कॉमन इंट्रो

GORAKHPUR: आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर क्षेत्र में अभी से सरगर्मी तेज हो गई है। खासकर टिकट के लिए दावेदारी तेज हो गई है। गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से तो भाजपा के 22 कार्यकर्ताओं ने दावेदारी की है। वहीं टिकट मिलने के बाद कटने से सपा कार्यकर्ताओं में ऊहापोह की स्थिति है। सभी अपनी दावेदारी पक्की करने के लिए जुगाड़ लगाने में लगे हुए हैं।

एक सीट, 22 दावेदार

- गोरखपुर ग्रामीण सीट के लिए 22 भाजपा कार्यकर्ताओं ने की है दावेदारी

- विजय बहादुर यादव के सपा में शामिल हो जाने के बाद दांव चल रहे कार्यकर्ता

GORAKHPUR: गोरखपुर शहर और ग्रामीण दोनों ही विधानसभा क्षेत्र उसका गढ़ माने जाते हैं। ऐसे में गोरखपुर ग्रामीण से भाजपा नेता विजय बहादुर सिंह के सपा में शामिल होने के बाद इस सीट से अपनी दावेदारी पक्की करने के लिए कार्यकर्ताओं में होड़ सी मच गई है। भाजपा के लोग भले ही न बोले, लेकिन पार्टी पदाधिकारियों के लिए यह सीट पसीने छुड़ाने लगी है। 22 दावेदारों के आवेदन प्रदेश नेतृत्व के पास पहुंचे हैं जिससे पार्टी के सामने परेशानी खड़ी हो गई है।

पांच सदस्य डाले हैं लखनऊ में डेरा

भाजपा के एक पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र खाली होने के बाद कार्यकर्ता यह चाह रहे हैं कि यहां से जिसे भी टिकट मिले वह पार्टी का करीबी हो। पार्टी सूत्रों की मानें तो एक दर्जन से अधिक आवेदक सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही लखनऊ में डेरा डाले हुए हैं। यह पार्टी के बढ़े पदाधिकारियों के यहां जाने के साथ ही साथ अपने लोकल लेवल के दमखम के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं। वैसे गोरखपुर ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र पर लगभग 22 नेताओं ने टिकट के लिए दोवेदारी ठोंकी है। वहीं एक और पूर्व पदाधिकारी ने बताया कि हम लोग किसी नेता के पीछे क्यों घूमेंगे। पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में सालों से कार्य करते आ रहे हैं। ऐसे में आज ग्रामीण सीट खाली है तो हमें मौका मिलना चाहिए।

स्वयं सेवक होने का दे रहे हवाला

भाजपा के यहां दावेदारी करने वाले अपना सब कुछ जानकारी पार्टी को दे रहे हैं। एक दावेदार जो बहुत ही पुराने हैं वह अपना 1980 में जनसंघ की सदस्यता की रसीद लगाकर भाजपा के प्रदेश कार्यालय में एक पत्र लिखकर अपनी दावेदारी की है। वहीं एक अन्य दावेदार अपने के साथ ही साथ परिवार के सदस्यों के बारे में संघ और भाजपा से जुड़े होने की जानकारी दी है। गोरखपुर ग्रामीण विधान सभा क्षेत्र में तीन दावेदार सबके लिए परेशानी का कारण बने हुए हैं। पार्टी के एक महिला मोर्चा के प्रदेश पदाधिकारी ने बताया कि तीन नेता में एक नेता को स्थानीय स्तर पर पार्टी और मंदिर में जगह बनाए हुए हैं, जबकि एक नेता जी को प्रदेश पदाधिकारियों की तरफ से हरी झंडी मिली है। वहीं सबसे अधिक परेशानी का सबब एक नेता जी हैं जो राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की टीम से जुगाड़ लगा रहे हैं।

वर्जन

भाजपा के पास टिकट के दावेदारों के आवेदन काफी हैं। किसी सीट पर आठ तो किसी पर 22 तो किसी पर 23 आवेदन आए हैं। इसमें पार्टी अपने हिसाब से तय करेगी। अभी भाजपा का प्रदेश सरकार विरोधी अभियान चल रहा है।

जनार्दन तिवारी, अध्यक्ष भाजपा

----------

जरा चेक करवा लीजिए, मेरा नाम है कि नहीं

- नई लिस्ट को लेकर बढ़ी सपा प्रत्याशियों की धड़कनें

- जानकारी जुटाने को लेकर दिनभर करते रहे मशक्कत

विधान सभा चुनाव के पहले सपा प्रत्याशियों के नाम बदलने को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई है। जिले में दो बार प्रत्याशियों के नाम में बदलाव हो चुके हैं। रविवार को मुख्यमंत्री की ओर से नए प्रत्याशियों की सूची सौंपे जाने का असर गोरखपुर में नजर आया। सोशल मीडिया में मामला सामने आने पर अलग-अलग खेमों में बंटे प्रत्याशियों की धड़कने बढ़ गई। घोषित प्रत्याशियों ने लखनऊ में अपने जानने वालों को फोन करके सूची में शामिल लोगों का नाम जानने की कोशिश की। सपा से जुड़े लोगों का कहना है कि अभी कुछ सीटों पर बदलाव संभव है, लेकिन समस्या उन प्रत्याशियों के लिए हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।

सूचना वायरल होने से सकते में प्रत्याशी

चुनाव के लिए सपा प्रत्याशियों ने कमर कस ली है। 24 दिसंबर को गोरखपुर ग्रामीण के विधायक विजय बहादुर यादव ने पिपरौली, महावीर छपरा सहित कई जगहों पर जनसभाएं करके चुनाव प्रचार किया। विजय बहादुर के अलावा अन्य प्रत्याशी भी जोर-शोर से प्रचार में जुटे हुए हैं। रविवार की देर शाम सोशल मीडिया के जरिए सपा नेताओं को नई सूची के बारे में जानकारी मिली। मुख्यंत्री अखिलेश यादव ने पूर्व में घोषित प्रत्याशियों के इतर एक नई सूची बनाकर राष्ट्रीय अध्यक्ष को सौंपी है। करीब 402 विधान सभा सीट के प्रत्याशियों के नाम की नई सूची से पार्टी में हड़कंप मचा हुआ है।

आपराधिक मामलों में नाम तो कटेगा टिकट

जिले की कुल नौ विधान सभा सीटों में दो पर सपा से जुड़े विधायक हैं। इनके अलावा सात विधान सभाओं में घोषित प्रत्याशी चुनाव प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। नई सूची की चर्चा होने पर अपने-अपने विधान सभा क्षेत्रों में प्रचार कर रहे संभावित प्रत्याशी संशय में पड़ गए। सोमवार को उनको समर्थक और कार्यकर्ता भी परेशान हाल नजर आए। सपा में अलग- अलग खेमों में बंटे समर्थकों के बीच काफी सरगर्मी रही। घोषित प्रत्याशी किसी न किसी तरह से लखनऊ से जुड़कर सूची की सच्चाई का पता लगाने में जुटे रहे। हालांकि इस दौरान यह सामने आया कि ऐसे प्रत्याशी जिन नर आपराधिक मामले दर्ज हैं उनका नाम काटकर नई सूची बनाई गई है।