- बढ़ती जा रही वाहनों की संख्या, निकल रही हैं खतरनाक गैसेज
- शहर की हवा में घुल रहा है जहर, नहीं चेते तो भुगतेंगे
GORAKHPUR : पूरे शहर की हवा में जहर घुल रहा है। ऐसा हम नहीं, गोरखपुर यूनिवर्सिटी में हुए सर्वे की रिपोर्ट यही बताती है। सिटी के ज्यादातर इलाकों में खतरनाक गैसों की मात्रा मानक से ज्यादा है। ये गैसें हवा में घुलकर सांसों के जरिए हमारे और आपके शरीर में जा रही हैं। आई नेक्स्ट टीम ने ट्रैफिक से होने वाले एयर पॉल्युशन की हकीकत जानी तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई। पॉल्यूशन पर वर्क करने वाले एक्सपर्ट जितेंद्र द्विवेदी बताते हैं कि महानगर में विभिन्न कारकों से प्रतिदिन 40 टन से अधिक धुआं उत्सर्जित किया जा रहा है। इस धुएं में शामिल सल्फर डाई आक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड जैसी दम घोंटने वाली गैसेज शरीर के लिए बहुत नुकसानदायक हैं।
एक घंटे में गुजरते हैं चार लाख व्हीकल्स
ट्रैफिक डिपार्टमेंट से जुड़े सोर्सेज की मानें तो शहर के मुख्य 60 चौराहों से प्रति घंटे लगभग 3,94,370 वाहन गुजरते हैं, जिसमें 27,368 कारें होती हैं। शहर के टाउनहाल चौराहे से प्रति घंटे लगभग 12118 वाहन गुजरते हैं। सड़कें आज भी 25 साल पुरानी स्थिति में हैं जबकि उनपर कई गुना लोड बढ़ चुका है। ऐसे में जाम लगने का एक बड़ा रीजन वाहनों की बढ़ती संख्या और उसके अनुपात में सड़कों का चौड़ा न होना भी है।
डेली निकलती हैं इतनी गैस
पेट्रोल-डीजल की खपत- 200 गैलन
कार्बन मोनो ऑक्साइड?- 640 पौंड
कार्बन वाष्प- 40-50 पौंड
नाइट्रोजन के आक्साइड - 4-15 पौंड
इसके अतिरिक्त सल्फर कंपाउंड, कार्बन एसिड, अमोनिया बेस कार्बन भी शहर की हवा में घुलता है।
शहर की वायु में गैसों की स्थिति
प्लेस ऑक्सीजन कार्बन मोनो ऑक्साइड सल्फर डाइ ऑक्साइड
मानक 21.9 9 0.2
इंदिरा बाल बिहार 20.3 29 0.76
गणेश चौराहा 20.9 20 0.2
शाही मॉर्केट 20.4 31 0.7
विजय चौराहा 20 26 0.2
एडी चौराहा 19 28 0.3
टाउन हाल 20.9 14 0.2
नोट- ये आंकड़ा पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) में है। गैसेज के मानक डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित है।
हर महीने सांसों से ले रहे जहर
जून में गोरखपुर यूनिवर्सिटी की ओर से कराए गए सर्वे की फाइंडिग्स अलार्मिग हैं। इसके मुताबिक
महानगर में प्रत्येक व्यक्ति हर महीने 645 ग्राम कार्बन मोनो ऑक्साइड, 54 ग्राम हाइड्रोकार्बन और 30 ग्राम नाइट्रोजन ऑक्साइड ग्रहण कर रहा है। इसके अतिरिक्त सल्फर डाई ऑक्साइड एवं सीसा जैसे अन्य हानिकारक पदार्थ प्रदूषित मानव शरीर में पहुंच रहे हैं। इन रासायनिक तत्वों के बढ़ने से नगर के वातावरण में सीसा जैसे तत्व बढ़ रहे हैं जिससे फेफड़ों से संबंधित बीमारियां, चर्म रोग, आंखों में जलन एवं मानसिक तनाव आदि बढ़ते जा रहे हैं।