- डीडीयूजीयू के दो रिसर्च हास्टल्स में बंद की गई वाई-फाई की सेवा

- पॉर्न साइट्स के चलते बैठ गया सर्वर, एनआईसी ने जताई नाराजगी

- अश्लील सामग्री देखने में ग‌र्ल्स भी नहीं थीं पीछे, हुआ खुलासा

amrendra.pandey@inext.co.in

GORAKHPUR: रिसर्च वर्क से जुड़े जिन हॉस्टलर्स को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी को फ्री वाई-फाई की सुविधा मिली थी, वो लम्बे अर्से से उसका उपयोग पॉर्न साइट्स देखने और ब्लू फिल्म डाउनलोड करने में कर रहे थे। ये खुलासा किया है कि नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) नई दिल्ली ने। एनआईसी के आदेश पर तत्काल प्रभाव से गोरखपुर यूनिवर्सिटी में रिसर्च स्कॉलर्स को हॉस्टल में दी जाने वाली फ्री वाई-फाई सुविधा बंद कर दी गई है। यूनिवर्सिटी एडमिनिस्ट्रेशन से कहा है कि जब तक इंटरनेट एक्सेस मॉनिटरिंग के लिए यूजर थ्रेट मैनेजमेंट डिवाइस (यूटीएम) नहीं लग जाता, वाई-फाई की सेवा बहाल नहीं होगी।

स्टूडेंट्स अब सकते में

अचानक हॉस्टल्स में इंटरनेट की सेवा ठप होने पर स्टूडेंट्स ने जब इसकी शिकायत कंम्प्यूटर सेंटर पर की तो पूरा मामला खुल कर आया। एनआईसी के आब्जेक्शन और वॉर्निग के बारे में जब स्टूडेंट्स को बताया गया तो वो सकते में आ गए। अब कोई भी स्टूडेंट इस मामले में पैरवी करने नहीं पहुंच रहा है। क्योंकि सभी को डर है कि कहीं नेतागिरी की चक्कर में उनकी भी कलई न खुल जाए।

वॉर्निग पर भी नहीं बदले

याद दिला दें कि यूनिवर्सिटी में आयोजित साइंस कांग्रेस में शामिल होने आए सीएम अखिलेा यादव ने स्टूडेंट्स को फ्री वाई-फाई सेवा देने का वादा किया था। इसके लिए बजट भी शासन से मिला। फ‌र्स्ट फेज में दो रिसर्च स्कॉलर्स के हॉस्टल में वाई-फाई की सुविधा शुरू की गई। इसका मकसद था कि स्टूडेंट्स रूम में बैठ कर अपने रिसर्च वर्क से जुड़ी इंफार्मेशन इंटरनेट पर सर्च कर सकें, ऑनलाइन जर्नल्स को पढ़ सकें और ऑनलाइन लाइब्रेरी अटैंड कर सकें। लेकिन यहां स्टूडेंट्स वाई-फाई से कुछ अलग ही पढ़ाई पढ़ने लगे। कुछ महीने पहले कंप्यूटर सेंटर के प्रभारी ने वार्डेन के जरिये इस बारे में स्टूडेंट्स को वॉर्न किया लेकिन फिर भी स्टूडेंट्स लत नहीं छोड़ सके।

एनआईसी का कड़ा रूख

पढ़ाई के लिए दी गई वाई-फाई के सेवा के मिसयूज और सर्विस की प्रॉपर मॉनिटरिंग न होने पर एनआईसी ने भी कड़ा रूख अपनाया है। इसकी वजह ये भी है कि स्टूडेंट्स उन वेबसाइट्स को भी एक्सेस कर रहे थे जहां वायरस और मॉलवेयर अटैक से सर्वर पर असर पड़ रहा था। अंत में वायरस अटैक से यूनिवर्सिटी का सर्वर ही बैठ गया। इससे आर्थिक क्षति भी पहुंची है। एनआईसी के रूख पर भी यूनिवर्सिटी ने तत्काल प्रभाव से वाई-फाई सेवा बंद कर दी है।

लड़कियां भी कम नहीं

जिन दो हॉस्टल्स में वाई-फाई का मिसयूज पकड़ा गया है, उसमें एक गौतम बुद्ध हॉस्टल है और दूसरा अलकनंदा ग‌र्ल्स हॉस्टल। कंम्प्यूटर सेंटर से जुड़े सूत्रों की माने तो पॉर्न देखने के मामले में दोनों ही हॉस्टल के स्टूडेंट बराबर थे। वॉर्निग के बाद भी स्टूडेंट्स ने प्रतिबंधित साइट्स देखना बंद नहीं किया तो कंम्प्यूटर सेंटर ने एक-एक स्टूडेंट्स के यूजेज का रिकॉर्ड अपने यहां रखना शुरू किया। दावा है कि किसी स्टूडेंट्स ने क्या-क्या साइट्स देखी हैं और क्या-क्या डाउनलोड किया है, सबकुछ सेव करके रखा गया है।

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(लेटेस्ट अपडेट)

पहले लगेगा यूटीएम, फिर शुरू होगी सेवा

एनआईसी की नाराजगी के बाद यूनिवर्सिटी ने तय कर लिया है कि पहले यूजर थ्रेट मैनेजमेंट डिवाइस (यूटीएम) लगाया जाएगा। इसकी लागत करीब 35 लाख रुपये है। इस डिवाइस के लगने के बाद कंप्यूटर सेंटर से बैठे-बैठे तय हो जाएगा कि स्टूडेंट्स कौन सी वेबसाइट्स देख सकते हैं और कौन सी नहीं। इससे सिर्फ उन्हीं वेबसाइट्स को एक्सेस किया जा सकेगा, जिनकी परमिशन होगी। साथ ही हर एक स्टूडेंट्स के डाटा यूजेज की प्रॉपर मॉनिटरिंग, रिकॉर्डिग भी संभव होगी।

(फार योर इंफार्मेशन)

यूटीएम के रडार पर होंगे हॉस्टलर्स

- हर एक वाई-फाई यूजर को अलग आईडी और पासवर्ड प्रोवाइड की जाएगी।

- हर स्टूडेंट्स के लिए एक डेटा लिमिट भी तय हो जाएगी कि वह कितना एक्सेस कर सकता है।

- यूटीएम से जब चाहे तब टाइम शेड्यूल भी निर्धारित किया जा सकेगा।

- ये ऑटोमैटिक हर एक यूजर के यूजेस का छह महीने का डाटा रिकॉर्ड रखेगा।

- इसके अलावा यूटीएम से किसी भी वक्त ये देखा जा सकेगा कि कौन क्या देख रहा है।

दोनों रिसर्च हॉस्टल्स में इंटरनेट सेवा का उपयोग प्रतिबंधित वेबसाइट्स देखने में ज्यादा हो रहा था। इसीलिए सुविधा बंद कर दी गयी है। जब तक हम मॉनिटरिंग डिवाइस नहीं लगा लेते, ये सुविधा दोबारा शुरू नहीं की जाएगी।

- डॉ। एसएन पांडेय, प्रभारी, कंप्यूटर सेंटर, डीडीयूजीयू