- शहर की इंडस्ट्रियल बिजली की लखनऊ से शुरू हुई मॉनिटरिंग

- माह के 2 और 3 तारीख तक 100 किलोवाट के कंज्यूमर्स की फीड करनी होगी रीडिंग

GORAKHPUR : यूपी पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड अब अपने बड़े कंज्यूमर्स पर दोहरी नजर रखेगा। गोरखपुर जिले में चल रही इंडस्ट्रीज के एनर्जी कंजप्शन को मॉनिटर करने के लिए मॉड्यूल सिस्टम यूज होगा। इसके जरिए हर इंडस्ट्री की यूसेज रीडिंग लोकली कलेक्ट की जाएगी, उसके बाद लखनऊ में लगे मॉडल सिस्टम से उसे वेरिफाई किया जाएगा। दोनों रीडिंग सेम पाए जाने पर उस इंडस्ट्री का बिल जनरेट किया जाएगा। अगर दोनों में डिफरेंस पाया गया तो संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई भी की जा सकती है।

पोल और मेन गेट पर लगेंगे मीटर

बिजली विभाग, गोरखपुर जोन के चीफ इंजीनियर डीके सिंह का कहना है कि जिले के सारे इंडस्ट्रीज में दो जगहों पर मीटर लगाए जाएंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इंडस्ट्रीज में लाइन बाईपास कर जो चोरी हो रही थी, उसे कम करने का प्रयास होगा। एकमीटर इंडस्ट्री में और दूसरा उसे बिजली सप्लाई करने वाले पोल पर लगाया जाएगा। इन दोनों मीटर्स का खर्च इंडस्ट्री को ही वहन करना होगा। महानगर विद्युत वितरण निगम के अधिकारियों की मानें तो इंडस्ट्रीज में अब तक कहीं भी मीटर लगा दिया जाता था। फिर मीटर को बाईपास कर बिजली चोरी की जाती थी। इसे देखते हुए यह तय किया गया है कि अब मीटर इंडस्ट्री के मेन गेट पर लगेंगे।

मैच होगी रीडिंग तभी बनेगा बिल

राप्तीनगर के एसडीओ वाईके चतुर्वेदी का कहना है कि यह योजना लाइन लॉस रोकने और राजस्व वसूली के लिए शुरू की गई है। पहले पोल और इंडस्ट्री में लगे मीटर्स?की रीडिंग लोकली मैच की जाएगी। फिर उस रीडिंग का मिलान लखनऊ में लगे सिस्टम से किया जाएगा। मैच होने के बाद ही बिल जनरेट होकर ऑनलाइन किया जाएगा। रीडिंग में ज्यादा डिफरेंस पाए जाने पर विभाग की एक टीम तुरंत इंडस्ट्री की चेकिंग करेगी ताकि लाइन लॉस को रोका जा सके।

मिलेगी 2-3 घंटे बिजली

गोरखपुर जोन को जितनी बिजली मिलती है, उसका 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा इंडस्ट्रीज में खप जाता है। बिजली विभाग के सोर्सेज की मानें तो इस खपत का 10 परसेंट बिल विभाग को मिलता ही नहीं है। अगर ये बिजली शहर को मिल जाए तो पूरे मंडल को 2-3 घंटे एक्स्ट्रा बिजली मिलेगी।

लखनऊ से आदेश मिलने के बाद करीब 80 इंडस्ट्रीज के मीटर में मॉडल लगाया गया है। इससे इंडस्ट्रीज में होने वाले लाइन लॉस को काफी हद तक रोका जा सकता है।

डीके सिंह, चीफ इंजीनियर, गोरखपुर जोन