- आम के अधिकतर पेड़ों पर लग गए हैं दीमक

- प्रति पेड़ 100 रुपए खर्च कर बचा सकते हैं पैदावार

GORAKHPUR:

फलों के राजा आम का स्वाद कुछ दिनों बाद मिले, इसके लिए जरूरी है कि अभी पेड़ों की देखभाल सही ढंग से हो। दो माह बाद ही आम के पेड़ बौर लेने वाले हैं। लेकिन अधिकतर पेड़ों पर इस समय दीमक ने हमला बोल दिया है। यदि पेड़ों को दीमक से नहीं बचाया गया तो पैदावार बुरी तरह प्रभावित होगी और पेड़ सूख तक सकते हैं। दीमक के प्रभाव से कई पेड़ों के तनों में मिट्टी लगा दिख रहा है। लेकिन, कृषि विशेषज्ञों की मानें तो प्रति पेड़ पर मात्र 100 रुपए खर्च कर आगामी उत्पादन को सुरक्षित किया जा सकता है।

दीपक का फैला डर

राप्तीनगर निवासी आम के एक व्यापारी ने बताया कि दीमक लगने से पेड़ सूखने लगे हैं। यदि किसी तरह पेड़ बच भी गया तो उत्पादन काफी कम होता है। पिछले साल मेरे बाग के दो पेड़ पर दीमक लग गए। दीमक लगने से स्थिति यह हुई कि उस पेड़ से केवल 20 से 25 किग्रा के लगभग उत्पादन हुआ। जबकि अन्य पेड़ से 50 किग्रा से अधिक का उत्पादन हुआ। वहीं महेवा फलमंडी का रिकॉर्ड देखें तो पिछले साल दीमक के हमले के कारण उत्पादन कम हुआ था और 25 प्रतिशत आयात में कमी आई थी। इस बार व्यापारी अभी से दीमक को लेकर डर गए हैं।

सूख गए पेड़

नौसढ़ एरिया के रहने वाले भागीरथी निषाद के वहां दो साल पहले आठ आम के पेड़ थे। पेड़ में दीमक लगने शुरू हो गए, लेकिन जानकारी के अभाव में उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया। परिणाम हुआ कि आठ माह में तीन पेड़ सूख गए। यही हाल रसूलपुर के दशहरी बगिया में पिछले साल हुआ था। एक साल में आम के 150 अधिक पुराने पेड़ सूख गए।

ऐसे बचाइए फलों के राजा को

- तने के पास दो फीट जमीन खोदकर उसमें फॉरेट 10 एमजी नामक दवा का घोल मिलाकर डाल दें।

- 10 साल पुराने पेड़ में क्लोराइड फास्ट का 10 ग्राम का एक पैकेट और इससे कम साल वाले पौधों में 5 ग्राम के पैकेट वाली दवा जड़ में दो से तीन फीट खोदकर डाल दें।

- घरेलू उपाय में दीमक लगे पेड़ में 5 किग्रा। नीम की खली डालें।

- बारिश के बाद आम के पेड़ की जड़ में कंपोजिंग खाद डालें।

गोरखपुर से इन जगहों पर जाता है आम

- बस्ती

- देवरिया

- कुशीनगर

- महाराजगंज

- नेपाल

- सिद्धार्थनगर

- लखनऊ

- कानपुर

- गोपालगंज

- सिवान

कॉलिंग

दीमक को लेकर एक साल पहले लापरवाही के कारण मेरे एरिया के 100 से अधिक पेड़ सूख गए हैं। तीन पेड़ तो हमारे ही सूख गए हैं। यही हाल पूरे शहर का है। मिट्टी और पानी खराब होने का असर आम के पेड़ पर दिख रहा है।

- भागीरथी निषाद, व्यापारी, नौसढ़

वर्जन

आम के पेड़ की तनों में पतली-पतली नसें होती हैं जो खाना बनाने में पेड़ की मदद करती है। यह पत्ती से ऑक्सीजन लेकर पेड़ को उपलब्ध कराती है। पेड़ में दीमक लगने पर, जमीन के नीचे खाना बनने के बाद पतली नसों से जो भोजन टहनियों को जाता है, वह दीमक चट कर जाते हैं। इससे पेड़ सूखने लगते हैं। कुछ उपाय कर पेड़ों को बचाया जा सकता है।

- संतोष कुमार सिंह, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र, बेलीपार