गोरखपुर (ब्यूरो)। वहां जाने के बाद मुझे एहसास हुआ कि अहंकार और अकड़ आपके स्वाभिमान को नीचा गिराती है। मुहल्ला अस्सी की शूटिंग के दौरान अर्थी देखकर यह अहसास हुआ कि जिंदगी कुल 12 हजार का खेल है। आखिरी वक्त में लोग अंगूठी भी उतरवा लेते हैं और पास कुछ नहीं रह जाता। यह बातें फेमस सिने स्टार और गोरखपुर के सांसद रवि किशन शुक्ल ने शेयर कीं। वह गोरखपुर लिटरेरी फेस्ट में आयोजित 'गुफ्तगूÓ सेशन में अपनी बातें रख रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर मुझे किसी चीज से डर लगता है तो वह है कलंक। प्रधानमंत्री के साथ अपनी छोटी बेटी की मुलाकात के संस्मरण साझा किए। बताया कि उनकी बेटी सेना में शार्प शूटर है। उन्होंने श्मशान घाट पर दिए गए बयान का किस्सा बड़़े रोचक अंदाज में सुनाकर लोगों को गुदगुदाया। एंकरिंग अमृता धीर मेहरोत्रा ने जबकि सेशन को मॉडरेट प्रकृति त्रिपाठी ने किया।
जो कुछ भी हूं दूरदर्शन की बदौलत
मैं रेंग कर आगे बढ़ा हूं। बहुत संघर्ष किया। मेरे जीवन के पीछे मेरा इतिहास है। 750 से अधिक फिल्में, और विभिन्न भाषाओं में फिल्में कीं और यह यात्रा लगातार जारी है। दूरदर्शन ने मुझे बड़ा मंच दिया और मैं आज जो कुछ भी हूं दूरदर्शन की बदौलत हूं। अपने तकिया कलाम 'जिंदगी झंड बा फिर भी घमंड बाच् कहानी बताते हुए उसे डिकोड किया और बताया कि इंसान को घमंड नहीं करना चाहिए। उसे अपने स्वाभिमान से किसी कीमत पर समझौता नहीं करना चाहिए।
कलाकर भी कर सकते हैं राजनीति
राजनीति से जुड़े हुए सवाल के जवाब में सांसद रवि किशन ने कहा कि लोगों में यह मिथक है कि कलाकार कभी राजनीति नहीं कर सकते। उन्होंने मैंने एनटीआर, एमजीआर, जयललिता को देखा है और उनसे प्रेरणा मिली। पूज्य महाराज योगी और मोदी के सानिध्य में मुझे यह सौभाग्य मिला कि मैं देश का सर्वश्रेष्ठ सांसद बना। कलाकार भावुक होता है। मुझे लोगों से प्यार मिलता है। उनका समर्थन मिलता है। इसलिए अब मुझे अच्छा लगता है।
भोजपुरी में गलतियों का मलाल
मैं जौनपुर और बनारस के बॉर्डर का हूं। मुझमें रस ही रस है। काम के प्रति नशा आपको बहुत आगे बढ़़ाता है। ये आपको कभी बूढ़ा नहीं होने देता। आने वाला समय भोजपुरी फिल्मों का समय है। लोगों के नजरिए को बदलने के लिए हम दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। मुझे भी भोजपुरी फिल्मों में की गई गलतियों का मलाल है। आज मैं उसे सुधारने की कोशिश में पूरी ईमानदारी से लगा हूं। साहित्य की रुचि मुझमें मेरे पिताजी से जगी। साहित्य की पूंजी के बल पर ही आज मैं हर मंच पर विचार रख पाता हूं। मुझे मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम व भगवान शिव से अपार प्रेरणा मिलती है, क्योंकि इनका वयक्तित्व स्वयं में एक अनुकरणीय साहित्य है। मैं लोगों में साहित्य खोजता हूं। चुनाव के समय मैंने बड़ी मेहनत की और लोगों के बीच गया।