गोरखपुर (ब्यूरो)।हैरान कर देने वाली बात यह है कि असमय मौत को गले लगाने वालों में सर्वाधिक पढ़े-लिखे युवा हैं, जिनको लेकर परिवार ने ना जाने कितने सपने देखे होंगे, जो अब ख्वाब ही बनकर रह जाएंगे।
पेड़ से लटका मिला युवक का शव
गुलरिया के सरहरी भभौर निवासी रामाज्ञा चौधरी के 25 वर्षीय बेटे नीरज चौधरी का शव गुरुवार को बगीचे में पेड़ से लटकता मिला। पुलिस शव को पोस्टमार्टम भेजकर जांच पड़ताल कर रही है। पुलिस का मानना है कि युवक ने सुसाइड किया है। वहीं, परिवार वालों ने हत्या का भी आरोप लगाया, जिसकी जांच चल रही है।
एक ही दिन चार सुसाइड
बता दें, 24 जुलाई को जिले के अलग-अलग थाना क्षेत्र में चार लोगों ने सुसाइड कर लिया। इसमें एक ऐसा भी केस था, जिसमें रोमांस की भी बात सामने आई थी।
सुसाइड के मामले
19 जुलाई: चौरीचौरा के मुंडेरा बाजार वार्ड 4 निवासी हाईस्कूल के छात्र प्रिंस गुप्ता ने फंदे से लटककर जान दे दी।
22 जुलाई: रामनगर कडज़हां के मेडिकल छात्र ऋषभ पाण्डेय ने फर्रूखाबाद मेडिकल कॉलेज की चौथी मंजिल से कूदकर जान दी।
24 जुलाई: बांसगांव कोटिया मान सिंह निवासी प्रवीण चौहान की पत्नी अंजिला ने फंदे से लटककर जान दी।
24 जुलाई: बेलीपार कटया की युवती ने भाई से विवाद के बाद कुंडी से लटककर जान दे दी।
24 जुलाई: गुलरिहा जंगल डुमरी नंबर 2 के धमेन्द्र चौहान ने चिलुआताल में कूदकर जान दे दी।
24 जुलाई: बड़हलगंज कोतवाली पटना घाट उग्रसेन सेतु से 11वीं की छात्रा ने छलांग लगाकर सुसाइड कर लिया।
25 जुलाई: हरपुर बुदहट के अनंतपुर की निवासिनी अफसाना खातून ने पति से नाराज होकर सुसाइड कर लिया।
27 जुलाई: गुलरिहा के सरहरी भभौर निवासी 25 वर्षीय नीरज चौधरी का शव पेड़ से लटकते हुए मिला।
साल 2021
सुसाइड केस- 5932
सुसाइड करने की वजह प्रतिशत
फैमिली प्रॉब्लम 33.2
बीमारी की वजह 18.6
अदर केस 9.2
कारण नहीं पता 9.7
नपुंसकता 0.2
अवैध संबंध 0.4
कैरेक्टर पर दाग लगने पर 0.5
एग्जाम में फेल होने पर 1.0
संपत्ति विवाद 1.1
गरीबी 1.1
सगे संबंधी की मौत 1.2
कॅरियर प्रॉब्लम 1.6
बेरोजगारी 2.2
आर्थिक तंगी 3.9
लव अफेयर 4.6
शादी से जुड़ी प्रॉब्लम 4.8
नशे की लत 6.4
मोबाइल और कंप्युटर युग में सारा समय लोग सोशल मीडिया पर दे रहे हैं। उन्हें बाहर की दुनिया से कोई मतलब नहीं है। परिवार भी एक दूसरे को टाइम नहीं दे रहा है। आभाषी दुनिया की तरफ अट्रैक्ट लोग जब किसी प्रॉब्लम को फेस कर रहे हैं तो उन्हें अपनी परेशानी शेयर करने के लिए कोई नहीं मिल रहा है। इस हाल में खुद को अकेला पाकर उनके अंदर निगेटिव विचारधारा घर कर रही है।
प्रो। सुषमा पाण्डेय, पूर्व विभागाध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, डीडीयूजीयू