- चालीस हजार बच्चों को जापानी इंसेफेलाइटिस का टीका लगाने का टारगेट
- रेगुलर वैक्सीनेशन से छूट चुके बच्चों के टीकाकरण के लिए चल रहा है सर्वे
GORAKHPUR: मच्छरजनित बीमारी जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से बचाव के लिए जिले में 21 फरवरी से विशेष अभियान शुरू होगा। इसके तहत जिले के सभी 600 वीएचएनडी (ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस) सत्रों पर प्रत्येक बुधवार और शनिवार को जेई टीकाकरण होगा। करीब 40 हजार बच्चों को जेई को टीका लगाने का टारगेट तय किया गया है। इसके लिए 600 सेशन में नौ साल से 15 साल तक केउन बच्चों को प्वाइंट आउट कर बूथ पर लाया जाएगा, जो कोविड-19 अथवा अन्य कारणों से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत जेई का टीका नहीं लगवा पाए थे। सीएमओ डॉ। सुधाकर पांडेय ने बताया कि मच्छरजनित बीमारी जेई से सर्वाधिक बच्चे ही प्रभावित होते हैं। ऐसे में बचाव के लिए टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। इस संबंध में आशा-एएनएम जमीनी स्तर पर सर्वे कर रही हैं।
40 हजार को बच्चों को मिलेगा लाभ
सीएमओ ने बताया कि नियमित सत्र में जेई का पहला टीका नौ माह से 12 माह की उम्र में लगता है, जबकि दूसरा टीका (बूस्टर डोज) 18 महीने की उम्र में लगाया जाता है। जिन बच्चों को इस आयु वर्ग में जेई का टीका नहीं लग पाया है, उन्हें इस विशेष अभियान के तहत प्रतिरक्षित किया जाएगा। टीकाकरण कार्यक्रम के संबंध में जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों का उनमुखीकरण किया जा चुका है। उन्हें बताया गया है कि माइक्रोप्लान में यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी बच्चा टीकाकरण से वंचित न रह जाए। एक अनुमान के मुताबिक जिले में करीब 40,000 बच्चे इस विशेष अभियान से लाभान्वित होंगे।
और इस तरह कम हुए जेई से मौत के आंकड़े -
- साल 2017 में जेई के 42 मामले मिले, जिनमें से आठ की हुई थी मौत।
- साल 2018 में केसेज की संख्या घट कर 35 हो गई। जिनमें से दो की मौत हुई।
- साल 2019 में भी 35 मामले थे और पांच मौतें रिपोर्ट हुई,
- साल 2020 में जेई के 13 मामले सामने आए और दो मौतें रिपोर्ट की गई हैं।
टीकाकरण है बेहतर विकल्प
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। नीरज कुमार पांडेय ने बताया कि सभी चिकित्सा अधिकारियों से कहा गया है कि कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शत प्रतिशत टीकाकरण लक्ष्य को सुनिश्चित करवाएं, ताकि जेई के मामलों और होने वाली मौत को शून्य पर लाया जा सके। जिला जेई-एईएस कंसलटेंट डॉ। सिद्धेश्वरी ने बताया कि टीकाकरण के माध्यम से जेई के मामलों और होने वाली मौत, दोनों पर नियंत्रण पाया जा सकता है। जिले में जिन लोगों के पाल्यों को यह टीका नहीं लगा है, वह खुद भी आगे आकर आशा-एएनएम केजरिए नि:शुल्क टीकेका फायदा उठा सकते हैं।
कोविड प्रोटोकॉल पर जोर
जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी केएन बरनवाल बताते हैं कि जेई का प्रसार फ्लेविवायरस से संक्रमित मच्छर के काटने से होता है। मच्छर काटने केपांच दिन से लेकर पंद्रह दिन में यह बीमारी सामने आती है। अमूमन यह बीमारी एक से 15 साल तक बच्चों और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों में पाई जाती है। गंदे पानी, सुअरबाड़ों, धान के खेतों से इस वायरस का संक्रमण फैलता है। इस बीमारी में तेज बुखार, गर्दन अकड़ने, ठंड के साथ कंपकंपी, झटके आना जैसे सामान्य लक्षण सामने आते हैं। अगर समय से इलाज करवाया जाए, तो दिव्यांगता और जान जाने की जोखिम से बचाव हो सकता है।