- डीडीयूजीयू के हॉस्टल्स में बाहरियों का कब्जा, पढ़ाई चौपट

- छात्र संघ चुनाव को लेकर रात-रातभर बन रही रणनीति

- किसे कैसे करना है पक्ष में, किसे कैसे मनाना है चुनाव लड़ने से, पर हो रही चर्चा

GORAKHPUR: डीडीयूजीयू छात्रसंघ चुनाव बहाली के बाद कैम्पस की फिजा पूरी तरह बदल गई है। कैम्पस के अंदर क्लास में तो नेता वोट मांगने पहुंच ही रहे हैं, अब हॉस्टल्स में भी उनके समर्थकों का कब्जा होने लगा है। कई हॉस्टल्स में छात्र नेताओं के कुछ समर्थक काबिज हो गए हैं। इससे हॉस्टल की पढ़ाई चौपट हो गई है। वहां रात-रातभर राजनीति की क्लास लग रही है जिसमें किसे कैसे अपने पक्ष में करना है, कौन-कौन चुनाव लड़ रहा है, किसे चुनाव लड़ने से कैसे रोकना है, आदि पर चर्चा हो रही है। इससे हॉस्टल में पढ़ाई का माहौल बुरी तरह प्रभावित हुआ है। हॉस्टल के वार्डेन और सुपरिटेंडेंट इसको लेकर चुप हैं।

कई संगठन सक्रिय

डीडीयूजीयू में 10 साल से छात्रसंघ चुनाव बंद था। अब इसकी घोषणा होने के बाद कैंपस में पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। जिन स्टूडेंट्स को चुनाव लड़ना है वे तो चुनावी रणनीति में उलझे ही हैं, उनके समर्थन के लिए कुछ अंदर के तो कुछ बाहर के छात्र हॉस्टल में जमे हैं, जो उनके लिए स्टूडेंट्स को गोलबंद करने में लगे हैं। चुनाव लड़ने के लिए इस समय 8-9 संगठन सक्रिय हैं। ये संगठन ही बाहरी स्टूडेंट्स को हॉस्टल में जगह दिला रहे हैं। इससे हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को नुकसान हो रहा है।

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संतकबीर हॉस्टल में पढ़ाई चौपट

नाम न पब्लिश करने की शर्त पर संतकबीर हॉस्टल के कुछ हॉस्टलर्स ने बताया कि चाहे रात हो या दिन, हॉस्टल के भीतर इस समय केवल छात्रसंघ चुनाव की चर्चाएं होती हैं। हर गुट अपने समर्थन में हॉस्टलर्स को लेने के लिए अपील कर रहा है। कई बार वे विनती कर रहे हैं तो कई बार धमकाने की भी स्थिति आ रही है। इससे कई बार विवाद होते-होते बचा है। स्टूडेंट्स लीडर के समर्थन में कुछ बाहरी यहां आ गए हैं जिनकी वजह से पढ़ाई पूरी तरह चौपट हो गई है। हालांकि कॅस्टल में रहने वाले कुछ हास्टलर्स ही उन्हें आमंत्रित करते हैं। पूरी रात अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महामंत्री के पद पर लड़ने वाले संभावित प्रत्याशियों पर चर्चाएं होती हैं।

एनसी हॉस्टल में भी जमावड़ा

यूजी के एनसी हॉस्टल में भी दिन-रात छात्र नेताओं का जमावड़ा लग रहा है। यहां के हॉस्टलर्स की मानें तो संतकबीर, विवेकानंद हॉस्टल के हॉस्टलर्स ही ज्यादातर संभावित प्रत्याशी हैं लेकिन शाम 4 से देर रात 2 बजे तक यहां स्टूडेंट्स लीडर का जमावड़ा लगा रहता है। वे हॉस्टलर्स से समर्थन की अपील करने आते हैं। एक स्टूडेंट्स लीडर के जाते ही, दूसरा आ जाता है। यह सिलसिला चलता रहता है। सीनियर स्टूडेंट्स इस हॉस्टल में आकर जूनियर के आगे हाथ जोड़ते नहीं अघा रहे। इस हॉस्टल के कई स्टूडेंट्स का कहना है कि उन्होंने मना भी किया कि वे जूनियर हैं, उनके आगे हाथ न जोड़ा करें लेकिन जिसे भी पद चाहिए वह पहले से ही हाथ जोड़े यहां पहुंच रहा है। ऐसा नहीं बाहरी तत्व ऐसे ही आ रहे हैं।

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छात्रा के चुनाव लड़ने पर खलबली

अध्यक्ष पद के लिए जहां 8-9 संभावित प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरने वाले हैं, वहीं महामंत्री पद के 20-22 संभावित प्रत्याशी अभी तक कैम्पस में दिख रहे हैं। इसी बीच मनोविज्ञान विभाग की एक छात्रा के महामंत्री पद पर चुनाव लड़ने की चर्चा से चुनाव लड़ने वाले छात्रों में खलबली मच गई है। यहां ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स की संख्या ब्वायज के लगभग बराबर है। ऐसे में यदि कोई छात्रा चुनाव लड़ती है तो ग‌र्ल्स स्टूडेंट्स का समर्थन उन्हें मिल सकता है जबकि कुछ ब्वायज भी उसके पक्ष में जाएंगे। ऐसे में छात्र नेताओं को दिक्कत हो सकती है। वे अभी से उस छात्रा को मनाने में लगे हैं।

वर्जन

हॉस्टल में अराजक तत्वों का जमावड़ा लग रहा है, इसकी सूचना मिली है। मैंने इसकी मॉनीटरिंग शुरू कर दी है। उन्हें चिन्हित कर विधिक कार्रवाई की जाएगी।

- प्रो। संजय बैजल, चुनाव अधिकारी, डीडीयूजीयू