- सिटी को 10 जोन में किया गया था डिवाइड, एक जोन में बनाए गए थे 5 से 6 सेंटर

- हर सेंटर पर 500 कैंडिडेट्स थे रजिस्टर्ड, करीब 10 परसेंट रहे अबसेंट

द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : इंजीनियर बनने का ख्वाब तो लाखों स्टूडेंट्स अपने दिलों में सजाए रखते हैं। पैसे की कमी और हायर फीस उनके इस ख्वाब के रास्ते में रोड़ा बन जाती है, मगर खुराफाती दिमाग ठहरा तो करेगा इंजीनियरिंग ही। यही वजह है कि इन दिनों 'देसी इंजीनियरिंग' कहे जाने वाले पॉलिटेक्निक में जंग लगातार बढ़ती जा रही है, जबकि मेन स्ट्रीम में सीट तक भरने के लाले पड़ जा रहे हैं। संडे को सिटी के 50 से ज्यादा सेंटर्स पर पॉलिटेक्निक एंट्रेंस कंडक्ट किया गया, जिसमें महज 10 परसेंट स्टूडेंट्स ही अबसेंट हुए, पेपर आसान होने की वजह से स्टूडेंट्स की आखों में पेपर का खौफ भी नजर नहीं आया। स्टूडेंट्स की अटैंडेंस को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अब एक-एक सीट के लिए तगड़ी जंग होगी और 'जूनियर इंजीनियर' का तमगा लेने के लिए उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ेगी।

10 जोन में बंटा गोरखपुर, हर जोन में बने थे 5 सेंटर

पॉलिटेक्निक का एग्जाम सिटी के डिफरेंट एरियाज में ऑर्गेनाइज किया गया। इसके लिए शहर को 10 जोन में डिवाइड किया गया था। हर जोन में मिनिमम पांच सेंटर्स बनाए गए थे। हर जोन पर लखनऊ और कानपुर से आए ऑब्जर्वर की देखरेख में सक्सेजफुली एग्जाम कंडक्ट हुआ। जोन में पांच सेंटर बनाए गए थे, हर सेंटर पर 500 स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड थे। 10 जोन पर कंडक्ट हुए एग्जाम में करीब 25 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड थे, जिसमें से 10 परसेंट स्टूडेंट्स एग्जाम में शामिल नहीं हुए।

पहली बार मिली पेपर ले जाने की इजाजत

स्टेट लेवल पर ऑर्गेनाइज हुए पॅालिटेक्निक एंट्रेंस में इस बार एक बड़ा बदलाव किया गया, जिसका उन्हें काफी अप्रिसिएशन भी मिला। एग्जाम में ट्रांसपेरेंसी बरकरार रहे और स्टूडेंट्स सेल्फ एनालिसिस कर सकें, इसलिए इस बार उन्हें क्वेश्चन पेपर घर ले जाने की छूट दी गई। पॉलिटेक्निक एंट्रेंस की हिस्ट्री में यह पहला मौका था, जब स्टूडेंट्स एग्जाम देने के बाद अपना पेपर लेकर घर आ सकें हो, इससे पहले उन्हें अपनी आंसरशीट के साथ ही क्वेश्चन पेपर भी जमा करना पड़ता था।

डिप्लोमा और पीजी डिप्लोमा के लिए हुआ एंट्रेंस

- इंजीनियरिंग

- टेक्नोलॉजी

- होटल मैनेजमेंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी

- फार्मेसी

पॉलिटेक्निक में इन कोर्सेज की होती है पढ़ाई

- सिविल इंजीनियरिंग

- इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

- मैकेनिकल इंजीनियरिंग प्रोडक्शन

- मैकेनिकल इंजीनियरिंग ऑटोमोबाइल

- केमिकल इंजीनियरिंग

ओवर ऑल पेपर काफी इजी रहा। कहीं से कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। मैथ्स में थोड़ा दिक्कत हुई, लेकिन पेपर अच्छा हुआ।

- निमीश

पहली बार क्वेश्चन पेपर घर ले जाने की छूट दी गई, यह अच्छी पहल है। इससे हम क्या करके आए और उसमें कितना सही है, यह पता चल सकेगा।

- महेंद्र चौहान

फिजिक्स और केमिस्ट्री का सेक्शन काफी इजी रहा, मैथ्स थोड़ा टफ था। लेकिन एट द एंड पेपर काफी अच्छा हुआ।

- सूरज चौरसिया

सिटी को दस जोन में डिवाइड कर पॉलिटेक्निक एंट्रेंस कंडक्ट कराए गए हैं। एक जोन में करीब 5 से 6 सेंटर्स बनाए गए थे। दो पालियों में ऑर्गेनाइज हुआ एंट्रेंस शांतिपूर्वक सम्पन्न हो गया।

- जीएम सिंह, प्रिंसिपल, राजकीय पॉलिटेक्निक