गोरखपुर (ब्यूरो)।जहां गोरखपुर के रहने वाले मोहम्मद आरिफ को वेटरन कैटेगरी में लक्ष्मण सम्मान से नवाजा जाएगा। वहीं, एनई रेलवे के रेसलर और यश भारती अवॉर्डी जनार्दन सिंह यादव को भी प्रदेश सरकार लक्ष्मण सम्मान देगी। इसके साथ ही एनई रेलवे गोरखपुर में टीटीई के पद पर काम कर रहीं ज्योति शुक्ला को रानी लक्ष्मीबाई सम्मान से नवाजा जाएगा। कोरोनाकाल के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ मंगलवार को यूपी दिवस पर खिलाडिय़ों को राज्य के सर्वोच्च लक्ष्मण और रानी लक्ष्मीबाई खेल पुरस्कार से सम्मानित करेंगे। इस उपलब्धि पर हॉकी यूपी के उपाध्यक्ष धीरज सिंह हरीश, नरसा अध्यक्ष योगेश मोहन, महासचिव पंकज कुमार सिंह, हैंडबॉल सचिव कृष्ण चन्द्र सिंह, रेसलिंग सचिव जय प्रकाश सिंह, सहायक क्रीड़ा अधिकारी व रेसलिंग के कोच चन्द्र विजय सिंह और महिला हैंडबाल टीम के कोच अरविन्द कुमार यादव ने खिलाडिय़ों को बधाई दी है।
मोहम्मद आरिफ ने बिखेरी है चमक
गोरखपुर में 1970 में पैदा हुए मोहम्मद आरिफ ने स्कूल एजुकेशन के साथ ही हॉकी को अपना लिया। 6वीं की पढ़ाई के साथ ही उन्होंने हॉकी खेलनी शुरू कर दी। उनकी मेहनत और लगन का नतीजा यह रहा कि 1983 में उनका सेलेक्शन स्पोट्र्स हॉस्टल लखनऊ में हो गया। तीन साल कड़ी मेहनत के बाद उनका सपना मानों सच होने लगा। 1986 में उन्हें जूनियर नेशनल हॉकी टीम के लिए चुन लिया गया। उन्होंने श्रीनगर के खिलाफ अपना पहला मैच खेला और इसके बाद 1987 में लखनऊ से उनकी टीम का मुकाबला हुआ। दोनों ही मैच में उनकी टीम पहली पोजीशन पर रही। 1987-88 में उन्होंने सीनियर नेशनल टीम में जगह बनाई। इस दौरान दो बड़े अचीवमेंट उनके नाम दर्ज हुए। पहला यह कि उन्हें सीनियर नेशनल हॉकी टीम में जगह मिल गई। वहीं दूसरी ओर इंडियन एयरलाइंस में उन्हें जॉब भी मिल गई। उस समय इंडियन एयरलाइंस बेस्ट हॉकी टीम मानी जाती थी। इस टीम में जगह मिलने के बाद उन्हें एक्सपोजर मिला और यही से उनके इंटरनेशनल कॅरियर की शुरुआत हुई। आरिफ 1988 में कराची में हुए जूनियर एशिया कप का हिस्सा बने, इसके बाद उन्हें दिल्ली में 1988-89 के दौरान ऑर्गनाइज वल्र्ड कप में खेलने का मौका मिला। क्वालिफाइंग टूर्नामेंट में टीम ने तीसरी पोजीशन हासिल की। 1990 में उन्होंने बीएमडब्ल्यू ट्रॉफी और बीजिंग में ऑर्गनाइज 11वें एशियन गेम्स में खेलने का मौका मिलेगा। उन्होंने 1991 से 1993 तक लगातार तीन साल इंदिरा गांधी गोल्ड कप टूर्नामेंट भी खेला। 1992 में स्पेन में ऑर्गनाइज नेशनल टूर्नामेंट और 1993 में एशिया कप का हिस्सा भी बने। 1993 में उनकी टीम ने वल्र्डकप के लिए क्वालिफाई किया। जापान में ऑर्गनाइज 12वें एशियन गेम्स में खेल के बाद वह लखनऊ आ गए और वहीं जॉब पर फोकस करने लगे। उन्होंने 2001 तक इंडियन एयरलाइंस के लिए हॉकी खेली।
जनार्दन सिंह ने दिखाया है जलवा
एनई रेलवे के रेसलिंग खिलाड़ी जनार्दन सिंह यादव ने रेलवे के खाते में कई मेडल्स की बरसात की है। गाजीपुर के रहने वाले जनार्दन सिंह गोरखपुर के लिए खास रहे। उन्होंने नेशनल और इंटरनेशनल इवेंट में जलवा बिखेरा और यश भारती जैसा बड़ा सम्मान हासिल किया। इंटरनेशनल लेवल पर 1992 में वल्र्ड रेसलिंग चैंपिशनशिप में जहां जनार्दन सिंह को पांचवीं पोजीशन हासिल हुई। 2003 में कजाकिस्तान में ऑर्गनाइज एशिया कप में वह मेडल पाने से चूक गए, लेकिन चौथी पोजीशन हासिल की। एशिया कप में भी उन्हें चौथा स्थान प्राप्त हुआ। इस सीरीज में नेशनल लेवल पर उन्होंने 1989 में नेशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल हासिल किया। सीनियर नेशनल चैम्पियनशिप में 2000 व 2003 में भी सिल्वर मेडल और 2001 में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। इतना ही नहीं 2006 में उन्हें यश भारती पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 2000, 2001 व 2003 में वह उत्तर प्रदेश केसरी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहे।
ज्योति को मिलेगा लक्ष्मीबाई सम्मान
इंटरनेशनल हैंडबॉल प्लेयर ज्योति शुक्ला को भी रानी लक्ष्मीबाई अवार्ड से नवाजा जाएगा। मूल रूप से कानपुर की रहने वाली ज्योति शुक्ला एनई रेलवे में टीटीआई पद पर कार्यरत हैं। चौथी क्लब लीग चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया। 2018 में जकार्ता में ऑर्गनाइज 18वें एशियन गेम्स व जापान में ऑर्गनाइज 17वें एशियन चैम्पियनशिप में देश का प्रतिनिधित्व किया। 2019 में 13वें साउथ एशियन गेम्स, नेपाल में गोल्ड मेडल और 2022 में 19वें एशियन चैम्पियनशिप, कोरिया में देश का प्रतिनिधित्व करते हुए उम्दा प्रदर्शन किया। इसके साथ ही नेशनल लेवल के कॉम्प्टीशन में तीन बार गोल्ड मेडल हासिल किया।