- हेरिटेज को लेकर चलना है साथ, कॉमर्शियलाइजेशन से करना है मुकाबला
- बौद्ध सर्किट में इग्नोर कर दिया जाता है गोरखपुर, जबकि बगैर गोरखपुर के पूरी नहीं होती यात्रा
- आई नेक्स्ट के ग्रुप डिस्कशन में उठी शहर के एक दर्जन से ज्यादा हेरिटेज प्लेसेज को बचाने की आवाज
GORAKHPUR: मुगल हों या फिर अंग्रेज, अहिंसावादी हों या फिर क्रांतिकारी, गोरखपुर की सरजमीं ऐसे सैकड़ों साल का इतिहास समेटे हुए है। बावजूद इसके अभी तक यह नजरअंदाज है। प्रदेश सरकार टूरिज्म को बढ़ावा देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है, लेकिन बरसों पुरानी यादों और आजादी के परवानों के खून से सींची गई इस जमीन पर किसी की निगाह नहीं पहुंच पा रही। वह भी तब जब दुनिया की आंखें बौद्ध सर्किट पर जमीं हों और इसका रास्ता यहीं से होकर गुजरता हो। इसके लिए जिला प्रशासन और टूरिज्म डिपार्टमेंट को आगे आना होगा। तभी जाकर इतिहास के पन्नों से अपनी पहचान मिटने से बच सकेगी और हमारा शहर भी डेवलपमेंट की राह पर होगा। यह बातें सामने आई धरोहरों को लेकर आई नेक्स्ट ऑफिस में ऑर्गनाइज ग्रुप डिस्कशन में, जहां धरोहरों को बचाने और उनके इकोनॉमिक यूज को लेकर काफी चर्चा की गई।
कॉमर्शियलाइजेशन से है मुकाबला
डेवलपमेंट की रफ्तार इन दिनों काफी तेज है, वहीं हर चीज में कॉमर्शियलाइजेशनहावी होता जा रहा है। ऐसे में धरोहरों को बचाए रखना एक बड़ा चैलेंज है। वह कहते हैं ना कि 'जो दिखता है, वह बिकता है' इसलिए अब इन्हें बेचने के लिए इनको ब्रांड बनाने की जरुरत है। दिल्ली, आगरा, जयपुर की तरह हमारे पास भी मुगलिया दौर की कई इमारतें मौजूद हैं। वहीं क्रांतिकारियों का लहू भी यहां खूब बहा है। अब जरुरत है, इन जगहों को 'ब्रांड' बनाने की। यह तभी होगा जब हम इन जगहों को संजोएंगे और उसके बाद धीरे-धीरे इसका कॉमर्शियल यूज शुरू करेंगे। इससे ना सिर्फ उस जगह की ब्रांड वैल्यू बढ़ेगी, बल्कि हम उन धरोहरों को बचा भी सकेंगे।
संजोने के साथ करें ब्रांडिंग
ग्रुप डिस्कशन में एक सुर में यहां मौजूद धरोहरों को बचाने की जरुरत की बात सामने आई। इसके लिए जिला प्रशासन अगर पहल करे और शासन से इन्हें संजोने की पहल करे, तो यह धरोहरें बच सकती हैं। वहीं इसके साथ ही टूरिस्ट को अट्रैक्ट करने के लिए पब्लिक प्लेसेज पर इन जगहों की ब्रांडिंग (उनके नाम, कहां मौजूद है, कब का है, क्या खास, किसने बनवाया आदि) करें, तो इससे टूरिस्ट भी अट्रैक्ट होंगे और मुकामी लोगों को भी बड़ी तादाद में शहर में ही टूरिस्ट स्पॉट मिल जाएगा। इससे रोजगार के चांसेज भी बढ़ेंगे।
कॉलिंग
गोरखपुर में धरोहरों को बचाने के लिए इनटेक कदम बढ़ा रहा है। जरुरत है शहर में मौजूद चीजों की इंपॉर्टेस लोगों को बताने की। आज इन्हीं धरोहरों को विदेशी करोड़ों में खरीद रहे हैं, लेकिन यहां के लोगों को इसकी कद्र ही नहीं है। जबकि इनके ठीक हो जाने से यहां पर टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और लोगों के लिए जॉब ऑप्शन खुलेंगे।
- ई। एमपी कंदोई, संयोजक, इनटेक गोरखपुर चैप्टर
बौद्ध सर्किट का रास्ता गोरखपुर से होकर गुजरता है। बौद्ध टूरिस्ट जो इस सर्किट के लिए निकलता है, वह बगैर गोरखपुर आए आगे नहीं जाता। यहां लोग सिर्फ नाइट हाल्ट के लिए ही रुकते हैं, जबकि यह एक इंपॉर्टेट प्लेस है। वहीं गोरखपुर में मुगल, अंग्रेज और क्रांतिकारियों से जुड़ी कई ऐसी जगह हैं, जिन्हें टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर डेवलप किया जा सकता है। मगर गोरखपुर का टूरिज्म ऑफिस इसे ही इग्नोर कर देता है।
- पीके लाहिड़ी, मेंबर, इनटेक
गोरखपुर में टूरिस्ट आकर कुछ चुनिंदा होटलों में रुकते हैं, जबकि यहां पर टूरिज्म बंगला मौजूद है। लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही से उसकी हालत ऐसी हो गई है कि कोई भी टूरिस्ट यहां आकर रुकना ही नहीं चाहता है। जिम्मेदारों को इसके लिए सोचने की जरुरत है। वरना ऐतिहासिक महत्व होने के बाद भी शहर हमेशा ही नजरअंदाज रहेगा।
- कनक हरि अग्रवाल, नागरिक
विरासत को इग्नोर करना मतलब बुजुर्गो को इग्नोर करना है। नगर निगम को चाहिए कि कुछ नहीं सिर्फ इन इमारतों के नाम और इनकी खूबी रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन और पब्लिक प्लेसेज पर लिखवाकर टंगवा दे, जिससे लोग इस ओर अट्रैक्ट हों। इसे टूरिस्ट स्पॉट के तौर पर डेवलप करने की जरुरत है, जिससे सरकार को आमदनी तो हो ही, यहां मौजूद बेरोजगारों को भी रोजगार के अवसर मिलें।
- विवेक श्रीवास्तव, नागरिक
यह हैं खास धरोहरें
गीता प्रेस, गोरखनाथ मंदिर, गीता वाटिका, प्रेमचंद निकेतन, नगर निगम पुस्तकालय, नगर निगम बिल्डिंग, जटाशंकर गुरुद्वारा, राजकीय उद्यान, जिला कारागार, रामगढ़ताल, सेंट जोजफ चर्च, विष्णु मंदिर की प्राचीन मूर्ति, राधा-कृष्ण मंदिर, सूर्यकुंड धाम, जैन मंदिर, बंगाली कालीबाड़ी, सेंट मार्क्स चर्च, बसियाडीह देवी स्थान, बसंतपुर संगी मस्जिद, शाही जामा मस्जिद उर्दू बाजार, इमामबाड़ा, मुबारक खां शहीद मकबरा, सेंट जॉन्स चर्च, मानसरोवर, खाकी बाबा की समाधि, हनुमान गढ़ी।