गोरखपुर (ब्यूरो)। डीपी मोटर्स के ऑनर सत्यम मातनहेलिया ने बताया, खास तौर से गर्मियों में ऐसे मामले आते हैं। हम लोगों ने टेक्नीशियन के साथ मिलकर आग लगने का कारण भी खोजा। उन्होंने बताया, कार में मानक से अधिक एसेसिरीज कतई न लगवाएं। कंपनी से लगी इलेक्ट्रिकल वायरिंग में कतई छेड़छाड़ न करें, नहीं तो सड़क पर दौड़ती कार आग का गोला बन सकती है।

कंपनी मानक के अनुसार करती है फिटिंग

मातनहेलिया ने बताया, कंपनी अपने मानकों के अनुसार उसमें लाइट, साउंड फिटिंग, एसी, ब्लोअर, सीएनजी किट और अन्य वस्तुएं लगा कर देती है। जब आप बाहर से अधिक एसेसिरीज, लाइट, हूटर और डबल हार्न लगवाते हैं तो वायरिंग पर जोर पड़ता है, जिससे शॉर्ट सर्किट या अन्य कारणों से आप हादसे के शिकार हो जाते हैं।

अनट्रेंड मकैनिक भी बनते हैं आगजनी का कारण

आर्बिट ऑटो मोबाइल के जीएम नवाज खान ने बताया, एक कार में करीब 20 हजार से भी ज्यादा पुर्जों को फिट किया जाता है। कई बार लोग अपनी कार में लोकल जगह से सस्ती और घटिया एसेसिरीज लगवा लेते हैं और जो मकैनिक उन्हें फिट करते हैं वो भी अनट्रेंड होता है। ये जल्दबाजी में तारों को खुला छोड़ देते हैं या गलत तार को जोड़ देते हैं, जिसके चलते शॉर्ट सर्किट होने की आशंका बनी रहती है।

ओरिजनल सीएनजी, एलपीजी किट लगवाएं

नवाज खान ने कहा, गर्मियों में सीएनजी, एलपीजी गाडिय़ों में खास सतर्कता बरतनी चाहिए। पैसे बचाने के चक्कर में लोग सस्ती और लोकल सीएनजी, एलपीजी किट लगवा लेते हैं। इन किटों में लीकेज की शिकायत बनी रहती है, जो कभी भी हादसे का कारण बन सकती है।

क्या होता है जब कार बनती आग का गोला

एक्सपर्ट ने बताया कि जब किसी कार में आग लगती है तो सबसे पहले कार में लगे इलेक्ट्रिकल यूनिट जाम हो जाते हैं। पावर विंडो, सीट बेल्ट और सेंट्रल लॉकिंग सिस्टम तक फेल हो जाते हैं, जिसकी वजह से कार में बैठे लोगों को बाहर निकलने में काफी दिक्कत आती हैं।

क्या न करें

- कार में आग लगे तो अंदर दिमाग न लगाएं। फौरन बाहर निकलने की कोशिश करें।

- कार में बैठे लोग जानलेवा मोनाऑक्साइड गैस के चपेट में आ सकते हैं।

- बोनट के नीचे आग लगे तो उसे खोलने का प्रयास न करें। ऐसा करने से आग भड़कने के लिए और ऑक्सीजन मिल जाएगी।

- एक्स्ट्रा प्रेशर हॉर्न, लाइटें लगवाने से बचें।

- कार में डियोड्रेंट, एयर प्यूरिफायर और कोई ज्वलनशील पदार्थ न रखें।

कार में रखें जरूरी सामान

- कार में कैंची, अग्निशमन यंत्र और हथौड़ी हमेशा रखनी चाहिए।

- सीट बेल्ट जाम होने पर कैंची ही करेगी काटने में मदद।

- हथौड़ी की मदद से कार के शीशे को तोड़कर बाहर निकल सकते हैं।

कब-कहां कार में लगी आग

3 अप्रैल को प्रयागराज के न्यू यमुना पुल पर चलती कार में आग लग गई। लखनऊ की टैक्सी कार के ड्राइवर ने कूदकर जान बचाई थी।

15 मार्च की रात मनीराम पुल के पास फॉक्स वैगन की गाड़ी अचानक धू-धूकर जलने लगी। कार में 4 लोग सवार थे। सभी जान बचाकर कार से बाहर निकले।

13 फरवरी को देहरादून के किमाड़ी रोड पर रेलिंग से टकराने के बाद कार में आग लग गई। कार में सवार 2 लोगों ने कूदकर जान बचाई।

9 फरवरी को मेरठ के दौराला हाइवे पर एक कार गौवंश से टकराने के बाद धू-धूकर जल उठी। महिला, बच्चों और ड्राइवर ने कूदकर जान बचाई।

15 दिसंबर को न्यू आगरा की लॉयर्स कॉलोनी में एक कार आग का गोला बन गई। कार में हुए धमाके से लोग दहशत में आ गए।