गोरखपुर (ब्यूरो)। एनई रेलवे के औडि़हार, गोमतीनगर, वाराणसी और छपरा स्टेशन पर ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट लगने के बाद अब गोरखपुर में यह प्लांट लगाया जाएगा। बता दें, हाल ही में छपरा कोचिंग डिपो में ऑटोमैटिक कोच वॉशिंग प्लांट की कमिशनिंग का शुभारंभ 20 अगस्त को किया गया था। इस प्लांट की वाशिंग की क्षमता 70 से 80 कोच प्रति घंटा एवं 300-500 कोचेज प्रतिदिन है। इस प्लांट की ओर से पूरे रेक (24 कोच) की धुलाई 7 से 8 मिनट में की जा सकती है। यह एक कोच की धुलाई में केवल 300 लीटर पानी का उपयोग करता है जबकि पारंपरिक धुलाई की व्यवस्था से लगभग 1500 लीटर प्रति कोच पानी की खपत होती है। इससे प्रति कोच लगभग 1200 लीटर पानी की बचत होती है।
वेस्ट वॉटर का होगा रिसाइकिल
एनई रेलवे सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि प्लांट से धुलाई के लिए उपयोग किया जाने वाला केमिकल पर्यावरण के अनुकूल है। यह सुविधा वेस्ट मैनेजमेंट ट्रीटमेंट प्लांट और वॉटर रिसाइकलिंग प्लांट हैैं। जो पानी का रिसाइकल और फिर से इस्तेमाल करने में मदद करता है। यह केवल 20 प्रतिशत ही फ्रेश वॉटर का इस्तेमाल करता है। बाकी के शेष 80 प्रतिशत गंदे पानी को रिसाइकिल करके यूजफुल बनाता है। कम पानी के इस्तेमाल और रिसाइकिलिंग के साथ एक एसीडब्ल्यूपी कोच धोने के ट्रेडिशनल तरीकों की तुलना में 96 प्रतिशत कम पानी की खपत करता है। इस प्रकार यह अत्यधिक दोहन को कम करने में भी मदद करता है।
मैनपॉवर हो जाएगा कम
यह कोचेज के पूरे बाहरी हिस्से को साफ करने के लिए ऊध्र्वाधर और क्षैतिज घूमने वाले नायलॉन और कपास संयोजन ब्रश के साथ-साथ उच्च दबाव वाले साबुन के घोल और पानी के जेट का इस्तेमाल करता है। हाई पैरामीटर की सफाई और पानी की बचत सुनिश्चित करने के अलावा एसीडब्ल्यूपी ने समय और मैनपॉवर भी कम दिया है। एसीडब्ल्यूपी के समावेशन के साथ कोचिंग डिपो छपरा नवाचार और मॉर्डनाइजेशन के लिए नए पैरामीटर स्थापित कर रहा है।
फैक्ट्स अबाउट ऑटोमैटिक कोच वाशिंग प्लांट्स
- नॉर्मल वॉटर कंजप्शन विदआउट एसीडब्ल्यूपी - 1500 लीटर प्रति कोच
- वॉटर कंजप्शन फॉर क्लीनिंग विथ
एसीडब्ल्यूपी - 300 लीटर प्रति कोच
- रिसाइकल्ड वॉटर यूज - 80 प्रतिशत (240 लीटर्स)
- फ्रेश वॉटर एडिशनल रिक्वॉयर्ड - 20 प्रतिशत (60 लीटर्स)
- न्यू वॉटर रिक्वॉयरमेंट पर कोच - 60 लीटर्स
- नेट सेविंग इन वॉटर कंजप्शन विथ एसीडब्ल्यूपी - 96 प्रतिशत रिडक्शन इन वॉटर कंजप्शन