया सर्वे
- पानी संग्रह की क्षमता में होगी वृद्धि
GORAKHPUR: फर्टिलाइजर चलाने के लिए केंद्र सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। इसलिए तो फर्टिलाइजर चलाने के लिए पानी की जरुरत हुई तो सरकार ने चिलुआताल को चिन्हित कर लिया गया है। यहां से फर्टिलाइजर को पानी देने की तैयारी की जा रही है। इस पानी के बदले में केंद्र सरकार चिलुआताल के सौंदर्यीकरण का कार्य करने के साथ ही लोगों के घूमने के लिए नौकायन, आइलैंड सहित कई अन्य सुविधाएं भी विकसित करने की तैयारी में है।
1700 लीटर पानी लिया जाएगा
फर्टिलाइजर के एक पूर्व कर्मचारी केपी सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले सरकार की ओर से एनटीपीसी और कोल इंडिया के कुछ कर्मचारी आए थे। उन्होंने फैक्ट्री चलाने को लेकर पानी की उपलब्धता के बारे में पूछा, जिस पर लोगों ने चिलुआताल का विकल्प बताया था। इस पर उन लोगों ने चिलुआताल के सौंदर्यीकरण और पानी के संग्रह करने की बात कही थी। वहीं सांसद योगी आदित्यनाथ भी संसद में चिलुआताल के सौंदर्यीकरण की बात को उठा चुके हैं। कर्मचारियों के जाने के कुछ दिन बाद ही आंध्र प्रदेश की प्राइवेट फर्म के लोगों ने आकर दो दिन तक चिलुआताल का निरीक्षण कर सौंदर्यीकरण के लिए प्रस्ताव तैयार किया। केपी सिंह ने बताया कि एनटीपीसी को फैक्ट्री चलाने के लिए डेली 1700 लीटर पानी की जरुरत है। यह पानी केवल फैक्ट्री में यूज होगा, आवासीय एरिया में नहीं।
मिलेगा नौकायन का तोहफा
चिलुआताल के पानी से फर्टिलाइजर की पानी की जरुरत तो पूरी होगी ही। यहां की रौनक भी लौटाने की तैयारी चल रही है। इसके तहत चिलुआताल में 20 नाव चलाने के साथ ही इसके किनारे बांध भी बनाया जाएगा। इस पर लोगों को टहलने के लिए रास्ता मिलेगा। इसके अलावा रोहिन नदी के बीच बने वावन्त माता मंदिर तक पूरे साल लोग दर्शन के लिए जा सकेंगे। क्योंकि बारिश के समय जब ताल और नदी में पानी बढ़ता है तो मंदिर का रास्ता बंद हो जाता है। यहां हाइवे से मंदिर तक पैदल जाने के लिए चार फीट चौड़ा पुल बनाया जाएगा, जिससे बाढ़ के समय भी लोग दर्शन करने जा सकेंगे।
चिलुआताल का इतिहास
चिलुआताल लगभग तीन वर्ग किमी में फैला हुआ है। यह मुख्यत: एक बड़ा नाला हुआ करता था, जिसका नाम चिलुआ नदी था। यह नाला महराजगंज जिले के पास से निकलता था और वहां से निचली भूमि में बहते हुए महेसरा के पास रोहिन नदी में मिल जाता था। महेसरा के पास एक बहुत बड़ा निचली भूमि का हिस्सा था, जहां चिलुआ का पानी जमा होता था। रोहिन नदी डोमिनगढ़ में राप्ती नदी में मिलती थी। जब बारिश के समय राप्ती में बाढ़ आती तो रोहिन का भी पानी रुकने लगता था। इससे चिलुआ का पानी यहां जमा हो जाता था, जिस कारण यह ताल बन गया। धीरे-धीरे यह नाला समाप्त हो गया, लेकिन रोहिन नदी ताल में पूरे साल पानी का स्रोत बनी रही।
वर्जन
केंद्र सरकार के कुछ लोग आए थे। उन्होंने चिलुआताल का निरीक्षण कर फैक्ट्री स्थल तक पानी आने का रास्ता देखा। साथ ही नौकायन के लिए भी जगह देखी है। वे अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को देने की बात कह रहे थे।
- चंद्रा प्रताप, इंचार्ज फर्टिलाइजर