- दो सैनिक हुए हैं घायल
- 16 साल बाद खुले हैं सेना के हाथ
GORAKHPUR: सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने पाकिस्तान को बता दिया है कि अब तुम मेरे एक जवान मारोगे हम चार मारेंगे। सर्जिकल स्ट्राइक में उन्हीं जवानों को जिम्मेदारी भी दी गई थी, जिस रेजीमेंट के 19 जवान उरी में शहीद हुए थे। भारत ने एक तरह से मनौवैज्ञानिक रेखा को तोड़ा है, जो पिछले कई सालों से बंद थी। इस आक्रमण से देश और सेना के जवानों का हौसला बढ़ा है। यह बातें मंगलवार को रिटायर्ड मेजर जनरल जीडी बख्शी ने कही।
2003 से ही सेना के हाथ बांध दिए गए थे
मेजर जनरल ने कहा कि मनमोहन सरकार ने 2003 में सेना के हाथों को बांध दिया था और केवल एक ही बात कहते थे हम वार्ता कर रहे हैं। सीमा पार तो दूर फायरिंग का जवाब देने के लिए परमीशन की जरूरत पड़ती थी। इसी के चलते पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को बढ़ाता रहा है और मनमोहन सिंह की सरकार चुपचाप बैठी रही थी। अभी तक देश के तीन ही प्रधानमंत्री हुए हैं, जिन्होंने सीमा पार जाकर जवाब देने का आदेश दिया है। जिसमें लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और नरेंद्र मोदी हैं। 2003 के पहले सेना कई बार सीमा पार करके पाकिस्तान को जवाब दे चुकी है। कहा कि देश में अभी तक 81 हजार से अधिक जवान, पुलिस और पब्लिक की मौत आतंकियों द्वारा की जा चुकी है। ऐसे में सेना ने इस साहसिक कदम को उठाकर इजराइली बनने का संकेत दे दिया है।