- डीडीयूजीयू का रिकार्ड रूम में रखे गए डॉक्यूमेंट्स पर वर्षो से दीमक ने कर रखा है कब्जा
- नामांकन सेक्शन, अभिलेख विभाग और परीक्षा सामान्य विभाग में रखे डाक्यूमेंट्स के रखरखाव के लिए नहीं है कोई जिम्मेदार
द्दह्रक्त्रन्य॥क्कक्त्र: मार्कशीट, डिग्री और सर्टिफिकेट स्टूडेंट्स की कमाई होते हैं, लेकिन गोरखपुर यूनिवर्सिटी उनकी इस कमाई को दीमक को हवाले कर चुका है। हम बात कर रहे हैं कि डीडीयूजीयू को रिकॉर्ड रूम की। यहां रखे गए डॉक्यूमेंट्स धूल फांक रहे हैं। चाहे वह परीक्षा सामान्य विभाग में रखे हुए डॉक्यूमेंट्स हो या फिर नामांकन सेक्शन में। न तो इनकी प्रॉपर केयर की जाती है और न ही छात्रों के पुराने रिकार्डस की सुरक्षा के लिए कोई सिक्योरिटी गार्ड की तैनाती है। कोई भी आसानी से इन डॉक्यूमेंट्स को गायब कर सकता है। हालांकि रिकॉर्ड रूम में रखे गए स्टूडेंट्स के डॉक्यूमेंट्स के रख-रखाव के लिए डीडीयूजीयू एडमिनिस्ट्रेशन से रिकॉर्ड रूम के र्क्लक ने कई बार डिमांड की है, लेकिन डीडीयू के जिम्मेदारों ने अपनी आंखें मूंद रखी हैं।
भगवान भरोसे हैं रिकॉर्ड रूम
डीडीयूजीयू की एडी बिल्डिंग में डीडीयू और उससे एफिलिएटेड कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के कई महत्वपूर्ण दस्तावेज रखे गए हैं। एक तरफ नामांकन सेक्शन में माइग्रेशन का काम होता है वहीं इस विभाग में 1974 से 2002 तक के रखे गए रिकार्ड जर्जर हो चुके हैं। इन पर कीड़ों का कब्जा है। साथ ही दीमक भी इसे अपना भोजन बना रहे हैं। आलम यह कि किसी भी एक स्टूडेंट के नामांकन पेपर को उठाने पर वह दो टुकड़े में बंट जा रहे हैं, लेकिन इन नामांकन डाक्यूमेंट्स के रखरखाव पूरी तरह से भगवान भरोसे है।
1974-2002 के डाक्यूमेंट्स दीमक के हवाले
नामांकन सेक्शन के कर्मचारी अशोक शाही बताते हैं कि नामांकन सेक्शन में रखे गए डाक्यूमेंट्स पर दीमक लग चुके हैं। इसके रखरखाव के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि 1974 से 2002 तक के डाक्यूमेंट्स को कंप्यूटराइज्ड कर दिया जाना चाहिए ताकि स्टूडेंट्स के भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। वहीं 2003 के बाद से स्टूडेंट्स के मार्कशीट पर ही नामांकन संख्या लिखी हैं। इसलिए इनके डॉक्यूमेंट्स नहीं हैं। हालांकि दीमक लगे इन डाक्यूमेंट्स के रखरखाव के लिए कई बार डीडीयू एडमिनिस्ट्रेशन से कहा जा चुका है, लेकिन किसी जिम्मेदार की नजर ही इस सेक्शन की तरफ जाती ही नहीं है।
अभिलेख कक्ष का है बुरा हाल
अभिलेख कक्ष (रिकॉर्ड रूम) में स्टूडेंट्स के पंजीयन सारिणी से संबंधित डाक्यूमेंट्स रखे गए हैं। वे बदहाली की कगार पर है। सन 1990 से पहले के पंजीयन सारिणी की जानकारी अगर किसी स्टूडेंट्स को लेनी हो तो अभिलेख कक्ष के कर्मचारी बगले झांकते नजर आते हैं, क्योंकि रखी गई पंजीयन सारिणी पूरी तरह से दीमक की भेंट चढ़ चुकी है। जो बचे हैं, उनकी देखरेख प्रॉपरली नहींहो रही है।
गायब होने पर कौन होगा जिम्मेदार
सामान्य परीक्षा विभाग की बात करें तो इस विभाग के बाहर गेट पर ही परीक्षा से संबंधित सभी डॉक्यूमेंट्स रखे गए। इस विभाग में डीडीयूजीयी में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स और डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के परीक्षा फार्म रखे गए हैं। इन सभी फार्म को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी यहां के सीनियर क्लर्क की है, लेकिन गैर जिम्मेदाराना रवैये के चलते इन डॉक्यूमेंट्स इधर-उधर फेंक दिया गया है। वहीं इस विभाग में स्टूडेंट्स की डिग्री और उपाधि के लिए रखे गए डॉक्यूमेंट्स कूड़े के ढेर का रूप ले चुके हैं। इसे कोई भी आसानी से गायब कर सकता है। अब सवाल यह उठता है, अगर कोई भी डाक्यूमेंट्स गायब हो जाए तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?
नामांकन सेक्शन में रखे गए डॉक्यूमेंट्स
- डीडीयूजीयू के लाखों स्टूडेंट्स के नामांकन रिकार्ड।
- सन 1974 से 2002 तक के रिकार्ड।
- यूनिवर्सिटी छोड़ने पर माइग्रेशन सर्टिफिकेट जारी किए जाते हैं। इसके रिकार्ड रखे गए हैं।
अभिलेख कक्ष में रखे गए डॉक्यूमेंट्स
- डीडीयूजीयू और डिग्री कॉलेज के स्टूडेंट्स के पंजीयन सारिणी (चार्ट)।
- यूनिवर्सिटी के स्थापना के बाद से अब तक के रखे गए सभी स्टूडेंट्स के डॉक्यूमेंट्स
सामान्य परीक्षा विभाग
- डीडीयूजीयू के स्टूडेंट्स और डिग्री कॉलेज में पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स के परीक्षा फार्म रखे गए हैं।
- डिग्री या उपाधि के लिए इस विभाग के काउंटर नंबर 19 से सारे कार्य किए जाते हैं।
- परीक्षा से संबंधित तमाम अन्य दस्तावेज भी इसी विभाग में रखे गए हैं।