विधानसभा क्षेत्र

पिपराइच विधानसभा क्षेत्र

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विधानसभा चुनाव की तिथि नजदीक आने के साथ ही चुनावी चर्चाएं भी जोर पकड़ती जा रही हैं। गोरखपुर शहर और देहात विधानसभा क्षेत्रों के कई टी प्वाइंट पर हो रही चर्चाओं का लब्बोलुआब आप तक पहुंचाने के बाद आई नेक्स्ट टीम अब जा पहुंची है पिपराइच विधानसभा क्षेत्र में। पादरी बाजार में स्थित टी प्वाइंट ही यहां के लिए पॉलीटिक्स प्वाइंट भी है। शुक्रवार को भी चाय की चुस्की के साथ एरियाज में विकास से लेकर चुनाव में आजमाए जाने वाले तमाम हथकंडे जैसे धर्म, जाति, धन, बाहुबल तक पर चर्चा जारी थी। यानी चाय पे चर्चा का माहौल पहले से ही बना हुआ था, आई नेक्स्ट टीम को बस उसमें शामिल हो जाना था

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स्थान : पादरी बाजार

समय : 9 बजे

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अभिषेक उर्फ छोटू: (पहले से जारी चर्चा में अपनी राय रखते हुए) आप लोग बस चुनावी समीकरण पर बात कीजिए। क्या समीकरण बनेगा? रहने भी दीजिए। अभी विकास-विकास रट रहे हैं, चुनाव आते ही जाति देखकर वोट दे देंगे।

सतीश उर्फ लाला (छोटू की बात का समर्थन करते हुए): सही कह रहे हैं छोटू भाई लेकिन नेता भी कम नहीं है। वे वोट तो कुछ और कहकर लेते हैं, जीतने के बाद करने कुछ और लग जाते हैं। विकास के नाम पर तो खानापूरी ही होती है हर बार।

अजीत यादव: देखिए, भले ही लोग किसी के सामने वोट देने में मुद्दा या विकास को प्रॉयरिटी देते हो लेकिन वोट देने के समय दिमाग में जाति घुस जाती है। जब वोट ही जाति के नाम पर देते हैं तो जीतने के बाद नेता विकास भी जाति विशेष की आबादी वाले एरियाज में करने लग जाते हैं

(बीच में बोलते हुए)

श्याम नारायण तिवारी: अब प्रदेश सरकार को ही लीजिए। कितना विकास हुआ है एरियाज में। जब वोट के समय जाति हावी रहेगी तो फिर विकास तो ऐसे ही होना है। विकास तो सिर्फ बात करने के लिए है।

राजेश चौरसिया: (श्याम नारायण तिवारी का समर्थन अपने अंदाज में) सही कह रहे हैं लेकिन किया क्या जा सकता है। यहां तो सबकुछ एक ही व्यक्ति को देखकर तय हो जाता है। उनको भी कुछ सोचना चाहिए एरियाज के डेवलपमेंट के बारे में।

सुनील मुरारी चौरसिया: विकास होता है तो सबके लिए होता है। अभी तक जितना विकास हुआ है, उसी पर वोट तय हो जाए। जो लोग वादा कर रहे हैं, उनका छोडि़ए। जिनको एक-दो बार जीता चुके हैं, उनके बारे में तो जानते ही हैं।

(अभी-अभी चर्चा में शामिल हुए हैं)

हिमांशु जायसवाल: क्या चर्चा हो रही है भाई लोग? इस चर्चा का कोई मतलब है क्या? जब घुमा-फिराकर वोट के दिन जाति, धर्म पर ही फिदा हो जाना है तब क्या विकास-विकास किए हुए हैं लोग?

राजेश निषाद: क्या जबरदस्त बोले हैं भाई साहब। विकास के नाम पर वोट किए होते हैं विकास हुआ नहीं होता क्या? मान लीजिए कि एक बार विधायक चुनने में गच्चा ही खा गए लेकिन बार-बार एक ही गलती कैसे हो जाती है?

जय हिंद: एकदम सही बात है। बेरोजगारी बढ़ती जा रही है लेकिन ऐन चुनाव के समय जाति को हवा दे दी जाती है। खुद को पढ़े-लिखे कहने वाले लोग जाति पर बेभाव बिक जाते हैं और अनपढ़ लोग पैसे पर। अब भी समय है कि चेत जाया जाए नहीं तो इसी तरह पांच साल तक चर्चा ही करते रह जाएंगे।

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टी प्वाइंट

आठ साल से यही दुकान चला रहा हूं। यहां आने वाले लोग तरह-तरह की चर्चाएं करते हैं, इसमें नेताओं के बारे मे ज्यादा बातें होती हैं। अभी तो चुनावी फिजा है तो सिर्फ उन्हीं की बात ही हो रही है। कोई किसी को अच्छा कहता है, कोई किसी को। मुझे तो दुकानदारी चलानी है तो यदि कोई मुझसे किसी नेता के बारे में पूछता है तो उनकी हां में हां कर देता हूं। यहां रोज अलग-अलग पार्टी की सरकार बनती रहती है और मेरी चाय बिकती रहती है। देखिए, इस बार क्या होता है। अभी तो सभी लोग अपने-अपने नेता को जीतता हुआ बता रहे हैं।

संजय चौधरी, दुकान मालिक