- गलत बिल के लिए कंज्यूमर्स लगा रहे चक्कर

- 36 हजार कंज्यूमर्स के यहां से वसूल रहे सरचार्ज

GORAKHPUR:

केस नं 1

राजेंद्र नगर एरिया के ग्रीन सिटी में रहने वाले अजय कुमार के घर पिछले आठ माह से रीडिंग लेने वाला कोई नहीं आ रहा था। आठ माह बाद अचानक 10 हजार रुपए का बिल आ गया। बिल देखते ही अजय कुमार का सर चकरा गया कि हर माह का औसत 900 से 1000 रुपए तक मान लें तो आठ माह बाद आठ हजार रुपए तक बिल आना चाहिए था, लेकिन दो हजार रुपए बढ़कर कैसे आए। जब वह बिल लेकर बिजली विभाग ऑफिस पहुंचे तो पता चला कि दो हजार रुपए सरचार्ज के रूप में जुड़कर आया है।

केस नं 2

झरना टोला के रहने वाले धर्मेद्र कुमार के घर पर भी एक साल बाद बिल आया और उसमें भी तीन हजार रुपए सरचार्ज के रूप में जुड़कर आया हुआ था। धर्मेद्र कुमार पिछले एक सप्ताह सरचार्ज क्यों लगा इसकी जानकारी लेने के लिए दौड़ रहे हैं। धर्मेद्र कुमार का कहना है कि जब भी हमारे यहां बिल निकलता है हम लोग बिल जमा कर देते हैं। एक साल से कोई हमारे यहां बिल निकालने ही नहीं आया और जब आया तो तीन हजार रुपए का एक्स्ट्रा भार दे दिया है।

यह दोनों केसेज केवल इस बात का उदाहरण भर हैं कि बिजली विभाग द्वारा पब्लिक की जेब पर कैसे डाका डाला जा रहा है। ऐसा शहर के 36 हजार कंज्यूमर्स के साथ हर माह हो रहा है। पब्लिक परेशान होकर बिजली विभाग के ऑफिस का चक्कर लगा रही है और इस सरचार्ज के चक्कर में उसका सरदर्द बढ़ रहा है।

हर माह लगभग 11 लाख

बिजली विभाग की इस लापरवाही के चलते हर माह शहर के 1.44 लाख कंज्यूमर्स पर 10 लाख 80 हजार रुपए का अतिरिक्त भार पड़ रहा है। बिजली विभाग के आंकड़े ही इसकी गवाही दे रहे हैं। हर घर से औसतन दो हजार रुपए का बिल बनता है। इस तरह अगर एक माह का बिल भी रुक जाए तो विभागीय नियम के अनुसार दूसरे माह बिल जमा करने पर इन पर डेढ़ प्रतिशत सरचार्ज जुड़ कर आ जाता है। इस तरह देखें तो दो हजार रुपए बिल वाले घर में अगले माह उनके यहां बिल 30 रुपए बढ़कर 4030 रुपए का बिल आएगा। इस तरह जिस घर में हर माह दो हजार रुपए का बिजली बिल आता है, उस परिवार पर हर माह 30 रुपए का भार पड़ रहा है। वहीं बिजली विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तो हर माह 30 प्रतिशत कंज्यूमर्स की बिल रेगुलर जनरेट नहीं होता है। इस तरह 1.44 लाख कंज्यूमर्स में 36000 कंज्यूमर्स से धोखे से सरचार्ज वसूला जा रहा है। इन 36000 हजार कंज्यूमर्स के यहां अगर 30 रुपए बढ़कर बिल आता है तो हर माह माह इनसे 108000 रुपए का सरचार्ज शातिराना तरीके से विभाग वसूल कर रहा है।

विभाग के खेल

बिल बनाने की जिम्मेदारी बिजली विभाग की होती है और बिल जमा करने की कंज्यूमर्स की। बिजली विभाग के आंकड़ों में हर माह 30 प्रतिशत कंज्यूमर्स का बिल जमा नहीं होता है। वहीं जिन 70 प्रतिशत कंज्यूमर्स का बिल जनरेट होता है, उसमें 15 प्रतिशत लोग बिल जमा ही नहीं करते हैं। बिजली विभाग में क्लर्क अजय कुमार ने बताया कि बिल में सरचार्ज जुड़ने का सबसे प्रमुख कारण अधिकारी और रीडिंग लेने वाले कर्मचारी हैं। अधिकारियों की लापरवाही के कारण रीडिंग लेने वाली कंपनी पूरी तरह से मनमानी पर उतर गई है। यह हर माह 36 हजार कंज्यूमर्स के यहां बिल जनरेट ही नहीं कर रहे हैं। ऐसे में इनके यहां जब भी दो या तीन माह पर बिल जनरेट हो रहा है सरचार्ज जुटकर बिल आता है। इसके लिए हर बार अधिकारियों के यहां कंप्लेन आती है और वादा भी करते है कि रीडिंग लेने वाले जाएंगे, लेकिन वह जाते नहीं है। इसलिए तो कई बार कंज्यूमर्स हंगामा भी कर देते हैं।

यहां पड़ रही सबसे अधिक मार

सिटी के बाहरी और गलियों वाले एरियाज में सबसे अधिक सरचार्ज की मार पड़ रही है। एसडीओ वाईके चतुर्वेदी ने बताया कि रीडिंग लेने वाले कर्मचारी उन्हीं एरियाज में रीडिंग लेने के लिए सबसे अधिक सक्रिय हैं, जहां अफसरों की निगाहें सबसे अधिक रहती हैं। जबकि सिटी के बाहरी एरिया में यह रीडिंग लेने कम जाते हैं। इसके अलावा घनी आबादी वाले एरियाज की गलियों में भी यह बराबर नहीं पहुंचते। ऐसी गलियों में कई बात तो एक माह गैप करके ही बिल बनता है।