गोरखपुर (ब्यरो).पिछले एक साल में बढ़ गए बहला-फुसलाकर घर से भगा ले जाने की घटनाएं
केस-1: झंगहा थाना क्षेत्र एरिया की एक नाबालिग लड़की को एक नाबालिग लड़के से प्रेम हो गया। इंस्टाग्राम पर एक दूसरे फॉलो करना और फिर दोस्ती प्रेम में बदल गई। एक दूसरे के प्रति आकर्षण बढ़ गया। घर से भागकर दोनों चेन्नई, मुंबई समेत दूसरे राज्यों में घूमने के बाद पुलिस की मदद से गोरखपुर आते हैैं। ऐसे में पेरेंट्स भी परेशान रहे और मामला बाल कल्याण समिति तक पहुंच गया।
केस-2: तिवारीपुर एरिया निवासी एक नाबालिग लड़की को पड़ोस के ही एक लड़के से प्रेम हो गया था। मां दुकान पर बैठती है। बेटी का बालिग लड़के से सोशल मीडिया के जरिए अफेयर शुरू हो गया। उसके बाद मामला बढ़ता है और फिर पुलिस केस होने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष केस को पेश किया गया।
यह दो केस बानगी भर हैं। दरअसल, गोरखपुर में जनवरी 2021 से लगातार लड़कियों के साथ जघन्य अपराध की घटनाएं बढ़ी हैैं। इसकी बड़ी वजह कोविड पीरियड में ऑनलाइन स्टडी है। आईपीसी की धारा 363 व 366 के तहत बाल कल्याण समिति के समक्ष जनवरी 2021 से मई 2022 तक कुल 302 लड़कियों को पेश किया गया। वहीं, पाक्सो एक्ट के तहत 191 लड़कियों को पेश किया गया। बड़ी संख्या में इस तरह के मामले सामने आने से सोशल मीडिया की डर्टी पिक्चर भी सामने आने लगी है।
सख्ती के बाद कम हो रहीं घटनाएं
लड़कियों के साथ हुए जघन्य अपराध के मामले में उनका मेडिकल कराने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष केस पेश किया जाता है, लेकिन यह अपने आप में यह बड़ा सवाल है कि फरवरी 2022 के बाद से शासन, प्रशासन के सख्ती के बाद भी लगातार मार्च, अप्रैल और मई में धारा 363 व 366 के केसेज कम होने के बजाय बढ़ते जा रहे हैैं।
पेरेंट्स का रहता फाल्ट
साइकोलॉजिस्ट प्रो। अनुभूति दुबे ने बताया, लड़कियां पढ़ रही हैैं। घर से बाहर निकल रही हैैं। सोशल मीडिया के प्रति अट्रैक्शन बढ़ा है। ऐसे में ब्वॉय फ्रेंड और गर्लफ्रेंड बनाने का चलन शुरू हो चुका है। ऐसी बातें काउंसिलिंग में निकल कर आई हैं। फिर उसके बाद आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू होने के बाद थाने और कचहरी तक पहुंच जाते हैैं। कई केसेज में देखा जाता है कि लड़कियां या फिर लड़के सोशल मीडिया के माध्यम से एक दूसरे प्रति आकर्षित तो होते हैैं, लेकिन बाद में ब्रेकअप होता है। लेकिन इन सब के बीच पेरेंट्स का फाल्ट नजर आता है। ऐसे में पेरेंट्स को अपने बच्चों का पूरा ध्यान रखना होगा।
माह - पाक्सो एक्ट - अन्य धाराएं (363 व 366)
जनवरी 2021 - 06 - 07
फरवरी 2021 - 06 - 10
मार्च 2021 - 13 - 10
अप्रैल 2021 - 09 - 09
मई 2021 - 09 - 11
जून 2021 - 18 - 30
जुलाई 2021 - 13 - 37
अगस्त 2021 - 11 - 28
सितंबर 2021 - 15 - 21
अक्टूबर 2021 - 11 - 18
नवंबर 2021 - 03 - 12
दिसंबर 2021 - 04 - 14
जनवरी 2022 - 13 - 17
फरवरी 2022 - 08 - 14
मार्च 2022 - 16 - 19
अप्रैल 2022 - 16 - 19
अप्रैल 2022 - 19 - 24
मई 2022 - 17 - 21
कुल - 191 - 302
आईपीसी 363
यदि कोई व्यक्ति भारत या किसी कानूनी अभिभावक की संरक्षता से किसी का अपहरण करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा, जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है। साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। यह एक जमानती, संज्ञेय अपराध है और प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा विचारणीय है। यह अपराध समझौता योग्य नहीं है।
आईपीसी 366
जब कोई किसी स्त्री का उसकी इच्छा के विरुद्ध किसी व्यक्ति से से विवाह करने के लिए उस स्त्री को विवश करने के आशय से या वह विवश की जाएगी या अवैध संभोग करने के लिए उस स्त्री को विवश करना या बहकाता है तो उस कंडीशन में इस धारा को लगाया जाता है। जिसमें दस वर्ष के लिए सजा होती है साथ ही अर्थदंड भी किया जा जाता है। यह एक गैर जमानती, संज्ञेय अपराध है।
पाक्सो एक्ट के केसेज में वृद्धि हुई है। मार्च 2022 से संख्या में बढ़ोतरी हुई हैं। पाक्सो एक्ट व धारा 363 व 366 की धाराओं से जुड़े हुए जो केसेज आते हैैं। इन सभी मामले को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जाता है। उसके बाद आगे की कानूनी कार्रवाई होती है।
सरबजीत सिंह, डीपीओ, जिला प्रोबेशन कार्यालय