- एसटीएफ के हाथ लगा फिरौती वसूलने वाला गैंग
- कांशीराम आवास योजना में महिला घर रखे जाते थे बंधक
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र:
नेपाल, बिहार के लोगों को मीठी बातों में फंसाकर बंधक बनाने, फिर उनसे वसूली करने वाले गैंग को एसटीएफ गोरखपुर यूनिट ने अरेस्ट किया। वेंस्डे इवनिंग कांशीराम शहरी आवास में एक महिला के कमरे में पुलिस ने छापेमारी की। कमरे में महिला, उसके तीन सहयोगियों के साथ एक नेपाली युवक मिला। महिला का नाम निक्की बताया जा रहा है। युवक को निक्की ने मीठी बातों में फंसाकर नेपाल से बुलाया था। कमरे में बंधक बनाकर उसके घरवालों से चार लाख की फिरौती मांगी जा रही थी। कमरे में एक बोतल क्लोरोफार्म, तीन तमंचे पांच कारतूस, लैपटॉप और सात मोबाइल फोन बरामद हुए। जब पुलिस ने इस गिरोह से पूछताछ की तो कई चौकाने बातें सामने आई महिला लोगों को प्रेम प्रसंग में फंसाकर अपने पास बुलाती थी और फिर शरू होता था असली खेल।
मिस्ड कॉल कर फांसती थी शिकार
निक्की के तीन साथी थे। ये तीनों साथी निक्की के लिए शिकार यानी किसी धनाढ़ व्यक्ति का मोबाइल नंबर ढूढ़कर लाते थे। महिला मोबाइल नंबर पर मिस्ड कॉल करती थी। जब पलटकर फोन आता था तो वह अपनी मीठी मीठी बातों में शिकार को फंसाना शुरू कर देती थी। शिकार से दो तीन महीने बातचीत के बाद जब उसे महिला की चिकनी चुपड़ी बातों से प्रेम हो जाता था तब वह उसे गोरखपुर मिलने के लिए बुलाती थी। प्रेम में फंसा व्यक्ति जब महिला से मिलने गोरखपुर उसके घर पहुंचता था तो वह अपने तीनों साथियों को फोन कर देती थी।
फिर शुरू होता था असली खेल
निक्की के प्रेम में फंसा व्यक्ति जब उसके घर पहुंचता था, तब वह अकेली मिलती थी। लेकिन थोड़ी देर बाद ही चौखट पर खटाखट होती। दरवाजे पर नॉक-नॉक की आवाज सुनकर वह व्यक्ति को डरा देती थी, कि न जाने इस समय कौन आ गया है? बाहरी होने के कारण व्यक्ति घबरा जाता था। जब दरवाजा खुलता था तो उसी के तीनों साथी नारकोटिक्स डिपार्टमेंट के फर्जी इंस्पेक्टर बनकर आते थे। वो निक्की की मिलीभगत से व्यक्ति को डराते कि इस घर में गांजा है और तुम यहां एक महिला के साथ पकड़े गए हो, तो बड़ी कार्रवाई की जाएगी। व्यक्ति घबराकर रुपए-पैसे दे देता था। निक्की ने पुलिस को बताया कि वह इस तरह से चार लोगों को ठग चुकी है। इस नेपाली व्यक्ति के पास कुछ नहीं मिला तो हम उसके घर से पैसा ऐंठने की कोशिश कर रहे थे।
कुछ यूं जाल में फंस गया नेपाली
निक्की ने पुलिस को बताया कि हर बार की तरह इस बार भी उसके साथियों एक नेपाली व्यक्ति का मोबाइल नंबर 6 महीने पहले दिया था। जब निक्की ने मिस्ड कॉल किया तो उसने तुरंत पलटकर फोन किया। फोन पर उसने अपना परिचय परचून व्यापारी शंभू शाह कानू नाम से बताया बताया। धीरे-धीरे निक्की ने शंभू को अपने प्रेम जाल में फांस लिया। शंभु ने पुलिस को बताया कि वह महिला के जाल में फंसकर ट्यूज्डे को उससे मिलने गोरखपुर आया। रेलवे स्टेशन पहुंचकर उसने निक्की को काल किया। निक्की का परिचित अजीत उसको कांशीराम आवास में ले गया। शंभू के आते ही निक्की ने अपने नरकटियागंज में रहने वाले सहयोगियों को फोन किया। आनन-फानन में उसके तीनों साथी वेंस्डे मार्निग नारकोटिक्स विभाग के फर्जी अधिकारी बनकर उसके घर पहुंच गए। हर बार की तरह इस बार भी शिकार बने शंभू को डराकर वूसली करना शुरू किया। जब उसके पास से अधिक पैसा नहीं मिला तो निक्की और उसके साथियों ने उसके भाइयों को अपहरण की सूचना दी। पहली डिमांड 10 लाख रुपए की गई। आखिर में 4 लाख देने पर ही शंभू को छोड़ने पर राजी हुए।
गांजा तस्करी से शुरू हुआ था सिलसिला
निक्की ने पूछताछ के दौरान बताया कि मेरा पति गांजा तस्करी करता था। वर्ष 2012 में पुलिस ने उसको पकड़कर बाराबंकी जेल में बंद कर दिया। जब मैं अपने पति से मिलने बारांबकी गई तो एक दिन मेरा परिचय नरकटियागंज के साहेब नामक एक व्यक्ति से हुआ। पति को जेल से छुड़ाने की पैरवी, तीन बच्चों की परवरिश ने मुझे परेशान कर रखा था। जब साहेब मेरी जिंदगी में जुड़ा तो उसने मुझे कमाने एक नया तरीका बताया। मैं भी उसकी बातों में आ गई। उसने मुझे अपने दोस्तों संदीप, गौतम और शाहिद से मिलवाया। ्र
गांजा तस्करी करने वाले गैंग से खुला राज
नेपाल और बिहार से गांजा लाकर यूपी के बाराबंकी, लखनऊ और दिल्ली में बेचने वाले गैंग ने अपहरण कर फिरौती का धंधा शुरू कर दिया है। एसटीएफ लखनऊ के एसपी डॉ। अरविंद चतुर्वेदी को जानकारी मिली। गोरखपुर से तार जुड़ने के बाद डॉ। अरविंद ने गोरखपुर यूनिट के सीओ विकास चंद त्रिपाठी को जिम्मेदारी सौंपी। इस दौरान पता लगा कि । अखिलेश की पत्नी रुकम उर्फ निक्की गोरखपुर सिटी के कांशीराम शहरी आवास योजना में किराये पर कमरा लेकर रहती है। वह गांजा तस्करी करने वाले गैंग के साथ मिलकर बंधक बनाने, वसूली करने का काम कर रही है। नेपाल निवासी युवक जमीर से दो लाख रकम वसूलने की बात सामने आने पर एसटीएफ जांच में लग गई।
पुलिस ने इनको किया अरेस्ट
1. रुकुम सिंह उर्फ निक्की पत्नी अखिलेश यादव, काशीराम आवास योजना, तारामंडल।
2. मोहम्मद शाहिद पुत्र निसार, हरदिया चौक, थाना शिकारपुर, नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारन।
3. संदीप मिश्रा पुत्र स्व। सुरेश मिश्रा, हरदिया चौक, थाना शिकारपुर, नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारन।
4. गौतम श्रीवास्तव पुत्र मिथिलेश श्रीवास्तव, हरदिया चौक, थाना शिकारपुर, नरकटियागंज, पश्चिमी चंपारन।
ये सामान हुए बरामद
महिला के कमरे से पुलिस ने एक बोतल क्लोरोफार्म, तीन तमंचे, पांच कारतूस, एक लैपटॉप, सात मोबाइल फोन और एक बाइक बरामद हुई। जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर फर्जी निकला।
हाईप्रोफाइल स्टाइल में रहती थी निक्की
कांशीराम शहरी आवास योजना के पांचवें नंबर ब्लाक के सेकेंड फ्लोर स्थित 19 नंबर कमरे में निक्की रहती थी। करीब एक साल पहले वह अपने तीन बच्चों के साथ आई.पड़ोसी बताते हैं किसुबह निक्की घर से निकल जाती थी। देर रात तक वह कहां रहती थी, क्या करती, इसका कुछ पता नहीं चलता। उसके कमरे पर अक्सर पांच-छह लोगों का आना लगा रहता था। हाईप्रोफाइल स्टाइल में रहने वाली निक्की के पास लैपटॉप और महंगे मोबाइल थे। वह पड़ोसियों से बात भी नहीं करती थी। कभी कभार उसके बच्चे बाहर निकलते थे। पुलिस की छापेमारी के बाद लोगों को महिला के करतूत की जानकारी हुई।
10 हजार देने की हैसियत में नहीं था शंभू
पीडि़त शंभू ने पुलिस को बताया कि वह 10 हजार नहीं दे पाएगा। वह नेपाल में शटरिंग का काम करता है। उसके दोनों भाई परचून की दुकान चलाते हैं। परसों शाम को वह नरकटियागंज से सप्तक्रांति पकड़कर गोरखपुर आया। महिला ने कमरे में बंधक बनाकर मोबाइल, सोने की अंगूठी और आठ सौ रुपए नकदी छीन ली। क्लोरोफार्म सुंघाकर उसको कहीं अन्य ले जाने की तैयारी थी।
मीठी-मीठी बातों में फंसाकर बंधक बनाने वाली महिला और उसके साथियों पकड़ लिया गया है, फिरौती वसूलने का राज खुल गया है। गैंग के लोग नेपाल और बिहार के लोगों को अपना शिकार बनाते थे।
विकास चंद त्रिपाठी, सीओ, एसटीएफ गोरखपुर