गोरखपुर (ब्यूरो)। चूंकि, मीडिया को चौथा स्तंभ माना गया है। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट भी Internatiàænal Wàæmen&यs Day पर अपना 8 मार्च का एडिशन नारी शक्ति को डेडिकेट करता है। हमने सिटी की पांच र्शिक्त राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष अंजू चौधरी, सर्जन एंड गाइनोलाजिस्ट डॉ। सुरहिता करीम, डीडीयूजीयू में होम साइंस डिपार्टमेंट की एचओडी प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह, लेडी एंटरप्रेन्योर मधु सराफ और दैनिक जागरण-आईनेक्स्ट मिसेज नेचुरल ब्यूटी कांटेस्ट की मिसेज ग्लैमरस अनामिका ठाकुर को बतौर गेस्ट एडिटर सेलेक्ट किया। गेस्ट एडिटर्स को आफिस बुलाकर आज के एडिशन को फाइनल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। दिनभर की खबरों पर गेस्ट एडिटर्स से डिस्क्शन हुआ। एक तरफ जहां खबरों पर चर्चा की गई। वहीं, Internatiàænal Wàæmen's Day पर वीमेन एम्पॉवरमेंट पर खुलकर बात हुई। गेस्ट एडिटर्स ने समाचारों पर डिस्क्शन करने के बाद यह बताया कि किस तरह की न्यूज हों, जिससे अधिक से अधिक रीडर्स कनेक्ट हो सकें। हार्ड न्यूज पर डिस्क्शन करते हुए गेस्ट एडिटर्स ने फ्यूचर की स्टोरीज के लिए आइडिया भी दिया। साथ ही नेगेटिव न्यूज से बचने की सलाह दी। उन्होंने एक स्वर में कहा, हेल्थ, एजुकेशन पर अवेयरनेस और जेंडर इक्वालिटी से आधी आबादी सशक्त होगी।
होममेकर्स भी सम्मान की हकदार, मिलनी चाहिए सम्मान राशि
हम समभाव की बात कर रहे हैं। आगे बढऩे की बात कब करेंगे। अभी तक क्यों हम जेंडर इक्वालिटी पर अटके हैं। इसी से अपनी बात शुरू करते हुए प्रोफेसर दिव्या रानी सिंह ने कहा, जेंडर के बीच भेदभाव बचपन से शुरू हो जाता है। हमारे घरों में बेटी और बेटियों के बीच भेदभाव की शुरुआत होती है। कोई सामान लेने जाइए तो शॉपकीपर पूछता है कि मेल या फीमेल के लिए चाहिए। हमें इस भूमिका को चेंज करना होगा। घर से ही हमें जेंडर इक्वालिटी की शुरुआत करनी होगी। बचपन से दिमाग में समभाव भरना होगा। जो महिलाएं घर में काम करती हैं। घरेलू महिलाओं को भी सम्मान राशि के रूप में एक सहयोग मिलना चाहिए। प्रोफेसर दिव्यारानी सिंह ने महिलाओं के लिए काम करने वाले पुरुषों को प्रमोट करने पर जोर दिया।
ब्रेकिंग द बैरियर पर हो जोर, बढ़ाया जाए कांफिडेंस लेवल
हमें यह धारणा खत्म करनी होगी। जेंडर इक्वालिटी की बात चली आ रही है, लेकिन इसको पूरी तरह से अपनाया नहीं जा रहा है। पिता के अंतिम संस्कार करने वाली बेटियों ने नया उदाहरण प्रस्तुत किया है। बेटियों को प्राथमिकता के आधार पर हर सेक्टर में बढ़ावा देने की जरूरत है। डॉक्टर सुरहिता करीम ने कहा, पारंपरिक चीजों से हटकर हमें ब्रेकिंग द बैरियर के कांस्पेट पर जोर देना होगा। बेटियां धार्मिंक अनुष्ठान कराएं।
महिलाओं को जरूरी है फैमिली सपोर्ट
नार्मल लाइफ में सबको प्लेटफार्म नहीं मिलता है। लड़कियां मेहनत करके पढ़ाई करती हैं। पढऩे के बाद भी जॉब ना मिले तो क्या करेंगे। ऐसे में फैमिली का सपोर्ट बेहद जरूरी होता है। मुझे पहली बार लगा कि किस तरह से सपोर्ट की आवश्यकता होती हैं। मुझे मिसेज नेचुरल ब्यूटी कांटेस्ट में शामिल होने का मौका मिला। मेरे पति ने मुझे प्रोत्साहित किया। मैं जब अपनी फ्रेंड से बात करती हूं तो यह सामने आता है वीमेंस एक्सप्रेस नहीं कर पाती हैं।
इक्वालिटी के लिए महिलाओं को मिले काम की आजादी
महिला आयोग में शिकायत आने पर महिलाओं की समस्याओं को दूर किया जाता है। हिंसा से निजात दिलाने, उनको न्याय दिलाने का काम टीम करती है। एजुकेशन, पुलिस, हेल्थ डिपार्टमेंट, स्कूल सहित अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के सामने किसी तरह की समस्या के समाधान के लिए जनसुनवाई करते हैं। एप्लीकेशन के आधार पर जांच करके कार्रवाई का निर्देश दिया जाता है। इक्वालिटी के लिए महिलाओं को काम की पूरी आजादी मिलनी चाहिए।
वीमेन एम्पॉवरमेंट के लिए जरूरी है अवेयरनेस
महिला दिवस, एक ही दिन क्यों। यह तो पूरे साल की बात है। महिलाएं जब पुरुषों की तरह कंधे से कंधा मिलाकर काम करेंगी और काम करने के लिए घर से निकलेंगी तो समाज का विकास होगा और देश की जीडीपी भी बढ़ेगी। एंटरप्रेन्योर मधु सराफ ने कहा, वीमेन एम्पॉवरमेंट में अवेयरनेस का सबसे बड़ा रोल होता है। महिलाएं तभी अवेयरनेस होंगी। जब एजुकेशन कंप्लसरी हो। फिजिकल एजुकेशन को डेवलप किया जाए। इसी से सोसाइटी में परफेक्ट चेंज आएगा।