-डरा कर गॉड के मैसेंजर कर रहे मोटी कमाई

-अंधविश्वास में अमीर बनने के लिए कर रहे उल्लू की बलि की प्लानिंग

-दाना खिलाने से मिलती है खुशी कर रही जेब ढीली

GORAKHPUR: भगवान की पूजा से सारी ख्वाहिश पूरी हो सकती हैं। दान करने से सारी इच्छाएं पूरी हो जाएंगी? अगर ऐसा होता तो पूरी दुनिया में कोई गरीब नहीं होता। किसी की इच्छाएं कभी अधूरी नहीं रहती। यह सब जानने के बावजूद हजारों लोग अंधविश्वास में फंसे रहते हैं। इस बार पीके ने वाइल्ड लाइफ की ओर अपना रुख किया। जानवरों की मदद करना अच्छी बात है, मगर ये करने वाले मजबूरी या डर में कर रहे हैं। दान से मिलने वाले फायदे से अधिक पैसा वे फिजूल में खर्च कर रहे हैं। उनके इस डर का फायदा खुद को गॉड का मैसेंजर कहने वाले मोटी कमाई कर रहे है। इस अंधविश्वास के बारे में जब बाजार में खड़े पीके ने बताने की कोशिश की तो लोगों ने समझने के बजाए या तो वहां से कन्नी काट ली या फिर उसका मुंह बंद करा दिया।

दिवाली पर उल्लू की बलि, बन गए करोड़पति

उल्लू। इस शब्द को बोलने से हर आदमी कतराता है। क्योंकि उल्लू मतलब बेवकूफ। मगर उल्लू बड़े काम की चीज है। बस स्टेशन के पास दो लोग आपस में बात कर रहे थे। एक बोला मालूम है दिवाली की काली रात में अगर उल्लू की बलि दी जाए तो सारी समस्याएं दूर होने के साथ पल में ही करोड़पति हो जाओगे। दूसरा बोला सच बताओ। हां, बस इसके लिए किसी तांत्रिक के पास जाना पड़ेगा, जो पूजा-पाठ करेगा। तभी वहां मौजूद पीके ने उनसे कहा कि सिर्फ उल्लू की बलि से करोड़पति बन जाएंगे। यह सुनते ही वह शख्स नाराज हो गया। उसने कहा कि अगर ऐसे बोलोगे तो यह कारगर नहीं होगा। इसके लिए तांत्रिक से बात करनी पड़ती है। वह सही समय बताएंगे। उल्लू की कीमत लाखों में होती है। यह सुन पीके बोला कि अगर उल्लू की कीमत लाखों में है, तो बलि देने की क्या जरूरत है, उसका पालन केंद्र न खोल लिया जाए। यह सुन वे दोनों शख्स नाराज हो गए। पीके को बेवकूफ बताते हुए वहां से चले गए।

पीके का सवाल - अगर उल्लू की बलि से कोई करोड़पति बनता तो ये तांत्रिक खुद जंगलों और सड़कों पर टहलने के बजाए बड़ी-बड़ी कोठी में रहते होते। भगवान किसी की बलि से क्या कभी खुश हो सकते हैं। भगवान के ये मैसेंजर जरूर हमें उल्लू बना रहे हैं।

दाना डालो, खुशियां लाओ

एक्वेरियम में रंग-बिरंगी मछली बिकती है। पीके भी मछली खरीदने जा पहुंचा। तभी वहां एक शख्स आया। उसने एक्वेरियम ओनर से पहले मछली का रेट पूछा। रेट के बाद मछली खरीदने से पहले उसने पूछा कि घर पर कौन सी मछली रखना शुभ है। यह सुन पीके बोला कि क्या दुकान और घर में अलग-अलग मछली रखी जाती है। एक्वेरियम ओनर इशारा करते हुए बोला कि ये मछलियां घर में रख कर दाना खिलाने से खुशियां आती है। इनको रखने से सारी परेशानी दूर होती है। इन मछलियों को दुकान में रख दाना खिलाने से बिजनेस में फायदा होता है। यह सुन मछली खरीदने आए लोग पैसा देने लगे। तभी पीके बोला कि अगर मछली खरीदने से खुशियां आती तो लोग फालतू में दिनभर मेहनत कर पैसा कमाते हैं। क्योंकि पैसे के बिना खुशियां तो आती नहीं। यह सुन वहां मौजूद सभी लोग भड़क गए और बोले कि कुछ खरीदना हो तो बताओ, वरना निकल लो।

पीके का सवाल - मछली को दाना खिलाने से खुशी मिलती है तो नदियों में लोगों की लाइन लगी रहती। घर में मछली खरीद कर जबरन दाना खिलाने की क्या जरूरत है। अगर खुशी ऐसे मिलती है तो पूरी दुनिया क्यों परेशान है?

पक्षी उड़ाओ, मुसीबत दूर भगाओ

शहर के विभिन्न चौराहों पर कंधे में बड़े-बड़े पिंजरे टांगे टहलते हुए लोग अक्सर मिल जाते है। इन पिंजरों में पक्षी रहते है। इन पक्षियों के बारे में पूछने पर वे कहते हैं कि एक पक्षी उड़ाओगे तो सारी मुसीबत दूर हो जाएगी। यह सुनते ही लोग पक्षी की कीमत अदा कर उसे खरीदते है और खुले आसमान में उड़ा देते है, यह सोच कर कि सारी मुसीबत दूर हो जाएगी। ऐसा ही नजारा पीके को विजय चौक पर भी देखने को मिला। पीके तुरंत उस पक्षी बेचने वाले के पास गया और बोला कि क्या इसे उड़ाने से सारी मुसीबत दूर हो जाएगी। वह बोला बिल्कुल। तो पीके ने तुरंत सवाल पूछा, अगर ऐसा है तो तुम पक्षी को उड़ा दो। सारी मुसीबत दूर हो जाएगी। उड़ाने से मुसीबत दूर होती है तो तुम पकड़ते क्यों हो? यह सुन पक्षी बेचने वाला शख्स वहां से चुपचाप निकल गया।

पीके का सवाल - पक्षी को उड़ाने से अगर मुसीबत दूर होती तो लोग काम करने के बजाए पक्षी उड़ाते रहते।

दूसरों की परेशानी दूर करने वाले खुद क्यों परेशान

पूरा शहर घूमने के बाद शाम को जब पीके घर आया तो सिर्फ एक ही बात सोच रहा था कि आखिर दूसरों की समस्या दूर करने का उपाय करने वाले खुद क्यों परेशान है। जब उल्लू की बलि देकर करोड़पति बन सकते हैं तो पूजा कराने वाला खुद क्यों गरीब है। मछली को दाना खिलाने से खुशियां आती है तो एक्वेरियम वाले दुनिया के सबसे खुशनसीब होते। पक्षी उड़ाने से अगर मुसीबत दूर भागती तो इन्हें लेकर चलने वाले कभी परेशान नहीं होते। अगर ऐसा नहीं है तो मतलब ये सब हमें उल्लू बना रहे हैं।