विधानसभा - गोरखपुर ग्रामीण
वक्त - दोपहर 3 बजे
चाय की चुस्कियों के साथ चर्चा का दौर जारी है। आई नेक्स्ट की ओर से ऑर्गनाइज चौपाल एक विधानसभा से दूसरी विधानसभा में सज रही है। शनिवार को आई नेक्स्ट की यह चौपाल गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में सजी। इस दौरान चुनावी समर की सरगर्मी देखते हुए लोगों का मिजाज भी लगातार बदल रहा है। जब आई नेक्स्ट ने इस इलाके के लोगों का दिल टटोलने की कोशिश की तो उनकी बातें सामने आई।
(चाय की दुकान पर व्यापारियों की महफिल सजी थी। इस दौरान चुनावी समर पर चर्चा भी चल रही थी। इस बीच आई नेक्स्ट टीम वहां पहुंची। आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बैठकर प्रॉब्लम के बारे में बात की, तो प्रॉब्लम से शुरू हुई चर्चा का रुख राजनीति की तरफ मुड़ गया.)
आई नेक्स्ट रिपोर्टर - शुक्रवार को हल्की बारिश हुई, लेकिन इसका असर आज भी नजर आ रहा है।
(रिपोर्टर की बात सुनकर बगल में बैठे राजेश नेभानी बोल पड़े)
राजेश - पहली बार आ रहे हैं क्या यहां? यहां तो हल्की सी बारिश में यही हाल हो जाता है। लोगों का गुजरना मुश्किल रहता है।
रिपोर्टर - आप लोगों ने इसकी कहीं शिकायत नहीं की है क्या?
राजेश - शिकायत! शिकायत तो इतनी बार की है कि अब करने का मन भी नहीं करता। अब इसकी आदत सी हो गई है।
वहीं बगल में बैठे संजय बोल पड़े
संजय कुमार अग्रवाल - अरे साहब, यहां वोट मांगने के लिए आने वाले जनप्रतिनिधियों से इसकी शिकायत करते-करते अरसा बीत गया, लेकिन लोगों को सिवाए आश्वासन के और कुछ नहीं मिला।
श्रीषी सुद्रानिया -मिलेगा क्यों भाई? उनका काम तो निकल गया। जब उन्हें वोट चाहिए था, तब आपकी प्रॉब्लम सुनने के लिए पहुंच गए। अब उनका काम हो गया है तो आपकी क्यों सुनेंगे।
वहीं चाय की चुस्की ले रहे रामनिवास चुटकी लेते हुए बोल पड़े
रामनिवास बिसनोई - फिर अपने दिन आ गए हैं। विधानसभा चुनाव सर पर है। अब फिर जनप्रतिनिधियों के दर्शन होंगे। प्रॉब्लम दूर करने के वादे होंगे। हकीकत फिर ऐसे ही होगी।
सुनील कुमार - सही कहा, यह तो नेताओं की पुरानी रीत है। 'आपना काम बनता, में जाए जनता' इनका यही नारा रहता है, तो वह इसी का पालन कर आगे बढ़ते हैं।
रामनिवास - सभी नेता एक जैसे हैं। लोगों की मुश्किलों को दूर करने का वादा करते हैं, लेकिन जीतने के बाद उन्हें अपने सिवा कोई नजर नहीं आता है।
श्रीषी सुद्रानिया - ऐसी बात नहीं है। कुछ नेता अच्छे भी होते हैं, लेकिन अगर अपने इलाके जैसे जनप्रतिनिधि हो जाएं तो जाहिर है कि लोग सभी को एक तराजू में रखकर तोलेंगे और सभी नेताओं को गाली सुननी पड़ेगी।
अवधेश साहनी - पिछले कई सालों से दीवान दयाराम मोहल्ले में जाम की समस्या है, लेकिन इसका आज तक कोई ठोस सॉल्यूशन नहीं मिल सका है।
राजेश नेभानी -सिर्फ यही नहीं। साफ-सफाई की हालत यहां बद से बदतर है। नाली हमेशा चोक रहती है, लेकिन तमाम तरह के बजट आने के बाद भी जनप्रतिनिधियों ने अब तक नाले-नाली को चौड़ा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
संजय कुमार - सही कह रहे हैं। बारिश के दिनों में तो मोहल्ले में आना-जाना मुश्किल हो जाता है। एक बार अगर फंस गए तो कई घंटे बर्बाद होना तय है।
सुनील - इन सबको छोडि़ए, वह सब प्रॉब्लम तो बनी रहेगी। यह बताइए इस बार आप वोट किसे दे रहे हैं।
राजेश - वोट देने के लिए पहले कोई ठीक कैंडिडेट तो नजर आए। आए दिन नेताओं के बीच जंग चल रही है। सुबह कहीं और शाम में कहीं और। जब नेताओं के खुद का ठिकाना नहीं है तो दूसरों के बारे में कहां सोचेंगे।
श्रीषी सुद्रानिया - सपा और कांग्रेस गठबंधन के बारे में क्या कहेंगे?
राजेश - गठबंधन सिर्फ वोट को डायवर्ट करने के लिए हुआ है। सीएम निश्चित तौर पर निर्विवाद लीडर हैं। मगर उनकी पार्टी की छवि अच्छी नहीं है। वहीं कांग्रेस भी इतनी मजबूत नहीं है कि कोई कमाल हो सके।
संजय कुमार - कुछ कह नहीं सकते। लोगों के सामने ऑप्शन के तौर पर कुछ नहीं है। सिर्फ गुणा-गणित की राजनीति चल रही है। सभी चुनाव शुरू होने के बाद ही अपने पत्ते खोलेंगे, इसलिए जस्ट वेट एंड वॉच।
अवधेश साहनी - बीजेपी ने ऐसा काम कर दिया है कि लोग उससे डरने लगे हैं। सपा और बसपा की इमेज भी अच्छी नहीं है। अगर कोई कांग्रेस को वोट करता भी है, तो उसका वोट बर्बाद ही जाएगा। मेरे ख्याल से नोटा भी बेस्ट ऑप्शन हो सकता है।
राजेश - छवि तो सबकी खराब है। मगर मेरे ख्याल से विकास करने वालों को ही वोट मिलना चाहिए। जो इसके लायक होगा, उसे ही वोट दिया जाएगा।