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पिपराइच एक ऐसा इलाका, जो बरसों से कच्ची शराब का दंश झेलता रहा है। यहां के लगभग हर 10 किलोमीटर के दायरे में कच्ची की भट्ठियां सुलगती मिल जाएंगी। इन भट्ठियों से निकली शराब अब तक जाने कितने घरों को बर्बाद कर चुकी है। मंगलवार को टीम आई नेक्स्ट चाय पर चर्चा के क्रम में पिपराइच विधानसभा क्षेत्र के महराजगंज रोड नाहरपुर चौराहा स्थित चाय की दुकान पर पहुंची। यहां अखिलेश को मिली साइकिल पर बातें हुई तो बसपा के समीकरणों पर भी राय बनी। लेकिन बातचीत में सबसे संजीदा मुद्दा रहा कच्ची शराब। लोगों ने एक सुर कहा कि कच्ची के दंश से छुटकारे का पक्का इंतजाम होना चाहिए।

विधानसभा क्षेत्र: पिपराइच

समय: तीन बजे

स्थान: नाहरपुर चौराहा

चाय का कुल्हड़ हाथ में थामे लोग बातों के सिलसिले में डूबे हुए थे। तभी आई नेक्स्ट रिपोर्टर के सवाल ने हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींचा।

आई नेक्स्ट : क्या भाई लोग, आप लोग तो लग रहा है कि आज ही सरकार बनवा देंगे।

अजय प्रकाश यादव: हां भइया, अखिलेश को साइकिल मिलने के बाद कई नेता लोग का तो नींद ही नहीं आ रहा है। आज सुबह से ही सब दौड़ रहे हैं। अभी तक तो कोई नहीं आता था।

अवधेश वर्मा (अजय को टोकते हुए)

का यादव जी, आपके अखिलेश भइया अउर उनकी पार्टी तो खुदे अपना बंटाधार कर रही है। कहीं कमल न खिल उठे।

(इसी बीच चाय की चुस्की ले रहे रणजीत जायसवाल बोल पड़ते हैं.)

रणजीत जायसवाल: अरे भइया, आप लोग एतना जल्दी नतीजा सुना दे रहे हैं। बसपा के समीकरण पर भी नजर में रखिए। नोटबंदी और लड़ाई-झगड़ा के बीच अबकी कहीं फिर मायावती न आ जाएं। बसपा में 90 से अधिक मुस्लिम प्रत्याशी से सबको डर है।

(तभी दुकान के बाहर खड़े रामकरन से रहा नहीं गया और वो भी शुरू हो गए.)

रामकरन: अरे भइया चाहे कोई आए-जाए और जिसको मन करे उसको टिकट दे। हमारे नसीब में तो बस कच्ची का दर्द ही लिखा है।

यह बात सुनते ही कुछ पलों के लिए वहां सन्नाटा छा गया। चाय की दुकान पर मौजूद हर शख्स मानों रामकरन की बातों पर मौन सहमति जता रहा हो

यह सुनकर आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने पूछ लिया। जरा खुलकर बताएं पूरा मामला

यह सुनते ही रामकरन के मुंह से उनके दिल की गुबार निकल पड़ी।

रामकरन: भइया, कई बरसों से यह दर्द इस इलाके के लोग झेल रहे हैं। यहां बनने वाली कच्ची शराब हमारे लिए मौत का पक्का इंतजाम है।

(इस बात पर धर्मवीर ने भी सहमति जताई)

धर्मवीर: हां भइया। यह तो इस इलाके की एक बड़ी समस्या है। कई घरों का चिराग बुझ चुका है। पता नहीं कब हमारे जनप्रतिनिधि लोगों के इस दर्द को समझेंगे।

(तभी रवि प्रकाश भी बोल पड़े)

रविप्रकाश: अरे जनप्रतिनिधियों की तो बात ही मत कीजिए। जब कोई बड़ी घटना होती है तो ये लोग आते हैं। चुग्गा देते हैं और निकल जाते हैं। फिर इन्हें हमारी याद आती है सीधे चुनाव के टाइम। पता नहीं कब यह लोग हमारा दर्द समझेंगे।

(इस बीच रामाश्रय ने बात को फिर प्रदेश की राजनीति की तरफ मोड़ने की कोशिश की.)

रामाश्रय: अरे ठीक हैइस बार नई सरकार बनेगी तो हो सकता है कि सारी समस्याएं सुलझा दे। अखिलेश जी को साइकिल मिल ही गया है

(यह बात सुनकर बहुत देर से सब सुन रहे रणजीत से रहा नहीं गया.)

रणजीत: देखिए भाई सरकार किसी की बने लेकिन यहां कुछ नहीं होने वाला है। 25 साल से यहां एक ही पार्टी के सांसद, विधायक और मेयर रहे हैं। आज तक क्या हो गया? कोई भी जीते अगर वो हमारी समस्याओं को सरकार तक नहीं पहुंचा सकता और उसका समाधान नहीं करा सकता तो सब बेकार हैं। अखिलेश, मुलायम, मोदी हो या फिर मायावती हों या राहुल। क्या फर्क पड़ता है। हमारे क्षेत्र की हालत तो आज भी वही है। आज भी गांव-गांव कच्ची शराब का धंधा चल रहा है और लोग मर रहे हैं। लेकिन चुनाव में सब उसी कच्ची शराब का सहारा लेकर वोट मांगते हैं।

रणजीत की डंके की चोट पर कही गई इस बात पर अन्य किसी से कोई जवाब देते नहीं बना। लोग लोग चाय का पैसा देकर निकल लिए।

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टी-प्वॉइंट

भइया इस क्षेत्र की सबसे पुरानी दुकान हमारी ही है। चौराहे पर दुकान होने से आसपास के गांव के सभी लोग यही बैठते हैं। जब यह क्षेत्र पूरी तरह बंजर था, तब से हम लोग यहां चाय बेच रहे हैं। यहां दर्जनों गांव के सैकड़ों लोग प्रधानी के चुनाव से लेकर सांसदी तक यही बैठकर चर्चा करते हैं। लेकिन यह सब सुनते अब कान पक गया है। सरकार किसी की आए, हमको तो तभी कोई फर्क पड़ेगा जब यहां की सूरत बदलेगी।

-राम सिंह, चाय दुकानदार