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लालडिग्गी चौराहा गोरखपुर विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र में आता है। यहां से करीब ही साहबगंज मंडी है। सिर्फ शहर ही नहीं बल्कि बाहर के भी अन्य जिलों में यहां से किराने का सामान सप्लाई होता है। इलाके में व्यापारियों की संख्या काफी ज्यादा है। ऐसे में चुनावी माहौल का इस इलाके पर और इस इलाके का असर चुनावी माहौल पर पड़ना तय है। इन सबके बीच इलाके के सियासी समीकरणों को आंकने के लिए टीम आई नेक्स्ट पहुंची यहां चाय पर चर्चा के लिए।

विधानसभा: गोरखपुर ग्रामीण

समय: 12.30

स्थान: लालडिग्गी चौराहा

आई नेक्स्ट टीम चाय की चर्चा के लिए यहां पहुंची तो कुछ लोग हाथ में चाय की गिलास पकड़े बातों में तल्लीन थे। वहीं अजय चौरसिया नाम के शख्स चाय का ऑर्डर दे रहे थे

अजय चौरसिया: ए भईया एगो चाय देबा। का बहस छेड़े हुए हैं आप लोग भाई। चुनाव यहीं बइठ के जिता दीजिएगा क्या?

राजू प्रजापति: अरे भैया, अभी तो खाली माहौल बना रहे हैं। मौका मिला तो फैसला भी करवा ही देंगे।

छोटू अग्रहरी: (बीच में टोकते हुए) जरूरजरूर। कुछ आप ही के हाथ में तो है। चुनाव की चौपाल भी और चुनावी नतीजा भी।

ये सब सुनकर वहां खड़े पिंटू खुद को रोक नहीं पाए

पिंटू: क्यों नहीं? सबकुछ जनता जनार्दन के हाथ में ही तो है। हम चुनावी चौपाल भी बिछा सकते हैं और चुनावी चौसर पर शह और मात का खेल भी खेल सकते हैं।

छोटू अग्रहरी: ये भाई ई सब त बड़ा सिद्धांत क बतकही हौ। थोड़ा अपने इलाके का हाल देखिए। फिर पता चल जाएगा कि हम कहां खड़े हैं।

सुरेंद्र: (छोटू से सहमति जताते हुए) एकदम सही बात कही है छोटू भाई ने। अपने इलाके का हाल तो ऐसा हो गया है कि लग रहा है यह बिल्कुल प्रतिनिधिविही है। अरे ज्यादा दूर मत जाइए। लालडिग्गी पार्क का ही हाल देख लीजिए।

पिंटू: हां भाई, अपने इलाके का विकास तो जैसे सपना हो गया है।

छोटू अग्रहरी: भैया, देश-प्रदेश में तो बड़ी बातें चल रही हैं। कोई कह रहा है कि अखिलेश ने बड़ा काम किया है। कोई कह रह है मोदी ने बड़ा काम किया है।

अमित: ए भाई, देख मोदी के देख लिहनी और अखिलेश के भी देख लिहनी। बहन जी के शासन में कम से कम कानून व्यवस्था त ठीक रहेला, ए बेर देख लिहा लोगन। मायावती के सरकार बनी। चाहे कुछ हो जाई। (अचानक बहस मायावती की तरफ रुख कर लेती है.)

छोटू अग्रहरी: (छोटू के ऊपर अमित की दलीलों का कोई असर नहीं होता। भड़कते हुए बात खत्म करते हैं) अरे तू देखत त रहा। अखिलेश और कांगेस के गठबंधन होई और सरकार दूनो मिलकर बनइए। काहे से की मोदी के नोटबंदी उन्हीं के खा गईल। देश के प्रधानमंत्री खाली बड़ी-बड़ी बात करेंले। आपन चाय पियजा। अ हमके संभाले दा दुकानदारी।

टी प्वाइंट

स्थानीय लोग यहीं चाय पीने आते हैं। यहां से लोग कभी अखिलेश को सरकार बनाते हैं तो कभी मोदी जी को। इस बार का विधानसभा चुनाव तो सबसे ज्यादा इंट्रेस्ट नजर आ रहा है। इसके पहले इतना इंट्रेस्टिंग चुनाव नहीं देखा। सबकी सुनता हूं। सरकार किसी की बने। जनता का भला होना चाहिए। स्थानीय समस्याओं का भी समाधान होना चाहिए। वरना इन सारी बातों का कोई मतलब नहीं रह जाता।

-आकाश प्रजापति, चाय दुकान मालिक।