- वार्ड नं 63 और वार्ड नं 35 का स्कैन
- यहां हर मौसम में गलियों में लगा रहा है घुटने भर पानी
- दोनों वार्ड की जनता को खोजने पर नहीं मिलते हैं पार्षद
GORAKHPUR: शहर की कॉलोनियां कूड़ेदान बनी हुई है। सड़कें तालाबों में तब्दील हो चुकी हैं। वहीं जिम्मेदार गंदगी को कागजों में साफ कर मलाई काट रहे हैं। इन राहों से गुजरना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। हम बात कर रहे हैं वार्ड नंबर 63 और 35 की, जहां के बाशिंदों को कूड़े के ढेर और ओवरफ्लो नालियों के बीच से होकर गुजरना पड़ रहा है। वहीं यहां के रास्ते लगातार पैर पसार रहे डेंगू को भी दावत दे रहे हैं। जब आई नेक्स्ट टीम इन वार्ड्स में पहुंची तो यह मालूम हुआ कि यहां दो-दो पार्षद हैं, इसके बाद भी वार्ड की हालत बद से बदतर है।
वार्ड नं - 35 सूर्यकुंडधाम नगर
पार्षद- मनोनीत पार्षद हाजी शकील और निर्वाचित पार्षद जुबेर अहमद
वार्ड एरिया- लगभग चार वर्ग किमी
जनसंख्या- लगभग 22 हजार
मोहल्ले - 10
तैनात सफाई कर्मचारी- 27 सरकारी
सफाई कर्मचारियों पर खर्च वेतन- 5.67 लाख रुपए पर मंथ
शहर के आखिरी छोर पर बसा सुर्यकुंडधाम नगर कॉलोनी की हालत लावारिसों की सी है। एक तरफ जहां अफसरों की नजर यहां नहीं पड़ पा रही है, वहीं जनप्रतिधियों ने भी मुंह फेर रखा है। नतीजा, एक साल से एरिया के कई मोहल्लों में नालियों की सफाई तक नहीं हुई। यही वजह है कि पिछले साल एक वीक के अंदर एरिया से 20 लोग डायरिया की चपेट में आ गए। शिकायत करने पर पानी निकासी का रोना रोया जाता है। कुछ दिन पहले इस वार्ड में नाला भी बनाया गया, लेकिन घटिया निर्माण की वजह से चंद दिनों में ही इसकी हालत खराब हो गई।
सबसे अधिक प्रॉब्लम इन दिनों हो रही है। घर में यूज होने वाला पानी तक सड़कों पर लगा रहता है। अब बारिश ने मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सफाईकर्मी की कौन कहे, यहां न तो पार्षद ही सुनते है और न ही अफसर।
सुभाष, रेजीडेंट
जब भी कभी पार्षद या नगर निगम के अफसरों के पास शिकायत के लिए जाते हैं, तो वहां से केवल आश्वासन ही मिलता है। बारिश हो या सामान्य मौसम में यह गलियां पानी से लबालब भरी होती है। सबसे अधिक प्रॉब्लम बच्चों को होती है।
समन शुक्ला, रेजीडेंट
हमारा वार्ड बड़ा है, जिसके कारण सफाईकर्मचारी कम पड़ जाते हैं। कई बार मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी को सफाई के लिए वार्ड के निरीक्षण के लिए बुलाया है, लेकिन उनको सफाई व्यवस्था से कुछ लेना देना नहीं है। जिसके कारण कर्मचारी भी हमारी बात को नहीं सुनते हैं।
जुबेर अहमद, पार्षद
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वार्ड नं। - 63 दीवान बाजार
पार्षद- मनोनीत पार्षद ------ और निर्वाचित पार्षद शाबिया खातून
वार्ड एरिया- ढाई वर्ग किमी
जनसंख्या- 23 हजार
मोहल्ले - 12
तैनात सफाई कर्मचारी- 23 सरकारी, 6 आउट सोर्सिग
सफाई कर्मचारियों पर खर्च वेतन- सरकारी कर्मचारी पर हर मंथ 4.83 लाख रुपए और आउट सोर्सिग पर 51012 रुपए
शहर के बीचों-बीच बसा हुआ मोहल्ला। जिसके एक किनारे शहर का बड़ा नाला भी बहता है, लेकिन फिर भी गलियों की नालियों का पानी सड़क पर बह रहा है। थवईपुल से कालीमंदिर होते हुए बेनीगंज चौराहे वाले रास्ते पर दो जगह पूरे साल नाली का पानी सड़क पर बहता रहता है। वहीं डीबी इंटर कॉलेज के पीछे नालियां ही गायब हो चुकी हैं। बारिश के दौरान यहां सड़क पर तीन से चार फीट तक पानी जमा हो जाता है। सफाई कर्मियों की हालत यह है कि वार्ड में दिन में 10 बजे के बाद कोई भी सफाईकर्मी वार्ड में दिखता ही नहीं है। संक्रामक विभाग से जुड़े सोर्सेज की मानें तो पिछले साल में हर मंथ इस वार्ड से कम से कम 5 से 7 डायरिया के मरीज भर्ती होते रहे हैं।
मेरे मोहल्ले में छह माह पहले सफाईकर्मी दिखे थे, उसके बाद से आज तक नहीं दिखे। स्थिति यह है कि मोहल्ले की सड़कें और नालियां कूड़ेदान बन गई हैं। जिम्मेदार से कंप्लेन करने पर अगले दिन सफाईकर्मी भेजने की बात कही जाती है, लेकिन उनका कल अब तक नहीं आ सका है।
बद्रेआलम, रेजीडेंट
शाम को मोहल्ले की सड़कों पर खड़ा होना मुमकिन नहीं है। वहीं रात में पानी लगे होने की वजह से इन राहों से गुजरना भी मुश्किल हो जाता है। नालियों की सफाई न होने के कारण पूरा मोहल्ला मच्छरों के प्रकोप में आ गया है।
चन्नुलाल कश्यप, रेजीडेंट
नगर निगम के सफाई कर्मचारी पूरी तरह से मनमानी पर उतारू हैं। एक गली की सफाई के लिए उन्हें कई बार टोकना पड़ता है। वहीं अगर नालियों की सफाई करानी हो, तो उनके साथ खुद ही खड़े होना पड़ता है। 5 कर्मचारियों को कई बार हटाने के लिए पत्र लिखा है, लेकिन अभी तक नहीं हटाए गए हैं।
शाबिया खातून, पार्षद