- शहर में अनट्रेंड किशोर और स्टूडेंट्स बेच रहे मेडिसिन

- दवा दुकानों पर फॉर्मासिस्ट को ही बेचनी है दवाएं

- एक फॉर्मासिस्ट के नाम पर चल रहीं कई-कई दुकानें

GORAKHPUR: यदि आप किसी दुकान पर दवा ले रहे हैं तो जरा सावधान रहें। सटी से लेकर रूरल एरियाज तक में दवा दुकानों पर बिना डिग्री ही युवक दवाएं बेच रहे हैं। यही नहीं, कई दुकानों पर तो पढ़ने वाले लड़के फॉर्मासिस्ट का काम संभाल रहे हैं। मेडिकल शॉप के लाइसेंस के लिए फॉर्मासिस्ट की डिग्री अनिवार्य है लेकिन विभाग की आंखों में धूल झोंककर एक फॉर्मासिस्ट की डिग्री पर कई-कई दुकानें चल रही हैं। वहीं शायद ही किसी दुकान पर कोई फॉर्मासिस्ट दवा देता नजर आए।

एक फॉर्मासिस्ट पर कई दुकानें

यदि विभाग के आंकड़े पर गौर करें तो जिले में 4000 दुकानें हैं। विभाग इतना ही फॉर्मासिस्ट भी होने की बात करता है लेकिन आप किसी भी दुकान पर चले जाएं तो शायद ही फॉर्मासिस्ट मिले। हकीकत यह है कि एक फॉर्मासिस्ट के नाम से कई-कई दुकानें चल रही हैं। कुछ ऐसे भी फॉर्मासिस्ट हैं जिनकी मौत हो चुकी है लेकिन उनके नाम पर कई दुकानें संचालित हैं।

प्रदेश में 1.18 दुकानें

यदि प्रदेश भर का आंकड़ा लिया जाए तो 1.18 लाख मेडिकल स्टोर्स हैं जबकि इनके मुकाबले 50 हजार ही फार्मासिस्ट हैं। सवाल उठता है कि बाकी दुकानें कौन चलाता है? उन्हें लाइसेंस कैसे मिला? हालांकि डेढ़ साल पहले मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस की ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद विभाग ने इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी है।

जांच में 252 लाइसेंस गलत

ड्रग विभाग ने गोरखपुर जिले में दुकानों के लाइसेंस की जांच करनी शुरू की तो मामला उजागर होने लगा। मात्र अप्रैल से सितंबर तक 252 ऐसे मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई की जा चुकी है। जिनमें मेडिकल स्टोर का इंस्पेक्शन, छापेमारी, नमूना संग्रहण, मुकदमा, लाइंसेंस निलंबन, लाइंसेंस निरस्तीकरण शामिल है। विभाग की मानें तो उसे भी पता है कि एक फॉर्मासिस्ट के सहारे कई दुकानें चल रही हैं। इसीलिए टीम इसकी जांच में लगी हुई है। जैसे ही पता चलता है कि किसी फॉर्मासिस्ट के नाम पर एक से अधिक दुकान है, उसे नोटिस भेजी जाती है। इसके बाद दुकान का लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई की जाती है।

मेडिकल स्टोर के लिए यह है नियम

- मेडिकल स्टोर का प्रत्येक व्यक्ति लाइसेंस डिस्प्ले करें।

- दुकान के अंदर फ्रीज जरूर हो।

- तीन साल के क्रय-विक्रय अभिलेख सुरक्षित हो।

- नार्कोटिक ड्रग के लिए अलग-अलग रैक हो।

- एक्सपाइरी दवाओं के लिए अलग-अलग रैक हो।

- फुटकर लाइसेंस में फार्मासिस्ट जरूर हो।

- कार्रवाई के एक हफ्ते के अंदर फार्मासिस्ट का हो सत्यापन।

प्वाइंट टू बी नोटेड

- सिटी में कुल 4000 दुकाने हैं।

- 250 दुकानों के लाइसेंस ऑनलाइन हैं।

- एक फार्मासिस्ट के नाम पर चल रहीं कई दुकानें।

- पहले मैनुअल लाइसेंस बनता था। अधिकारियों की मिलीभगत से एक फॉर्मासिस्ट के नाम पर कई दुकानों के लाइसेंस दिए गए हैं।

- ऑनलाइन प्रक्रिया शुरू होने के बाद कस रही है नकेल।

- ऑनलाइन सिस्टम में एक फार्मासिस्ट पर दो लाइसेंस होने पर साफ्टवेयर उसे ट्रेस कर लेगा और मामला आसानी से पकड़ में आ जाएगा।

मेडिकल स्टोर पर कार्रवाई

इंस्पेक्शन- 125

छापेमारी- 14

- दवाओं का नमूना संग्रहण - 64

- अवैध मेडिकल स्टोर चलाने वालों पर केस- 3

- लाइसेंस निलंबन - 32

- लाइसेंस निरस्तीकरण - 14

(अप्रैल से सितंबर तक)

मेडिकल स्टोर पर फॉर्मासिस्ट को ही दवा देना है। जिन दुकानों पर फॉर्मासिस्ट नहीं हैं, उनको चिन्हित कर छापेमारी की जा रही है। कई दुकानें के लाइसेंस निलंबित व निरस्त किए गए हैं। कार्रवाई जारी है।

- बृजेश कुमार यादव, ड्रग इंस्पेक्टर