- बिजली विभाग के कारनामे से परेशान हुई पब्लिक
- वित्तीय वर्ष के अंत में अचानक शो होने लगी स्टोर रीडिंग
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र : बिजली विभाग की लापरवाही और कंज्यूमर्स की थोड़ी से चालाकी उन्हीं पर भारी पड़ने लगी है। फायनेंशियल इयर की क्लोजिंग के वक्त बिजली बिल देखकर कई कंज्यूमर्स के होश उड़ गए हैं। जिनके यहां हर माह 1 हजार रुपए का बिल आता था, मार्च माह में 10 से 15 हजार रुपए का बिल आया है। अब अचानक इतना अधिक बिल आ जाने से कंज्यूमर्स के माथे पर पसीने छूटने लगे हैं। इस बिल को लेकर कंज्यूमर्स ऑफिस के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन कर्मचारियों की कमी के कारण इनका बिल सही नहीं हो पा रहा है।
हर साल मार्च में आती है प्रॉब्लम
सिटी में करीब 30 हजार कंज्यूमर्स ऐसे हैं जिनके यहां बिजली विभाग के कर्मचारी रीडिंग लेने नहीं जाते हैं। ये कंज्यूमर्स खुद रीडिंग नोट कर बिलिंग सेंटर्स पर लाते हैं और हर महीने अपना बिल बनवाते हैं। कई बार कंज्यूमर्स चालाकी दिखाते हुए रीडिंग गलत बताते हैं या रीडिंग नोट?करने में गलती कर बैठते हैं। ऐसी कंडीशन में उनका बिल कम रीडिंग पर बन जाता है, जबकि वास्तव में रीडिंग ज्यादा होती है। यह रीडिंग हर महीने इकट्ठा होती रहती है और फायनेंशियल इयर की क्लोजिंग पर जब टारगेट पूरा करने के लिए रीडिंग वेरिफाई होती है तो अचानक स्टोर रीडिंग शो होने लगती है। यह स्टोर रीडिंग कंज्यूमर्स के फरवरी माह के बिल में जुड़ जाती है।
बिजली विभाग को खुद लेनी होगी रीडिंग
सिटी में कुल 1.43 लाख इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूमर्स हैं। एक्सईएन एके सिंह की मानें तो करीब 70 हजार कंज्यूमर्स के यहां घर पर बिल पहुंचता है, 25 से 30 हजार कंज्यूमर्स बिलिंग सेंटर्स पर आकर खुद ही बिल निकलवाते हैं। बचे हुए कंज्यूमर्स का बिल बनता है कि नहीं, इसकी कोई जानकारी विभाग के पास नहीं होती। अगर बिजली विभाग एक लाख कंज्यूमर्स के घर जाकर बिल निकाले तो करीब 90 परसेंट कंज्यूमर्स का बिल बनने लगेगा। अभी जिन कंज्यूमर्स का बिल नहीं बनता है, उन्हीं के बिल में स्टोर रीडिंग शो कर रहा है, अगर बिजली विभाग थोड़ी जहमत और उठा ले तो इतनी परेशानी से बचा जा सकता है।