गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर आरएमआरसी से वॉयरोलाजिस्ट डॉ। अशोक पांडेय हिमाचल प्रदेश के फील्ड स्टेशन कीलोंग में स्टडी के लिए गए हैैं। दरअसल, आईसीएमआर हेड ऑफिस के सहयोग से फील्ड स्टेशन कीलोंग, हिमाचल प्रदेश में ड्रोन से मेडिकल सप्लाई की गई है, ताकि वहां रहने वाले लोगों को मेडिसिन उपलब्ध हो सके। ड्रोन से मेडिकल सप्लाई में दवा टेबलेट व सिरप, कीलोंग जिला अस्पताल से 18 किमी दूर स्थित पीएचसी थोलांग पर सफलतापूर्वक भेजा गया है। वहीं पीएचसी से ब्लड व स्प्यूटम सैंपल को जिला अस्पताल पर भेजा गया है। इस स्टडी को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है। इस पूरे प्रक्रिया में सिर्फ 26 मिनट का वक्त लगा।
15000 फीट तक उड़ान
आरएमआरसी लैब के वॉयरोलाजिस्ट डॉ। अशोक पांडेय ने बताया, हिमाचल प्रदेश का कीलोंग स्टेशन लगभग 12000 फीट की ऊंचाई पर है। पूरी उड़ान 15000 फीट तक ली गई। यहां पर तापमान -10 से -150 डिग्री सेंटीगे्रेट तक है। कीलोंग मुख्यालय से थोलांग पीएचसी पर सामान्य दिनों में 1-1.5 घंटा समय लगता है व बर्फबारी में 3-4 घंटा भी लग जाता है। कभी कभी रोड पूरी तरह से बंद हो जाती है। ड्रोन से सिर्फ 26 मिनट में प्रक्रिया पूरी कर ली गई। संभवत: यह 14 हज़ार फीट व -10 सेंटी ग्रेट तापमान पर दुनिया का पहला ड्रोन उपयोग मेडिकल हेल्थ केयर सप्लाई के लिए किया गया।
मील का पत्थर साबित
कार्यक्रम का उद्घाटन डीजी आईसीएमआर डॉ। राजीव बहल ने दिल्ली से किया व वर्चुअल माध्यम से आईसीएमआर के सभी संस्थान जुड़े रहे। कीलांग से मुख्य अतिथि एसपी कीलोंग मयंक चौधरी, विशिष्ट अतिथि डीएफओ स्पीती अनिकेत, मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज कीलोंग डॉ। अजय ठाकुर व अन्य जनमानस के लोग उपस्थिति रहे। डॉ। अनु नागर, जॉइंट सेक्रेटरी, डीएचआर, दिल्ली ने पूरी टीम को बधाई दी और कहा की दुर्गम क्षेत्र में मेडिकल हेल्थ केयर सप्लाई में यह मील का पत्थर साबित होगा।
यह परीक्षण आगे भी रहेगा जारी
आरएमआरसी गोरखपुर से डॉ। अशोक पांडेय, डॉ। सुमित अग्रवाल, आईसीएमआर हेडक्वार्टर से थे। वहीं डॉ तनुजा मिश्रा, आरएमआरसी कीलोंग ने फील्ड स्टेशन से टीम का नेतृत्व किया। यह परीक्षण आगे 8 पीएचसी पर भी जारी रहेगा। जिसकी मुख्यालय से दूरी 40-45 किमी तक है। डीजी आईसीएमआर ने ईएस सफलता पर पूरे टीम को बधाई दी।