गोरखपुर (ब्यूरो)। वार्डों में पेशेंट्स को दिए गए कंबल और चादर यहां-वहां से फटे हैं। इसलिए पेशेंट्स और उनके अटेंडेंट घर से कंबल लाने को मजबूर हैं। जबकि पिछले साल ही मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने नए कंबल खरीदे थे। साथ ही वार्डों की खिड़कियों के कांच टूटे हैं, जिससे शीतलहर पेशेंट्स को सताती है।
सबको नहीं मिल रहे कंबल
दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम गुरुवार दोपहर 1 बजे बीआरडी मेडिकल कॉलेज पहुंची। जहां पेशेंट्स के लिए ठंड से बचाव के इंतजाम पर वार्डों की पड़ताल की। सच तो यह है कि आर्थो मेल, फीमेल, स्त्री व प्रसूति रोग, सर्जरी, मेडिसिन और गायनी वार्ड में भर्ती कुछ ही पेशेंट्स को कंबल मिले हैं। बाकी पेशेंट्स के अटेंडेंट घर से कंबल लेकर आए हैं। कई अटेंडेंट का कहना है कि जो कंबल मिले हैं, वह पूरी तरह से जर्जर हो गए हैं। उनसे ठंड ही नहीं जाती। सबसे अधिक परेशानी गायनी वार्ड में भर्ती पेशेंट्स को हो रही है।
कई वार्ड में शीशा तक नहीं
1100 बेड के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के कई वार्ड की खिड़कियों का शीशा नहीं होने से ठंडी हवाएं पेशेंट्स को सताती रहती हैं। गायनी समेत अन्य वार्ड की खिड़कियों के शीशे टूट हुए हैं। वहां पर कागज लगाकर ठंडी हवाओं को रोका जा रहा है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन का दावा है कि पिछले साल खिड़कियों के शीशे बदले गए थे। मगर प्रशासन की उदासीनता के चलते उनकी देखरेख नहीं हो सकी, जिसके चलते कई जगह शीशे आज भी टूटे नजर आ रहे हैं।
कहने को तो कंबल है, लेकिन चादर की तरह ही है। इससे ठंड नहीं जाती है। मजबूरी में घर से कंबल मंगवाना पड़ता है।
संगीता पांडेय, बिहार
वार्ड की खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं। जुगाड़ से सर्द हवाओं को रोका जा रहा है। अस्पताल से मिलने वाला कंबल काम नहीं करते।
आदित्या, बरगदवा
ठंड में जरूरत पडऩे पर सभी पेशेंट्स को कंबल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। जहां तक खिड़कियों के शीशे टूटे हैं। उन्हें पहले ही बदलवाया जा चुका है। कहीं पर यदि गड़बड़ी है उसे देख कर ठीक करवाया जाएगा। जरूरत के हिसाब से पेशेंट्स को कंबल भी दिए जाएंगे।
डॉ। राजेश राय, एसआईसी नेहरू चिकित्सालय बीआरडी
फैक्ट एंड फीगर
1100 बेड का बीआरडी हॉस्पिटल
56-56 पेशेंट हर वार्ड में हैं
मेडिसिन वार्ड, गायनी आर्थो और स्किन डिपार्टमेंट के वार्ड में पेशेंट इन दिनों अधिक हैं।