गोरखपुर (ब्यूरो)।कुछ दिन पहले प्रॉक्टर से हुई मारपीट की घटना के बाद चार स्टूडेंट्स को सस्पेंड कर दिया गया। इस निलंबन, फीस बढ़ोतरी और यूनिवर्सिटी में व्याप्त अनियमितताओं को लेकर पिछले चार दिन से प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान वीसी अगर स्टूडेंट्स से बात करके उनकी मांगों पर विचार कर लिया होता शायद ये मारपीट की नौबत न आती।

बातचीत के लिए था इंतजार

एबीवीपी कार्यकर्ता 18 जुलाई से यूनिवर्र्सिटी मेन गेट पर प्रदर्शन कर रहे थे। शुक्रवार को सुबह 10 बजे उन्होंने मेन गेट पर शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। इसके बाद 11:30 बजे वे वीसी ऑफिस के बाहर बैठ कर विरोध करने लगे। उनकी मांग थी कि स्टूडेंट्स का सस्पेंशन और फीस बढ़ोतरी का फैसला वापस किया जाए। वे वीसी प्रो। राजेश सिंह से मिलने का इंतजार कर रहे थे, लेकन वे नहीं मिले। मुलाकात न होने पर स्टूडेंट्स उग्र हो गए। अगर वीसी उनसे बात कर लेते तो ये घटना टल सकती थी। इस घटना की कैंपस में निंदा होती रही।

पहले प्रॉक्टर अब रजिस्ट्रार

यूनिवर्सिटी प्रशासन स्टूडेंट्स की समस्याओं को दूर करने में काफी हद तक फेल हुआ है। बार-बार प्रदर्शन से स्टूडेंट्स और यूनिवर्सिटी के अधिकारियों में नाराजगी पैदा हो गई। इसका खामियाजा यह हुआ कि पहले स्टूडेंट्स का गुस्सा चीफ प्रॉक्टर और फिर रजिस्ट्रार के साथ मारपीट की घटना हो गई।

छात्रनेताओं ने दिया समर्थन

यूनिवर्सिटी में हुई इस घटना के बाद एबीवीपी कार्यकर्ताओं को छात्रनेताओं का भारी समर्थन मिल रहा है। शाम से ही लोगों ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अपना समर्थन देना शुरू कर दिया। कुछ ने लिखा कि यूनिवर्सिटी में हो रही तानाशाही का यह नतीजा है।