- डीडीयूजीयू के दीक्षा भवन में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ उद्घाटन

- यूपी राज्यपाल राम नाईक ने पूर्वी उ.प्र। में उच्च शिक्षा की दशा एवं दिशा पर रखे अपने विचार

GORAKHPUR: चाहे पूर्वी उत्तर प्रदेश हो या फिर पूरा प्रदेश, हर जगह उच्च शिक्षा की दशा एक ही है। बस दिशा तय करने की जरूरत है। इसके लिए जब तक शिक्षकों की कमी को पूरा नहीं किया जाता। तब तक दिशा तय नहीं हो सकती। यही नहीं स्ववित्तपोषित कॉलेजों के भरमार से उच्च शिक्षा के स्तर में काफी गिरावट आई है। इसके चलते उच्च शिक्षा की गुणवत्ता खत्म होती जा रही है। इसे दूर करने के लिए जब तक सरकार ईमानदारी पूर्वक कोई ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक यह समस्या बरकरार रहेगी। यह बातें पूर्व मंत्री, उ.प्र। शासन डॉ। नरेंद्र सिंह गौर ने बतौर चीफ गेस्ट अपने संबोधन में कही। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अनुदानित एवं विश्वविद्यालय शिक्षक-संघ की तरफ से आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी 'पूर्वी उत्तर प्रदेश में उच्च शिक्षा की दशा एवं दिशा' के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

फ्9 परसेंट शिक्षकों की है कमी

उन्होंने कहा कि पूरे देश में कुल म्9फ् यूनिवर्सिटीज हैं। वहीं यूपी में ब्क् यूनिवर्सिटी और फ्म्,000 कॉलेज हैं। लेकिन इन यूनिवर्सिटीज और कॉलेजेज में आज भी फ्9 परसेंट शिक्षकों की कमी है। शिक्षकों की कमी के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। छात्रों को बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। उच्च शिक्षा के स्तर में गिरावट का मेन रीजन स्ववित्तपोषित कॉलेज हैं। यह बहुत ही चिंता का विषय है।

सरकार पर साधा निशाना

उन्होंने बताया कि तत्कालीन चीफ मिनिस्टर कल्याण सिंह के कार्यकाल (क्99क्-9ख्) में नकल विरोधी परीक्षा कानून बनाए गए थे। अगर सरकार ईमानदारी से निर्णय ले तो स्थिति काफी हद तक सुधर सकती है। इसके अलावा इंजीनियरिंग व मेडकिल कॉलेज में भी शिक्षकों की भारी कमी है। इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है। पूर्वाचल में इंसेफेलाइटिस गंभीर बीमारी है। लेकिन आज मेडिकल कॉलेज में भी डाक्टर्स की कमी है। जिसके कारण इलाज में भी प्रॉब्लम आती है। आज की जो शिक्षा नीति है वह प्राचीन शिक्षा व्यवस्था पर चलती चली आ रही है। इसमें बदलाव आना चाहिए। कुलपति कोई भी हो, लेकिन भविष्य निर्माता शिक्षक ही होता है।

शिक्षा के प्रति होनी चाहिए संवेदना

दो दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल राम नाईक ने राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन पर शिक्षक संघ को बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज की डेट में उच्च शिक्षा कैसे प्राप्त हो, इसके लिए अच्छे बिल्डिंग या फिर अच्छे कॉलेज का होना मायने नहीं रखता। बल्कि शिक्षा के प्रति संवेदना कितनी है यह महत्वपूर्ण है। क्योंकि रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा था कि अच्छी शिक्षा प्राप्ति के लिए संवेदना होनी चाहिए। तभी अच्छी शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। अब समय बदल चुका है। एकलव्य को द्रोणाचार्य ने भी शिक्षा दिया था। इसलिए हमें बदलना होगा। तभी उच्च शिक्षा की दशा व दिशा में बदलाव संभव हो सकेगा।

बेहतर कार्य करने वाले यूनिवर्सिटी को मिलेगा गोल्ड मेडल

उन्होंने बताया शिक्षा को बेहतर करने के लिए हमने यूपी के सभी कुलपतियों के साथ मीटिंग की। जिसमें यह किया गया कि समय से प्रवेश, परीक्षा और परिणाम घोषित होने चाहिए। ज्यादातर कुलपतियों ने इसे फॉलो भी किया है। छात्रों को जहां गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया जाता है। ठीक इसी प्रकार जो यूनिवर्सिटी बेहतर काम करेगी। उसे बेस्ट यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जाएगा। रहा सवाल शिक्षकों के नियुक्ति का तो इस कमी को महसूस किया जा रहा है। अच्छी शिक्षा मिल सके। इसके लिए शिक्षकों की नियुक्ति होनी चाहिए। शिक्षकों के वेतन भी बढ़ने चाहिए।

आज भी दो अधिकारियों से चला रहे हैं काम

वहीं डीडीयूजीयू वीसी प्रो। अशोक कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि आज की शिक्षा नीति का ऐसा संयोग हो चुका है कि अब पाठ्यक्रम को न्यायालय तय करता है। जबकि शिक्षा की नीति शिक्षकों से बननी चाहिए। यह बेहद ही गंभीर विषय है। उन्होंने बताया कि जब समान सिलैबस हो रहे हैं तो शिक्षकों के लिए भी समान आयु और वेतनमान होने चाहिए। आज भी डीडीयूजीयू में 9 अधिकारी के पद हैं, लेकिन दो अधिकारी से काम चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रगौरव के बारे में स्टूडेंट्स कुछ नहीं जानते थे, लेकिन अब बच्चे राष्ट्र गौरव की परीक्षा देकर उसके महत्व के बारे में जान चुके हैं।

शिक्षकों की संख्या में है भारी कमी

डीडीयूजीयू शिक्षक संघ के प्रो। जितेंद्र तिवारी ने कहा कि शिक्षकों की संख्या में पहले के मुकाबले काफी कम हो चुकी है। टीचर्स रिटायर्ड हो रहे हैं लेकिन नये शिक्षकों की नियुक्ति आज भी पेंडिंग है। आज यूनिवर्सिटी प्रवेश, परीक्षा और परिणाम में सिमटा हुआ है। बड़े ही सौभाग्य की बात है कि इस बार डीडीयूजीयू प्रशासन ने प्रवेश परीक्षा की तिथियां घोषित कर समय से एडमिशन का प्रोसेज शुरू कर चुका है। रिजल्ट भी डिक्लेयर होने शुरू हो चुके हैं। इससे पूर्व दीक्षा भावन के प्रेक्षागृह में उद्घाटन सत्र की शुरुआत कुलगीत से की गई। शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो। जितेंद्र तिवारी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। वहीं कार्यक्रम के अंत में आयोजन सचिव डॉ। शिवाकांत सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।