(सुनील त्रिगुणायत). प्रशासन से मिले डाटा के अनुसार में गोरखपुर में आने वाले 10 ब्लैक स्पॉट कई सालों से हादसों का सबब बने हैं। यहां साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टर ठीक प्रकार से नहीं लगाए गए हैं। शासन ने कुछ दिन पहले ही गांव व कस्बों की सड़कों पर सुरक्षा के इंतजाम के लिए पीडब्ल्यूडी को लाखों रुपए जारी किए थे। इस रकम से इन सड़कों पर साइनेज बोर्ड लगाने, संकेतक, सफेद पट्टियां, कैट आई, ब्रेकर समेत अन्य सुरक्षा के कार्य करने थे, लेकिन हादसों को रोकने के लिए यह काम अधूरे नजर आते हैं।

नए एस्टीमेट में प्रावधान

पीडब्ल्यूडी के अफसरों के मुताबिक पिछले पांच साल से जितनी भी सड़कों के एस्टीमेट तैयार किए जा रहे हैं। उनमें सड़क सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। एस्टीमेट तैयार करते समय ही रोड सेफ्टी के सभी बिन्दुओं को शामिल कर रहे हैं।

माह एक्सीडेंट जानलेवा अघातक मौत घायल

मई 127 65 62 65 71

अप्रैल 45 16 29 16 26

मार्च 38 17 21 19 26

फरवरी 19 08 11 10 16

जनवरी 25 11 14 13 17

टोटल

एक्सीडें --254

जानलेवा--117

अघातक --137

मौत--- 123

घायल--156

इन 10 ब्लैक स्पॉट पर क्यों हो रहे हादसे

दाना पानी ब्लैक स्पॉट

हाइवे से तेज गति से भारी वाहन नीचे उतरते हैं। भारी वाहन उतरने की जगह पर ही रोड क्रॉस करने का कट है। इसके कारण दुर्घटना होती है।

कालेसर ब्लैक स्पॉट

गोरखपुर से लखनऊ की ओर जाने वाले वाहन एवं लखनऊ की तरफ से कुशीनगर एवं बिहार जाने वाले वाहन आपस में एक दूसरे को क्रॉस पार करते हैं, जिससे हादसे होते हैं।

बोक्टा ब्लैक स्पॉट

बोक्टा एरिया छोटा बाजार का क्षेत्र है। जहां ग्रामीण क्षेत्र के लोग पैदल एवं साइकिल से आते हैं। सड़क पार करने में अक्सर हादसे हो जाते हैं।

कसरौल ब्लैक स्पॉट

कसरौल एरिया ग्रामीण क्षेत्र है, साइकिल से चलने वाले एवं सड़क पार करने वाले अक्सर हादसे के शिकार होते हैं।

भीटी रावत ब्लैक स्पॉट

गोरखपुर शहर से लखनऊ जाने वाले वाहन एवं सोनौली की तरफ से आने वाले भारी वाहन दोनों एक ही साइड में लेफ्ट लेन में लखनऊ जाने के लिए मिलते हैं। दोनों तरफ से आने वाले वाहन गति अधिक होने के कारण हादसे का शिकार होते हैं।

नौसड़ ब्लैक स्पॉट

नौसड़ एरिया काफी भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है। भारी वाहन का आवागमन अत्यधिक रहता है, जिससे हादसे होते हैं।

कोनी ब्लैक स्पॉट

हाइवे से वाहन को उतरने एवं चढऩे के लिए किसी प्रकार का कोई अंडरपास या ओवरब्रिज नहीं है। इस कारण हाइवे पर चढ़ते उतरते समय वाहन तेज गति होने के कारण हादसे होते हैं।

महावनखोर ब्लैक स्पॉट

महावनखोर हाइवे से सटा हुआ ग्रामीण क्षेत्र है। सड़क पार करने में दुर्घटना हो जाती है।

रामनगर करजहा ब्लैक स्पॉट

कुशीनगर एवं बिहार की तरफ से आने वाले वाहन जब हाइवे से उतरते हैं तो पुलिस चौकी के कट के सामने गोरखपुर से देवरिया जाने वाले वाहन एक दूसरे को क्रॉस करते हैं, जिससे हादसे होते हैं।

मोतीराम अड्डा ब्लैक स्पाट

इस जगह पर अक्सर ओवरस्पीड के कारण हादसे होते हैं।

पुराने ब्लैक स्पॉट

पीपीगंज, जंगल धूसड़ से पिपराइच, चौरीचौरा भोपा बाजार, बेलो सिघावल, मरचहवा बाबा तिराहा, देवीपुर, रामपुर बुजुर्ग, चवरिया खुर्द, खजांची चौराहा, चौमुखी, भीटी रावत, कसीहार बगहीवीर मंदिर, मचरचही कुटी, रावतगंज, फुटहवा इनार, निबियहवा ढाला आदि।

नोट: एडमिनिस्ट्रेशन का यह डाटा 2021 का है।

वर्ष 2021 में हादसे

-439 -एक्सीडेंट

-186-मौतें

-275-घायल

वर्ष 2020 में

-323 एक्सीडेंट

-146 मौतें

215 घायल

वर्ष 2019 में

-330 एक्सीडेंट

-270 मौत

-344 घायल

ब्लैक स्पॉट पर ट्रैफिक से संबंधित व्यवस्था का जिम्मा पीडब्ल्यूडी का है। जहां ज्यादा हादसे होते हैं। हादसों को रोकने के लिए पीडब्ल्यूडी की ओर से साइन बोर्ड और रिफ्लेक्टर और रिपिडेटवार बनाया जाता है।

अनीता सिंह, आरटीओ

ब्लैक स्पॉट हादसे का प्लेस होता है। यदि सड़क पतली होती है तो उसका चौड़ीकरण किया जाता है। निर्माण के दौरान ही वहां पर सांकेतक, साइड बोर्ड, रिपिडेटआर और रिफ्लेक्टर आदि लगाए जाते हैं।

प्रवीण कुमार, एक्सईएन प्रांतीय खंड पीडब्ल्यूडी