- आईजी के निर्देश के बाद भी एसपी, सीओ, एसओ के नहीं बने ट्विटर एकाउंट
- सोशल साइट्स पर पब्लिक को कंप्लेन में होती है आसानी, लेकिन ट्विटर से भाग रहे थानेदार
GORAKHPUR: पुलिसकर्मियों को उनके बड़े अधिकारी लगातार पब्लिक फ्रेंडली बनाने पर जोर दे रहे हैं। पब्लिक से सीधा जुड़ाव के लिए और उसकी सहूलियत के लिए सभी को सोशल साइट्स पर एक्टिव होने को कहा गया है। लेकिन, थानेदार ही क्या, बड़े अधिकारी तक इससे भाग रहे हैं। इस संबंध में आईजी के निर्देश के बाद भी कई पुलिस अधिकारियों व थानेदारों का ट्विटर एकाउंट एक्टिवेट नहीं हो सका है।
रोजाना चार से पांच कंप्लेन
प्रदेश में पब्लिक की शिकायतों को ऑनलाइन निस्तारित करने की योजनाएं चल रही हैं। डीजीपी ने साफ कहा है कि सोशल मीडिया पर पुलिस एक्टिव हो और पब्लिक की शिकायतों को ऑनलाइन फोरम पर लाकर दूर करें। इससे पब्लिक के बीच पुलिस की छवि सुधरेगी। थानों और चौकियों पर शिकायत दर्ज कराने से हिचकने वाले लोग भी अपनी शिकायतें दर्ज करा सकेंगे। इसके लिए पहले फेसबुक, फिर वाट्सअप पर जोर दिया। रेलवे में ट्विटर एकाउंट की सफलता को देखते हुए पुलिस डिपार्टमेंट भी ट्विटर पर आ गया। डीजीपी के निर्देश पर पुलिस अधिकारियों के ट्विटर एकाउंट बनाए गए। जिन पर सीधे ट्वीट करके पब्लिक शिकायतें दर्ज करा रही हैं। गोरखपुर में रोजाना चार-पांच मामलों की शिकायत आईजी, डीआईजी और एसएसपी को लोग ट्वीट कर रहे हैं।
थानेदारों को फरमान
करीब तीन माह से जोन, रेंज और जिले के सीनियर पुलिस अधिकारी ट्विटर पर एक्टिव हैं। लेकिन अन्य पुलिस अधिकारियों का ट्विटर एकाउंट एक्टिव नहीं हो सका। एक हफ्ते पूर्व डीजीपी की ओर से सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों, अपर पुलिस अधीक्षकों, पुलिस उपाधीक्षकों और थानाध्यक्षों का ट्विटर एकाउंट बनाने का निर्देश जारी किया गया। इसके बाद से ही पुलिस ट्वीट करने की तैयारी में लग गई। बावजूद इसके जिले में एसपी, सीओ और एसओ के एकाउंट एक्टिव नहीं हो सके। ट्विटर ने कई दरोगाओं की नींद उड़ा दी है।