- तीन माह की फीस को लेकर उलझा यूपी बोर्ड
- पैरेंट्स कर रहे कंप्लेंट
GORAKHPUR : सीबीएसई और सीआईएससीई की तर्ज पर यूपी बोर्ड ने भी अपना सेशन एक अप्रैल से शुरू कर दिया है। इस फैसले से भले ही रिजल्ट और एजुकेशन पर फर्क न पड़े, लेकिन नई-नई समस्याओं ने स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन को परेशान कर रखा है। जिसमें एक बड़ा मामला है तीन माह की फीस का। नया सेशन एक अप्रैल से स्टार्ट होने से जहां पैरेंट्स तीन माह की एक्स्ट्रा फीस देने के मूड में नहीं है, वहीं स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन के सामने नियमों के मुताबिक उसे छोड़ना मुश्किल है। फिलहाल मामला शासन तक पहुंच चुका है। अब जिले के अधिकारियों को जहां शासन के फरमान का इंतजार है, वहीं स्कूल एडमिनिस्ट्रेशन अधिकारियों के आदेश आने तक कोई फैसला करने के लिए रुके हैं।
लगातार आ रही कंप्लेंट
एक जुलाई से शुरू होने वाला यूपी बोर्ड का सेशन इस साल एक अप्रैल से शुरू हो गया। स्कूल ने टाइम पर रिजल्ट डिक्लेयर कर दिया तो पैरेंट्स ने बच्चों के एडमिशन के लिए फॉर्म भी भर दिया, मगर मामला अटक गया फीस पर। पैरेंट्स ने लास्ट सेशन की जून तक पूरी फीस भरी, मगर जब न्यू एडमिशन का टाइम आया तो स्कूल ने फिर अप्रैल से जून तक की फीस मांगी। इस पर पैरेंट्स का कहना है कि वे आलरेडी तीन माह की फीस भर चुके हैं। मगर स्कूल का कहना है कि न्यू एडमिशन के टाइम फर्स्ट क्वार्टर की फीस जमा करनी पड़ेगी। इसको लेकर लगातार पैरेंट्स की कंप्लेंट शिक्षा विभाग पहुंच रही है। मगर विभाग के अधिकारियों के पास भी कोई जवाब नहीं है। क्योंकि नियमानुसार स्कूल अपनी जगह ठीक है, मगर पैरेंट्स की कंप्लेंट भी गलत नहीं है। फिलहाल पूरा मामला अब शासन तक पहुंच गया है। गेंद अब शासन के पाले में है।
सेशन में बदलाव होने से ये प्रॉब्लम क्रिएट हुई है। नियमत: पूरे साल की फीस ली जाती है। इसके हिसाब से जून तक फीस ली गई है, मगर नया सेशन अप्रैल से स्टार्ट होने के कारण अप्रैल फीस ली जाएगी। इससे तीन माह की फीस डबल हो रही है। इस मामले में शासन के फैसले के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा।
एएन मौर्य, डीआईओएस