- गोरखपुर मंडलीय कारागार में बजने लगी है मोबाइल की घंटी

- जेल के अंदर से ज्वेलर को मिली धमकी, टैबलेट को लेकर हुआ बवाल

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arun.kumar@inext.co.in

GORAKHPUR:

अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जब गोरखपुर के मंडलीय कारागार में मोबाइल को लेकर जमकर बवाल हुआ था। इसे लेकर तमाम एहतियाती कदमों का दावा किया गया था। जेलर का तबादला तक किया गया था। लेकिन इसके बावजूद जेल में खेल फिर से शुरू हो चुका है। प्रदेश की अति संवेदनशील जेलों में शुमार मंडलीय कारागार में मोबाइल की घंटियां फिर से बजने लगी हैं। सलाखों के भीतर से रंगदारी के लिए कॉल किए जा रहे हैं। पीपीगंज के ज्वेलर को धमकी देने के बाद हरकत में आई पुलिस की जांच में हकीकत सामने आई है। जिला पुलिस के साथ-साथ एसटीएफ एक दर्जन से अधिक मोबाइल नंबर्स को राडार पर लेकर जांच में जुटी है। जेल में जैमर लगाने में हो रही लापरवाही का बेजा फायदा बंदी उठा रहे हैं।

केस 1

ज्वेलर को दी धमकी

हत्या और लूट के मामले में जेल में बंद पीपीगंज, तुर्कवलिया निवासी कोईल यादव ने कस्बे के ज्वेलर को फोन से जानमाल की धमकी दी। मुकदमा न उठाने पर अंजाम भुगतने की बात सामने आने पर ज्वेलर ने पुलिस को बताया। कोई के खिलाफ केस दर्ज करके पुलिस जांच में जुटी है। पुलिस से जुड़े लोगों की मानें तो इस जांच में जेल के भीतर कई मोबाइल नंबर्स के एक्टिव होने की सूचना सामने आई हैं।

केस 2

बंदी ने मंगाए टैबलेट, मोबाइल

तीन दिन पहले जेल में टैबलेट और दो मोबाइल ले जाने को लेकर बवाल हुआ। दिलीप नाम के बंदी ने एक बंदी रक्षक के दो मोबाइल और एक टैबलेट मंगाया। बैरक के गेट नंबर दो पर इलेक्ट्रानिक उपकरण भीतर ले जाने को लेकर हंगामा हो गया। दूसरे बंदियों के बवाल काटने पर जेल प्रशासन के लोगों को जानकारी हो गई। हंगामा होने पर जेल प्रशासन ने दिलीप का बैरक बदलकर उसे दूसरे बैरक में शिफ्ट कर दिया। लेकिन मोबाइल पहुंचाने वाले बंदी रक्षक पर कार्रवाई न होने से बंदियों में गुस्सा फैला है।

केस 3

नेता ने दी नेता को धमकी

जेल में बंद एक नेता पर धमकी देने का आरोप लगा है। सपा नेता अमरेंद्र निषाद के नजदीकी रिश्तेदार दिनेश निषाद ने इसकी शिकायत की है। कैंपियरगंज विधान सभा क्षेत्र से चुनाव की तैयारी में लगे दिनेश ने कहा है कि जेल में बंद नेता ने उनको फोन से धमकी दी। होर्डिग लगाने के विवाद में शुक्रवार की दोपहर 12.34 बजे उनके मोबाइल पर कॉल आई। कॉल करने वाले जेल में बैठे-बैठे ठीक कराने की धमकी दी। दिनेश की सूचना पर चिलुआताल पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है।

बॉक्स-1

कई कुख्यात हैं अंदर

मंडलीय कारागार में मुख्तार अंसारी के शूटर सहित कई कुख्यात बंद हैं। उनके आगे जेल प्रशासन बौना नजर आता है। राजनीतिक रसूख रखने वाले राजकुमार बाजपेई, मनोज ओझा, पंकज यादव, राम कृपाल सिंह, रिंकू पांडेय, रमाकांत यादव, नंदन सिंह, जोगिंदर यादव, कोईल यादव सहित कई लोग बंद हैं। इनकी मनमानी के आगे जेल अधिकारी बेबस बन जाते हैं।

प्रदेश की जेलों में हो चुके हैं बवाल

13 अक्टूबर 2016: गोरखपुर मंडलीय कारागार में मोबाइल चेकिंग से भड़के बंदियों ने जमकर बवाल, बंदी रक्षकों को बंधक बनाकर जानलेवा हमला किया।

23 जून 2016: मुजफ्फर नगर जेल में बंदियों के दो गुटों में बवाल, जैमर तोड़ने की कोशिश की, हंगामा करने से प्रशासन बैक फुट पर आया।

02 अप्रैल 2016: वाराणसी जेल में बवाल, डीएम सहित कई अधिकारियों को चोट लगी। हालात काबू करने में प्रशासन को घंटों लगे।

26 अप्रैल 2016: देवरिया जिला जेल में बवाल, एसपी सहित कई अधिकारियों पर हमला, कार्रवाई में सैकड़ों बंदी घायल

25 अप्रैल 2016: बंदायू जेल में दो गुटों के बीच बवाल, जेल अधिकारियों के पसीने छूटे

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यहां से अंदर ले जा सकते हैं

जैमर की योजना हो गई जाम

GORAKHPUR: जेल में मोबाइल ले जाने में कुछ बंदी रक्षकों की भूमिका सामने आई। जेल गेट पर पीएसी की चेकिंग के बावजूद मोबाइल पहुंचने को लेकर अफसर गंभीर हुए। इसके बाद से जेल में जैमर लगाने की प्रक्रिया दोबारा तेजी से शुरू हो गई। हालांकि बवाल शांत होते ही जेल अधिकारी जैमर की बात भूल गए। जेल से जुड़े लोगों का कहना है कि गोरखपुर जेल को दो साल पहले जैमर स्वीकृत हुए थे। लेकिन लापरवाही के चलते नहीं लग सके। बवाल के बाद इस योजना में तेजी आई। लेकिन वह रास्ते में डंप हो गई। 60 लाख रुपए से गोरखपुर में दो जैमर लगने थे।

बंदी शिफ्ट कर चला रहे काम

जेल में मोबाइल इस्तेमाल करके लाभ करने के मामलों में कड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। जेल में बवाल के बाद अफसर और कर्मचारी सहम गए हैं। इसलिए उत्पात मचाने वाले बंदियों के खिलाफ प्रशासनिक आधार पर दूसरे जेलों में शिफ्ट करने की कार्रवाई हो रही है। 13 अक्टूबर के बवाल में मनोज ओझा, राकेश सिंह, राजकुमार बाजपेई, सोनू सिंह, विवेक तिवारी, राकेशमणि, आफिल, नंदन सिंह, चंदन यादव और शेरू सहित 13 के खिलाफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। लेकिन सिर्फ सीताराम और संदीप सिंह को देवरिया जेल में शिफ्ट किया जा सका। दोनों आजमगढ़ जेल में बंद थे। आजमगढ़ जिले में जेल का माहौल खराब करने के आरोप में 22 सितंबर 2015 को उनको गोरखपुर भेजा गया था।

बॉक्स-5

कार्यवाहक के भरोसे संवेदनशील जेल

जेल में सख्ती करने पर बवाल का खतरा अफसरों को सता रहा है। इसलिए जेल अधिकारियों ने खुली छूट दे दी है। जेलर के तबादले के बाद कार्यवाहक के भरोसे जेल की व्यवस्था चल रही है। देवरिया जिला कारागार के सीनियर डिप्टी जेलर सुनील कुमार को गोरखपुर जेल का प्रभार दिया गया है। कुछ दिन पहले वरिष्ठ जेल अधीक्षक एसके शर्मा का तबादला होने से उनकी जगह महराजगंज जेल के सुपरिटेंडेंटकार्यभार देख रहे हैं।

गोरखपुर जेल में जैमर लगाने की योजना थी। लेकिन यहां पर दो जैमर से काम नहीं चलेगा। इसकी क्षमता और मात्रा बढ़ाने के लिए योजना में काम चल रहा है। जल्द ही जैमर लगा दिया जाएगा।

यादवेंद्र शुक्ल, डीआईजी जेल