गोरखपुर (ब्यूरो)।शुक्रवार की देर रात यूनिवर्सिटी ने विज्ञप्ति जारी कर पुलिस पर ये आरोप लगाया कि अगर उन्होंने प्रॉक्टर के साथ हुई मारपीट के बाद केस दर्ज कर लिया होता तो ये नौबत न आती। प्रशासन की चूक से यूनिवर्सिटी में इतनी बड़ी घटना हो गई।

कार्रवाई न होने से बढ़ा हौसला

यूनिवर्सिटी की ओर से बताया गया कि 13 जुलाई को उपद्रवी तत्वों ने चीफ प्रॉक्टर के साथ मारपीट की थी। इस संबंध में एफआईआर दर्ज करने के लिए लिखित सूचना दी गई थी, लेकिन ऐसा लगता है कि उनके विरूद्ध कोई निरोधात्मक या अन्य कार्यवाही नहीं हुई जिसके कारण उपद्रवी तत्वों का मनोबल बढ़ गया।

कौन हैं माहौल खराब करने वाले टीचर्स?

यूनिवर्सिटी ने अपनी विज्ञप्ति में बताया कि इस पूरी घटना में कुछ ठेकेदार भी मिले हुए हैं। वहीं, कुछ इसमें कुछ टीचर्स को भी संलिप्त पाया गया है। इन टीचर्स के खिलाफ भी कार्यवाही की जा रही है। आखिर वो टीचर्स कौन हैं जो यूनिवर्सिटी का माहौल खराब कर रहे हैं। इसकी जानकारी यूनिवर्र्सिटी की ओर से नहीं दी गई। जबकि तमाम ऐसे टीचर्स हैं जो एबीवीपी के कार्यकम में खुलेआम शामिल होते आए हैं, लेकिन इसके बाद भी यूनिवर्सिटी उनका नाम सार्वजनिक करने से कतरा रही है।

एग्जाम देने गए स्टूडेंट पर भी एफआईआर

पुलिस ने 22 नामजद लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसमें एक ऐसा स्टूडेंट भी है जो बड़हलगंज एग्जाम देने गया हुआ। उसका नाम भी एफआईआर में शामिल कर दिया गया है। एबीवीपी के क्षेत्रीय संगठन मंत्री घनश्याम शाही ने ट्विटर पर पोस्ट कर लिखा है कि 'उत्तर प्रदेश पुलिस कितनी गंभीर है? किस प्रकार निर्दोष लोगों को फंसाती है इसका उदाहरण सौरभ गौड़ है। 75 किलोमीटर दूर पेपर देने गए छात्र को पुलिस ने सिर्फ इसलिए मुकदमा किया क्योंकि वह एबीवीपी से जुड़ा है।

स्टूडेंट्स पर लाठीचार्ज की हो जांच : याज्ञवल्क्य

एबीवीपी के राष्ट्रीय महामंत्री याज्ञवल्क्य शुक्ल ने विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि 'शिक्षा संस्थान-संवाद, सहयोग, न्याय और लोकतांत्रिक मूल्यों का रचनात्मक केन्द्र हैं, सभी को बिना भेदभाव गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सामाजिक प्रतिबद्धता की लक्ष्य पूर्ति का माध्यम हैं, पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में वर्तमान स्थिति ठीक विपरीत है। गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रशासन की संवादहीनता, असहयोग, मनमानापन, तानाशाही रवैए के कारण शुक्रवार को दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हुई। शुक्रवार की घटना के संदर्भ में यह जांच होनी चाहिए कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन पर पुलिस ने क्यों लाठीचार्ज किया? प्रशासन की छात्रों के साथ संवादहीनता क्यों रही? घटना की पूरी सीसीटीवी फुटेज क्यों छिपाई जा रही है? गोरखपुर विश्वविद्यालय परिसर में प्रशासन के रवैए के कारण बनी नकारात्मक स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है.'