- पांचवें दिन कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पाए जिम्मेदार
- पॉश कॉलोनी में पटाखे की दुकान का लाइसेंस देख लौटे
GORAKHPUR: शहर को अवैध पटाखों के जोखिम से बचाने में लगी पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई मंगलवार को फुस्स हो गई। कोतवाली एरिया के रिहायशी इलाके मियां बाजार दक्षिणी में अवैध पटाखा गोदाम की सूचना पर पहुंची टीम बैरंग लौटना पड़ा। कार्रवाई की सूचना पर सतर्क पटाखा कारोबारी ने सिटी मजिस्ट्रेट और सीओ को दुकान का लाइसेंस दिखाया। लाइसेंस देखने के बाद टीम ने कोई एक्शन नहीं लिया। अधिकारियों का कहना है कि भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज पेट्रोलियम एंड एक्सप्लोसिव ऑर्गनाइजेशन की ओर से जारी लाइसेंस की हकीकत जांची जा रही है। सवाल खड़ा होता है कि आखिर किसकी रिपोर्ट पर पॉश कॉलोनी में पटाखा जमा कराने की अनुमति दी गई।
पांचवें दिन बैरंग लौटी टीम
शहर के विभिन्न मोहल्लों में अवैध गोदाम बनाकर भारी मात्रा में पटाखे जमा किए हैं। इसकी सूचना किसी ने पुलिस अधिकारियों को दी थी। दिवाली के पहले कोई हादसा न हो जाए। इसको लेकर पहले से सतर्कता बरतते हुए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी जांच में लगे हैं। चार दिनों के भीतर अधिकारियों ने छापेमारी करके पांच डीसीएम अवैध पटाखा बरामद किया। जिसे सोमवार की शाम राजघाट पुल के पास मूर्ति विसर्जन वाले गड्ढों में नष्ट किया गया। बरामदगी के बाद पटाखों में जमकर बंदरबाट हुई। लोगों का कहना है कि उचित लिखापढ़ी न होने से बरामद पटाखों की सही जानकारी नहीं दर्ज की जा सकी। मंगलवार को सिटी मजिस्ट्रेट जीपी श्रीवास्तव, सीओ कोतवाली अशोक पांडेय, इंस्पेक्टर अरुण कुमार की टीम छोटे काजीपुर मोहल्ले में पहुंची। किसी ने बताया था कि कारोबारी ओसामा ने वहां पर अवैध पटाखे जमा किए हैं। टीम के पहुंचने की सूचना पहले से कारोबारी को मिल चुकी थी। कारोबारी ने अफसरों को पटाखा रखने और बेचने का लाइसेंस होने की बात कही।
जांच के बाद होगी कार्रवाई
भारत सरकार के मनिस्ट्री ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज पेट्रोलियम एंड एक्सपोलोसिव आर्गनाइजेशन के चीफ कंट्रोलर ऑफ एक्सपोलिसिव इलाहाबाद से जारी लाइसेंस देखकर अफसरों के पैर ठिठक गए। 14 जनवरी 1998 को आयशा बेगम नाम से मियां बाजार में फायर वर्क्स के रखने और बेचने जा लाइसेंस जारी किया गया था। जिसका रिन्यूवल 28 अगस्त 2014 को कराया गया। रिन्यूवल के बाद 31 मार्च 2019 तक पटाखा बेचने की अनुमति दी गई है। लाइसेंस की प्रतियां लेकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी लौट गई। टीम के लौटने पर अन्य कारोबारियों ने भी राहत की सांस ली। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि जारी लाइसेंस में तीन सौ किलोग्राम फायर वर्क्स, 12 सौ किलोग्राम चाइनीज क्रैकर्स और स्पार्कलर्स बेचने की अनुमति है।
नियम-कानून को लेकर कन्फयूजन
जांच टीम के लौटने के बाद शहर के पटाखा कारोबारियों में तरह-तरह की चर्चा होने लगी। लाइसेंस की हकीकत जानने के लिए अधिकारियों ने पत्राचार का हवाला दिया। कहा कि मोहल्ले में पटाखा रखने और बेचने की विधिवत जांच कराई जाएगी। इसके बाद कारोबारी के खिलाफ कार्रवाई होगी। वहां से लौटने के बाद टीम किसी अन्य जगह नहीं गई। पुलिस से जुड़े लोगों का कहना है कि जिस गोदाम से पुलिस लौटी है। वहां बेसमेंट से लेकर दो मंजिले पटाखों से भरे पड़े हैं। पुलिस-प्रशासन ने गोदाम सील नहीं किया। इससे माल हटाने की संभावना भी बढ़ गई है। दूसरे दिन कार्रवाई होने परं छुरछुरी के सिवा कुछ नहीं मिलेगा। बड़ी बात यह है भी कि किसी भी कार्रवाई में फायर सर्विस के अधिकारियों और कर्मचारियों को टीम को नहीं शामिल गया है। ऐसी जगहों पर गोदाम होना चाहिए कि नहीं, फायर सर्विस की ओर से उसे मौके पर स्पष्ट कर दिया जाता।
वर्ष 2000 में हुई थी बड़ी दुर्घटना
बताया जा रहा है कि जिस गोदाम की जांच करने टीम पहुंची थी। वहां वर्ष 2000 में बड़ी दुर्घटना हुई थी। गोदाम में आग लगने पर मेवातीपुर, जगरनाथपुर, माया बाजार सहित कई मोहल्ले खाली हो गए थे। फायर ब्रिगेड और एयरफोर्स की गाडि़यों को आग बुझाने में तीन दिन लग गए थे। तब लोगों ने रिहायशी कालोनी में गोदाम बनाने पर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ गुस्सा दिखाया था। पब्लिक के पथराव करने पर अधिकारियों को पैदल भागना पड़ा। गोदाम के पीछे हिस्से में आग लगी थी। पीछे के हिस्से में आग लगने से फायर ब्रिगेड की गाडि़यां नहीं पहुंच पा रही थी। सड़क पर गाडि़यों को खड़ा करके पाइप के सहारे आग बुझाई गई। घटना के बाद प्रशासनिक अधिकारियों ने लाइसेंस निरस्त करने का आश्वासन दिया था। लेकिन बाद में पब्लिक के साथ अफसर भी इस मामले को भूल गए।
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आखिर किसकी रिपोर्ट पर हुआ रिन्यूवल
पटाखा कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि किसी लाइसेंस के रिन्यूवल की प्रक्रिया नए की तरह होती है। संबंधित थाना, फायर सर्विस, एसडीएम और लोक निर्माण विभाग से रिपोर्ट मांगी जाती है। पुलिस, फायर सर्विस और मजिस्ट्रेट की रिपोर्ट के आधार रिन्यूवल किया जाता है। माना जा रहा है कि पॉश कॉलोनी में लाइसेंस बनवाने के लिए काफी मशक्कत की होगी। इसके बाद ही विभाग ने लाइसेंस जारी किया होगा। फायर सर्विस से जुड़े लोगों का कहना है कि जिला मजिस्ट्रेट के आदेश पर उस लाइसेंस को कैंसिल किया जा सकता है। पॉश कॉलोनी में डेढ़ कुंतल पटाखों को बेचने की अनुमति देना गलत है। शहर की घनी आबादी में किसी भी प्रकार के पटाखों का निर्माण, उनका स्टॉक जमा करने और बेचने पर प्रदेश सरकार ने पहले से रोक लगा रखी है। प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि शहर के पॉश इलाकों में पटाखों के बनाने, उनके रखने संबंधित किसी कारोबारी के लाइसेंस का रिन्यूवल नहीं किया गया था। अचानक एक कारोबारी के पास लाइसेंस मिलने के सवालों का जवाब अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं।
टेंपरोरी लाइसेंस बनवाने में छूटते पसीने
दिवाली करीब आने पर अस्थाई रूप से तीन दिन पटाखा बेचने का लाइसेंस जारी किया जाता है। टेंपरोरी लाइसेंस लेने के लिए एक माह पहले आवेदन करना पड़ता है। लोकल थाना और फायर ब्रिगेड की रिपोर्ट के चक्कर में लोगों को पखवारे भर दौड़ना पड़ता है। किसी न किसी कमी के बहाने आवेदकों को लौटा दिया जाता है। काफी मशक्कत के बाद ही टेंपरोरी कारोबारी किसी तरह से लाइसेंस ले पाते हैं। इसके लिए उनको मानक का पालन करने के संबंधी शपथ पत्र देना पड़ता है। अस्थाई लाइसेंस लेने के लिए चक्कर काट रहे लोग भी पॉश कॉलोनी में परमानेंट लाइसेंस को लेकर आश्चर्यचकित हैं।
जिस गोदाम का लाइसेंस दिखाया गया है। वह शहरी क्षेत्र में है। लाइसेंस की जांच और अधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
जीपी श्रीवास्तव, सिटी मजिस्ट्रेट
पॉश कॉलोनी में पटाखों का गोदाम बनाना नियमानुसार गलत है। जितने का लाइसेंस लिया गया है। उसे भी आबादी में जमा कराने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। इस मामले में हमारी ओर से जांच पड़ताल करके प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
सूर्यनाथ प्रसाद, सीएफओ