गोरखपुर (ब्यूरो)।इसमें ऐसे स्पॉट भी हैं, जो एंटरटेनमेंट के लिए संजीवनी का काम कर रहे हैं, तो वहीं कुछ ऐसे स्पॉट्स भी हैं जो यह अपने आप में इतिहास की लंबी दास्तान भी समेटे हुए हैं। आइए जानते हैं गोरखपुर के कुछ ऐसे ही स्पॉट्स और उनकी गोरखपुर जंक्शन से दूरी और वहां पहुंचने के ऑप्शन, जिससे आपकी छुट्टियां भी बोरियत के साथ नहीं बीतेंगी।
रामगढ़ताल सबसे बेहतर ऑप्शन
जंक्शन से दूरी - करीब 2 किमी
साधन - इलेक्ट्रिक बस, ई-रिक्शा, टेंपो-ऑटो
टूरिस्ट बोट जेट्टïी - करीब 5500 मंथली
गोरखपुर में टूरिस्ट स्पॉट या यूं कहें कि शहरवासियों के लिए बेस्ट पिकनिक स्पॉट अगर कोई है, तो वह है रामगढ़ताल। इस बेहतर टूरिस्ट स्पॉट में काफी चेंजेस हुए हैं। अब यहां न सिर्फ बोटिंग शुरू हो चुकी है, बल्कि पिकनिक के लिए लोगों को हुजूम पहुंचने भी लगा है। वीकेंड हो या फिर कोई खास फेस्टिवल, यहां आने वालों की भीड़ इसकी अहमियत बता देती है। अब प्रदेश की सबसे बड़ी वॉटर स्क्रीन और उसमें चलने वाला लाइट एंड साउंड शो भी लोगों को लुभाने में अहम जिम्मेदारी निभाता है। इसके साथ ही अब सी-व्यू देखने के लिए व्यूइंग डेक और पेट पूजा के लिए वहां पर ढेरों स्ट्रीट फूड स्टॉल्स मौजूद हैं। इतना ही नहीं, जल्द ही रामगढ़ताल में वॉटर स्पोट्र्स के खिलाड़ी भी तैयार किए जाएंगे। वहीं फ्लोटिंग रेस्टोरेंट में लोगों को लजीज व्यंजनों को चखने का मौका मिलेगा।
गोरखनाथ मंदिर
जंक्शन से दूरी - करीब 2 किमी
साधन - इलेक्ट्रिक बस, ई-रिक्शा, टेंपो-ऑटो
टूरिस्ट - करीब 10,100 प्रति माह
रामगढ़ताल के बाद अगर लोगों का वीकेंड कहीं मनता है तो वह है गोरखनाथ मंदिर। सीएम योगी आदित्यनाथ की देखरेख वाले इस मंदिर में हर हफ्ते ही सैकड़ों लोगों का हुजूम उमड़ता है। यह मंदिर गोरखपुर का सबसे फेमस मंदिर है, जहां लगने वाला खिचड़ी का मेला, देश ही नहीं विदेशों में भी फेमस है। नेपाल के राजा हर साल खुद यहां खिचड़ी चढ़ाने के लिए पहुंचते हैं। हर साल यहां मकर संक्रांति के मौके पर मेला लगता है, जिसमें श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। गोरखनाथ मंदिर करीब 52 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। मंगलवार को यहां भक्तों की भारी भीड़ होती हैं। मंदिर में दर्शन करने के लिए लोग दूर दूर से आते हैं।
चिडिय़ाघर -
जंक्शन से दूरी - करीब 5 किमी
साधन - इलेक्ट्रिक बस, ई-रिक्शा, टेंपो-ऑटो
टूरिस्ट - करीब 75,372 प्रति माह
गोरखपुर का चिडिय़ाघर रेलवे स्टेशन से करीब 5 किलोमीटर दूर स्थित है। चिडिय़ाघर का नाम शहीद अशफाकउल्ला खां प्राणि उद्यान नाम से पहचाने जाने वाले इस चिडिय़ाघर का इनॉगरेशन 27 मार्च 2021 में किया गया। चिडिय़ाघर करीब 131 एकड़ में बना हुआ है। चिडिय़ाघर में सुबह 9 बजे से एंट्री की जा सकती है, जबकि 5 बजे तक टूरिस्ट यहां जानवरों को देख सकते हैं। वीकली क्लोजिंग सोमवार को है, जबकि एंट्री के लिए टिकट है। 6 साल से कम उम्र के बच्चे का कोई टिक्ट नहीं है, जबकि 13 साल तक 25 रुपए और उसके ऊपर 50 रुपए खर्च करने पड़ेंगे।
गीता प्रेस
जंक्शन से दूरी - करीब 5 किमी
साधन - ई-रिक्शा, टेंपो-ऑटो
टूरिस्ट - लगभग 425-500
देश में सबसे पुराने प्रकाशकों में से एक गीता प्रेस की नींव 29 अप्रैल, 1923 को गोरखपुर में जय दयाल गोयनका और घनश्याम दास जालान ने रखी थी। जय दयाल गोयनका और घनश्याम दास जालान ने गीता प्रेस की शुरुआत 'सनातन धर्मÓ के सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए की थी। गीता प्रेस हिंदू धार्मिक ग्रंथों का प्रकाशन करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी प्रकाशक है। हनुमान प्रसाद पोद्दार जिन्हें 'भाईजीÓ के नाम से जाना जाता है, वो गीता प्रेस की प्रसिद्ध पत्रिका के संस्थापक और आजीवन संपादक थे। गीता प्रेस ने सन 1927 में 1600 प्रतियों के संचालन के साथ प्रकाशन शुरू किया था। गीता प्रेस की आर्काइव में 3,500 से अधिक पांडुलिपियां हैं, जिनमें 'भगवद गीताÓ की 100 से अधिक व्याख्याएं शामिल हैं। गीता प्रेस 2023 में प्रकाशन के क्षेत्र में अपने 100 सालों का सफर पूरा कर चुका हे। समापन समारोह में पीएम को न्यौता भेजा गया है। गीता प्रेस की ओर से प्रकाशित ग्रंथहिंदी, संस्कृत, इंग्लिश, उर्दू, बंगला, कन्नड़, मराठी, तमिल, तेलगु, गुजराती, उडिय़ा, नेपाली के साथ 14 लैंग्वेज में पब्लिश किए जा रहे हैं।
रेल म्यूजियम -
जंक्शन से दूरी - करीब 500 मीटर
साधन - ई-रिक्शा, टेंपो-ऑटो
टूरिस्ट - करीब 18,976
शहर के बीच में बना रेलवे म्यूजियम रेलवे की विकास गाथा को बयां कर रहता है। गोरखपुर जंक्शन से महज कुछ दूरी पर मौजूद इस रेल म्यूजियम में पुराने इंजन, उपकरण, मॉडल और डॉक्युमेंट्स रखे गए हैं। यहां एनई रेलवे का पहला इंजन लार्ड लारेंस भी मौजूद है। इसको लंदन में 1874 में डब्स कंपनी ने बनाया था। लंदन से यह इंजन को बड़ी नाव से कोलकाता तक लाया गया। लार्ड लारेंस को देश की पहली रेलगाड़ी खींचने वाले इंजन लार्ड फॉकलैंड का यंगर सिब्लिंग कहा जाता है। 20 टन क्षमता का ट्रेवलिंग स्टीम क्रेन भी लोगों के लिए खास है। इसका निर्माण इटली में हुआ था.रेल म्यूजियम एनई रेलवे की पुरानी बिल्डिंग (लगभग 125 साल पुराना) में से एक है। भवन का निर्माण 1890 और 1900 के बीच हुआ। म्यूजियम की नींव नौ अप्रैल, 2005 को तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने रखी थी। यहां एंट्री के लिए भी टिकट लेना पड़ेगा।