गोरखपुर (ब्यूरो)।425 पेशेंट्स की केस हिस्ट्री में सामने आया कि ये लोग मोबाइल का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं। पेशेंट्स ने रात-रात भर मोबाइल पर सोशल मीडिया और यू-ट्यूब देखने की बात कही। इनमें कुछ को माइग्रेन की शिकायत आई, तो कुछ में स्पांडलाइटिस की शिकायत आई। इसके साथ ही कुछ में टेक नेक की बीमारी पाई गई। जो सबसे ज्यादा बीमारी पाई गई वह मिर्गी की रही। जिन्हें पहले से मिर्गी (एपिलेप्सी) की बीमारी थी और दवा का सेवन कर रहे थे, लेकिन मोबाइल का रात-रात भर इस्तेमाल करने से उन्हें माइग्रेन भी हुआ और उनकी मिर्गी की बीमारी चार गुना और बढ़ गई। यही नहीं इनके चेहरे का ग्लो भी खत्म था, चेहरे पर झुर्रियां नजर आने लगी थीं। ऐसे पेशेंट्स को मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट का कम से कम यूज करने की सलाह दी गई है।

लैपटॉप-मोबाइल दे रहा रहा टेक नेक डिजीज

न्यूरो सर्जन डॉ। अश्वनी कुमार मिश्रा ने बताया, मोबाइल के तमाम वर्जन आ चुके हैैं। इसके साथ ही लोगों का फेसबुक, इंस्टाग्राम पर ज्यादा वक्त बीतने के साथ-साथ खासतौर पर बच्चे और युवाओं में लगातार प्रयोग से जहां गर्दन की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं। वहीं, चेहरे की झुर्रियां युवाओं को असमय ही बुजुर्ग बना रही हैं। युवाओं में दिखने वाले इन बुढ़ापे जैसे लक्षणों से हम सभी हैरान हैं। लैपटॉप-मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल ही टेक नेक बीमारी दे रहा है। अगर इससे बचाव नहीं किया गया तो आने वाले समय में उनमें चलने फिरने में प्रॉब्लम बढ़ जाएगी।

क्या है टेक डिजीज

- टेक बीमारी की वजह से पॉश्चर बदल जाता है।

- गर्दन और रीढ़ की हड्डी की समस्याएं होने लगती है।

- रीढ़ की हड्डी का उभार बढऩे के साथ गर्दन, पीठ, कंधों और सिर में दर्द होने लगता है।

टेक नेक के सिंप्टम्स

- गर्दन, पीठ और कंधों में लगातार दर्द।

- पीठ और कंधों में जकडऩ।

- सिर को आगे पीछे घुमाने पर दर्द महसूस होना।

- कंधों का गोल आकार में झुके रहना।

- हाथों का सुन्न होना या झनझनाहट का अहसास होना।

तो घेर लेगी टेक नेक डिजीज

अगर आप कंप्यूटर पर ज्यादा देर तक काम करते हैं और आपके बैठने का तरीका भी गलत है तो संभल जाइए। मोबाइल स्क्रीन पर ज्यादा समय नहीं दीजिए। खासकर जब इस पर कुछ पढ़ते हैं तो आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता है। अब यह आदत जल्द सुधारिए नहीं तो बुढ़ापा जल्दी आ जाएगा। इसके साथ ही आपको टेक नेक बीमारी भी घेर लेगी।

होता कारपेल टनेल सिंड्रोम

लैपटॉप और स्मार्टफोन लेकर बैठने वाले बच्चे घंटों एक ही अवस्था में बैठे रहते हैं। न्यूरो सर्जन डॉ। अश्वनी मिश्रा बताते हैैं कि स्मार्ट फोन पर ज्यादा समय बिताने पर कारपेल टनेल सिंड्रोम की वजह से हाथ और बाहें सुन्न हो जाती हैं। उनमें झुनझुनी भी होती है। आगे चलकर इससे सिरदर्द, गर्दन और कंधों में दर्द के साथ चेहरे पर गहरे चकत्ते भी पड़ सकते हैं।

क्या करें

- स्क्रीन टाइम कम करें।

- दर्द वाली जगह बर्फ से सिकाई करें।

- दर्द से राहत पाने के लिए सरसों, लवैंडर के गर्म तेल से मालिश करें।

- चार-पांच दिन से ज्यादा दर्द है तो डाक्टर्स को दिखाएं।

एक्सपर्ट बोले

डिस्प्ले डिवाइस की लत सिर से लेकर रीढ़ की हड्डी तक में दर्द का कारण बन सकती है। फोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप के सही इस्तेमाल से बुरे प्रभावों से बचा जा सकता है।

डॉ। रविंद्र ओझा, फिजियोथेरेपिस्ट, जिला अस्पताल

स्मार्टफोन पर ज्यादा देर तक काम करने से लिगामेंट्स, मसल्स व गर्दन के ज्वाइंट्स पर दबाव बनता है। यह दर्द गर्दन से होते हुए सिर तक पहुंचता है। इसका प्रभाव साइकोलॉजी पर भी पड़ता है।

श्वेता जॉनसन, साइकोलॉजिस्ट