- डीडीयूजीयू हॉस्टल्स में स्टूडेंट्स खाना बनाने के लिए हीटर का कर रहे हैं इस्तेमाल
- हर माह यूनिवर्सिटी को लग रहा है हजारों का चूना
- इसको रोकने के लिए यूनिवर्सिटी ने शुरू की कोशिश
GORAKHPUR: डीडीयू गोरखपुर यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स खाना बनाने के चक्कर में सैकड़ों यूनिट बिजली बर्बाद कर रहे हैं। इससे यूनिवर्सिटी को हर माह लाखों रुपए की चपत लग रही थी। यूनिवर्सिटी प्रशासन को इस मामले की भनक लग चुकी है और उन्होंने अब इसकी भरपाई हॉस्टलर्स से करने का फैसला किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी की बिजली इस्तेमाल कर हीटर पर भोजन बना रहे हैं, जिससे यूनिवर्सिटी में हर माह लाखों रुपए का बिल पहुंच रहा है।
80 परसेंट यूज करते हैं हीटर
पिछले कई साल से डीडीयूजीयू के संतकबीर हॉस्टल, गौतम बुद्ध रिसर्च हॉस्टल, विवेकानंद लॉ हास्टल और एनसी हॉस्टल में एक हजार से ज्यादा हॉस्टलर्स रहते हैं। सोर्सेज की मानें तो इनमें से करीब 80 परसेंट हॉस्टलर्स हीटर पर भोजन पकाते हैं। एक हजार से 1500 वाट एलीमेंट वाले हीटर का इस्तेमाल करते हैं। इसके कारण यूनिवर्सिटी को करीब 1.5 लाख रुपए एक्स्ट्रा बिल चुकाना पड़ रहा है।
पहले वार्निग फिर एक्शन
यूनिवर्सिटी प्रशासन की मानें तो ब्वॉयज हॉस्टल में चीफ प्रॉक्टर के दिशा निर्देश में वार्डेन और सुप्रीटेंडेंट अब औचक छापेमारी करेंगे। इस दौरान वह हीटर जलाने वाले हॉस्टलर्स की गोपनीय रिपोर्ट बनाएंगे। इसकी रिपोर्ट वह यूनिवर्सिटी प्रशासन को सौंपेंगे। रिपोर्ट में स्टूडेंट्स का नाम, क्लास और रूम नंबर मेंशन होगा। पहली बार चेकिंग के दौरान वह हॉस्टलर को वार्निग देकर छोड़ देंगे, लेकिन दोबारा पकड़े जाने पर उनकी रिपोर्ट यूनिवर्सिटी को की जाएगी।
नहीं तो होगी कार्रवाई
वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन की तरफ से एमसीबी कनेक्शन लगाए जाने की तैयारी की जा रही है। इससे ओवरलोड होते ही लोड शेडिंग हो जाएगी। इसके साथ ही एक जगह कॉमन रूम बनाएं जाएंगे, जहां स्टूडेंट्स अपने मोबाइल के साथ ही चार्जेबल टेबल लैंप भी चार्ज कर सकेंगे। उधर सभी ब्वॉयज हॉस्टल के वार्डेन और सुप्रिटेंडेंट को इसपर रोक लगाने के लिए निर्देशित किया जा चुका है। ऐसा न करने की कंडीशन में वार्डेन और सुप्रिटेंडेंट के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
हॉस्टल में हीटर के इस्तेमाल की लगातार शिकायत आ रही थी, इसलिए वार्डेन और सुप्रिटेंडेंट को इन पर नजर रखने के साथ ही इनके विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
प्रो। अशोक कुमार, वीसी, डीडीयूजीयू