- भूकंप के बाद नेपाल में आंदोलन ने रोका सैलानियों का रास्ता

- पिछले साल के मुकाबले जुलाई-अगस्त में आने वाले सैलानियों की संख्या में आई भारी गिरावट

GORAKHPUR : पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में चल रहे आंदोलन का असर गोरखपुर टूरिज्म पर पड़ने लगा है। पिछले 14 दिनों से चल रहे हिंसक आंदोलन ने टूरिज्म डिपार्टमेंट की चिंता बढ़ा दी है। इससे पहले जहां भूकंप की वजह से पर्यटकों की आमद पर असर पड़ा था, वहीं अब तो उंगलियों पर गिनने लायक संख्या में टूरिस्ट आ रहे हैं। एक्सप‌र्ट्स की मानें तो टूरिस्ट्स के न आने से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। जानकारों की मानें तो आंदोलन के चलते टूरिज्म इंडस्ट्री को करीब दो अरब रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है।

फिर से लग गया ब्रेक

टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक भूकंप के बाद से लगातार टूरिस्ट्स की संख्या में गिरावट आई है। पिछले महीने टूरिस्ट्स की संख्या में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी, लेकिन आंदोलन ने फिर टूरिज्म सेक्टर की कमर तोड़नी शुरू कर दी गई है। 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद मई में 231 विदेशी सैलानी आए। जुलाई में 547 और अगस्त में अभी तक सिर्फ 324 सैलानी ही आए हैं।

देशी पर्यटकों ने भी किया किनारा

नेपाल के आंदोलन ने सिर्फ विदेशियों को ही नहीं, इंडियन टूरिस्ट्स को भी हिट किया है। आंदोलन के दौरान कभी भी हिंसा भड़कने की आशंका ने लुंबिनी में भी सन्नाटा है। नेपाल जाने वाले टूरिस्ट्स के लिए गोरखपुर ट्रांजिट प्वाइंट की तरह काम करता है। टूरिस्ट्स के ने आने से ट्रेवल एजेंट्स, होटलों और गाइड्स की कमाई ठप पड़ी है।

टूरिज्म डिपार्टमेंट की मानें तो अप्रैल से लेकर अब तक दो अरब रुपए से उपर का नुकसान हुआ है।

2015 में आए सैलानी

मंथ टूरिस्ट (2014) टूरिस्ट (2015)

जनवरी 1,334 1,433

फरवरी 1,223 1,324

मार्च 1,232 1,133

अप्रैल 1,126 673

मई 1,132 231

जून 1,432 227

जुलाई 1,325 547

अगस्त 1,456 324

इस वर्ष सैलानियों की संख्या में भारी कमी आई है। अप्रैल और मई माह में भूकंप के चलते सैलानी नहीं आए। इधर फिर से सैलानियों के आवागमन पर ब्रेक लग गया है। इनके न आने से काफी नुकसान हुआ है।

अरविंद कुमार, टूरिस्ट अफसर, रीजनल टूरिस्ट ऑफिस, गोरखपुर