गोरखपुर (ब्यूरो)। गोरखपुर में कोरोना के 59 पॉजिटिव केसेज हो चुके हैैं। इसको देखते हुए अब बीआरडी में बने आरएमआरसी लैब में कोरोना के वैरिएंट का पता लगाने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग के सैैंपल कलेक्शन का काम शुरू कर दिया गया है। सैैंपल रैंडमली लिया जाएगा। संक्रमित व्यक्ति की सीटी वैल्यू चेक की जा रही है। जिससे कि सैैंपल रिसेंट वाला ही लिया जा सके। हालांकि जीनोम सिक्वेंसिंग जांच के लिए जिन सीक्वेंसर मशीनों को लगाया गया है। इसे लैब में इंस्टॉल किया जा चुका है। ट्रायल के दौरान जांच के लिए रैंडम सैैंपल लिया जा रहा है। इसमें 96 घंटे से अधिक का समय लग रहा है। इस मशीन को नेक्स्ट जनरेशन (एनजीएस) मशीन कहते हैं। यह जर्मनी से आई है। इसी मशीन से वायरस के नए वैरिएंट का पता लगाया जाता है। इसके अलावा साइटोकाइन मशीन है, जो शरीर की प्रतिरोक्षक क्षमता का पता लगाती है। फ्लोसाइटोमैट्री मशीन, जो कोशिकाओं की जांच कर बीमारियों का पता लगाती है। इन सभी मशीनों को इंस्टॉल किया जा चुका है।

सीएम से इनॉगरेशन की कर रहे तैयारी

आरएमआरसी के अधिकारियों ने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लग चुकी है। इसके अलावा इसी माह मोबाइल बायोसेफ्टी लेवल बीएसएल-थ्री उपलब्ध हो जाएगा। बीएसएएल थ्री-लैब एक बस में होगी। जिसकी लंबाई सामान्य बस से डेढ़ गुना अधिक होगी। इसमें आधुनिक सुविधाएं मौजूद रहेंगी। खास बात यह है कि चलते-फिरते इस में जांच और शोध संक्रमित क्षेत्रों में जाकर हो सकेंगे। इस में टीबी, जापानी इंसेफेलाइटिस, कैंसर, कोरोना जैसी गंभीर बीमारियों की जांच भी मौके पर हो सकेगी। इसमें आरटीपीसीआर मशीन, एलाइजा मशीन भी है। टीबी एवं अन्य बैक्टीरिया की जांच के लिए सीबीनेट मशीन भी है। इसमें आरएनए एक्सट्रेक्टर और एडवांस जांच की मशीनें भी हैं। येलो फीवर वायरस, वेस्ट नाइल वायरस, कोरोना वायरस, स्वाइन फ्लू वायरस और मर्स वायरस पर शोध हो सकेगा है। सीएम से उद्घाटन की चर्चा है।

सिक्वेंसर मशीनें आ गई हैैं। सभी इंस्टॉल हो चुकी हैं। कोरोना के बढ़ते केसेज को देखते हुए जीनोम सिक्वेंसिंग भी शुरू कर दी गई है।

डॉ। अशोक पांडेय, वॉयरोलाजिस्ट