शहर विधानसभा क्षेत्र में चाय पे चर्चा में शामिल होने के बाद रिपोर्टर ने ग्रामीण विस क्षेत्र का रूख किया। यहां भी चर्चा में शामिल लोगों में विकास की भूख दिखी। लोगों का कहना है कि आश्वासन और दावे के बल पर बहुत उल्लू बन आए, अब तो वोट उसी को जाएगा जो इलाके में विकास की बयार बहाएगा

विधान सभा- गोरखपुर ग्रामीण

समय- 3 बजे

स्थान- सूरजकुंड रेलवे क्रासिंग

GORAKHPUR: गोरखपुर ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र स्थित सूरजकुंड रेलवे क्रॉसिंग के पास स्थित दुकान की चाय ही नहीं फेमस है, यहां होने वाली चर्चाएं भी खास होती हैं। चाय की चुस्की के साथ इलाके के विकास से लेकर हर मसले पर चर्चा होती है। चूंकि इस समय माहौल चुनावी है तो चर्चा भी इसी तरह की हो रही है। सोमवार को रिपोर्टर इस दुकान पर पहुंचा तो पहले से कुछ लोग चाय की चुस्कियों के बीच सरकार बनाने में लगे हुए थे। कुछ देर खड़ा होकर रिपोर्टर ने भी एक सवाल उछाल दिया

रिपोर्टर- वह सब तो ठीक है लेकिन राहुल-अखिलेश की दोस्ती कितनी पसंद की जाएगी?

दयाशंकर त्रिपाठी- उनके साथ से क्या मतलब है? जो विकास का साथ देगा, इस बार उसी की सरकार बनेगी। भाई-भतीजावाद और मनमौजी सरकार नहीं चाहिए।

असेंद्र कुमार- सही कहते हैं लेकिन यूपी में कानून का राज बनेगा कैसे? केन्द्र ने तो 2014 के बाद से ही कानून टाइट कर दिया है लेकिन प्रदेश सरकार जब तक अराजक तत्वों का बचाव करती रहेगी, कोई क्या कर सकता है?

(व्यंग भरी मुस्कान के साथ)

राधेश्याम दुबे- खूब, बहुत खूब। सही कहते हैं असेंद्र भाई। आपके केन्द्र सरकार ने जो किया है, उससे कानून का राज तो हो ही जाएगा। किसी के पास न पैसा रहेगा न लूट-मार मचेगी। सबको लाइन में खड़ा कर दिए।

(राधेश्याम दुबे की बात में हामी भरते हुए)

अमरदीप गुप्ता- मान लीजिए कि नोटबंदी से आने वाले समय में कुछ लाभ भी हो जाएगा लेकिन जो प्रॉब्लम हुई, उसके लिए कौन जिम्मेदार है? महंगाई पता नहीं कब कम होगी लेकिन नोटबंदी के बाद से कैशलेस में भी लूट मची हुई है, उसका क्या?

विशाल श्रीवास्तव- अरे भाई, देश को लाभ होगा, देश को लाभ होगा बोलकर और कितना परेशान करेंगे पब्लिक को। लाभ हुआ तो बताए क्यों नहीं कि क्या लाभ हुआ और कितना लाभ हुआ। बोलिए।

(विषयहीन हो रही चर्चा को मोड़ने के लिए)

रिपोर्टर- अच्छा, वो सब छोडि़ए आप लोग। ये बताइए कि इस बार मुद्दा क्या रहेगा चुनाव में?

सुधाकर त्रिपाठी- एक ही मुद्दा है विकास लेकिन इस बार केवल आश्वासन और वादा करने वालों पर भरोसा नहीं करना है। चुनाव के समय तो सब जनता की ही चिंता करते हैं लेकिन सरकार बनते ही ऐसी योजना लाते हैं कि पब्लिक की ही मुसीबत हो जाती है।

असेंद्र कुमार- हां, फरवरी में तो बजट आ ही रहा है। देख लीजिएगा नोटबंदी से कितना लाभ हुआ देश को।

धीरज शुक्ला- आप लोग फिर वही नोटबंदी में चले गए। अरे भाई, हम लोगों को विधायक चुनना है कि पीएम बनाना है? नोटबंदी में ही लीजिए, जितनी प्रॉब्लम पब्लिक को हुई, कौन लोकल नेता साथ खड़ा हुआ? हवा-हवाई चर्चा करेंगे और हवा-हवाई नेता चुन लेंगे फिर रोएंगे।

मो। शबीह- सही कह रहे हैं। विधायक उसी को चुनना है जो हर समय साथ खड़ा रहे और क्षेत्र के विकास के बारे में सोचे। जान-बुझकर हम लोगों को गलत मुद्दों में उलझा दिया जाता है। इस बार एक ही मुद्दा है विकास।

विशाल श्रीवास्तव- मुद्दा तो हर बार रहता है भाई। नेता भी विकास के नाम पर ही वोट मांगते हैं लेकिन विकास करता कौन है? सब नेता रट्टा मारकर आते हैं। एक बार पूछ दीजिए कि कैसे विकास करेंगे और क्या विकास करेंगे तो बोलती बंद हो जाएगी।

दयाशंकर त्रिपाठी- इस बार विकास के साथ कानून भी मुद्दा बने। प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत खराब है। इसे कसने की जरूरत है। यह इस सरकार से तो होने से रहा।

राहुल गुप्ता- सही कह रहे हैं चाचा जी। एक बार किसी एरिया में कोई बवाल हो जाए तो काफी दिन तक कोई विकास काम नहीं होता वहां।

विशाल गुप्ता- हमारे पास तो अब जो भी आ रहा है, अपने मोहल्ले की रोड के बारे में पूछते हैं कि कब बनवाएंगे? आश्वासन तो पिछले साल भी एक दर्जन लोगों ने दिया था लेकिन कार्यकाल खत्म हो गया और रोड नहीं बनी। अब भाषण के नाम पर और बकवास बर्दास्त नहीं करेंगे।

टी-प्वॉइंट

हम लोगों को चुनाव से बहुत मतलब नहीं रहता लेकिन चुनाव के समय दुकानदारी अच्छी हो जाती है। सुबह से देर शाम तक रौनक बनी रहती है। लोग चर्चा करते रहते हैं और चाय भी बिकती रहती है। मुझे तो लगता है कि हर साल चुनाव हो तो दुकान पर रौनक बनी रहे। सालों से मेरी दुकान चल रही है। लोग चर्चा करते रहते हैं लेकिन मैं अपनी दुकानदारी में बिजी रहता हूं। पता नहीं किसी को कौन सी बात बुरी लग जाए।

सुरेश प्रजापति, दुकानदार