- जानिए अपने अधिकार ताकि प्राइवेट हॉस्पिटल में न हो सके शोषण

- सिटी में आए दिन हॉस्पिटल्स में बिल को लेकर होती है नोक-झोंक

GORAKHPUR: सिटी के प्राइवेट हॉस्पिटल्स में आए दिन बिल को लेकर स्टाफ और तीमारदारों में तू-तू मैं-मैं हो जाती है। मनमाना फीस वसूलने वाले हॉस्पिटल्स कई बार तो बिल को लेकर पेशेंट को डिस्चार्ज ही नहीं करते। कई मामले तो ऐसे भी आ चुके हैं जिसमें कि हॉस्पिटल में डेड बॉडी तक रोक ली गई हो। लेकिन, यदि आप अवेयर हो जाएं, अपने अधिकारों के बारे में जान जाएं तो हॉस्पिटल्स वाले आपके साथ मनमानी नहीं कर सकते। कई ऐसे कानून हैं जो आपके अधिकार की सुरक्षा करते हैं, लेकिन इसके इस्तेमाल के लिए इसे जानना जरूरी है।

डीएम से जांच की मांग

सिटी के निजी हॉस्पिटल, नर्सिग होम, पैथॉलोजी सेंटर में मरीजों के साथ हो रही अनियमितता को लेकर एक व्यक्ति ने डीएम से शिकायत कर जांच की मांग की है। आरोप है कि हॉस्पिटल वाले इलाज के बाद मरीजों को पक्की रसीद नहीं देते हैं। साथ ही मेडिकल स्टोर बिना फार्मासिस्ट के ही चलाए जा रहे हैं। शिकायतकर्ता ने डीएम से लिखित शिकायत कर जांच की मांग की है।

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केस-1

24 जनवरी की शाम सिटी के मामला गांधी आश्रम गली स्थित एक निजी हॉस्पिटल में कैशलेस भुगतान के फेर में एक मरीज की जान चली गई। मरीज को दिल का दौरा पड़ा था। तीमारदार इलाज के लिए अस्पताल के खाते में ऑनलाइन पेमेंट करने को तैयार थे लेकिन अस्पताल प्रबंधन कैश लेने पर अड़ा था। आरोप था कि समय से इंजेक्शन नहीं लगाए जाने के कारण पेशेंट की मौत हो गई। नाराज तीमारदारों ने अस्पताल पर हंगामा किया भी किया।

केस-2

4 फरवरी को सिटी के अनुराग अपने पत्‍‌नी को लेकर हनुमान मंदिर स्थित एक निजी क्लीनिक पर पहुंचे। जहां अपनी पत्‍‌नी का इलाज करवाया। पर्ची पर डॉक्टर ने दवा लिख दी। वह सीधे दवा काउंटर पर पर्ची लेकर पहुंचे। कर्मचारी ने दवा दिया लेकिन तीमारदार ने जब दवा के लिए दो हजार का नोटिस दिया तो उसने उसे वापस कर दिया। तीमारदार ने हस्तक्षेप किया लेकिन इसके बावजूद उसे बाहर भेज दिया।

केस-3

10 सितंबर 2016 को गांधी गली स्थित निजी हॉस्पिटल में एक मरीज की मौत हो गई। उसने इलाज के कुछ पैसे अदा कर दिए थे लेकिन आईसीयू के पैसे की डिमांड की जा रही थी। तीमारदार चुकता नहीं कर पाया तो हॉस्पिटल के मालिक ने डेड बॉडी रुकवा ली। इसके बाद परिजनों का गुस्सा फूट गया और उन्होंने जमकर हंगामा किया। पुलिस के आने के बाद मामला शांत करवाया गया था।