- डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स की वार्षिक परीक्षा में नहीं शामिल हुए परीक्षार्थी
- छात्रों द्वारा वार्षिक परीक्षा छोड़े जाना डिपार्टमेंट में है जबरदस्त चर्चा का विषय
GORAKHPUR: डीडीयूजीयू के डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज डिपार्टमेंट में चल रहे डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स से स्टूडेंट्स का मोह भंग हो गया है। क्योंकि डिपार्टमेंट में डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित न तो कोई एक्यूपमेंट्स है और ना ही टीचर्स। यही रीजन है कि सेशन 2014-15 में पढ़ाई करने वाले डिजास्टर मैनेजमेंट के स्टूडेंट्स ने किसी तरह सेशन पूरा लिया, लेकिन परीक्षा में केवल 27 ही परीक्षार्थी शामिल हुए। बाकी के 23 स्टूडेंट्स ने परीक्षा ही छोड़ दी। वहीं छात्रों द्वारा परीक्षा छोड़ देना डिपार्टमेंट में चर्चा का विषय बना हुआ है।
हर साल गोरखपुर जिले के बहुत बड़े एरिए में बाढ़ आती है। इसके अलावा आपदा से संबंधित स्टडीज के लिए कोई सेंटर भी नहीं था। इसी के मद्देनजर 2004-05 में डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स स्टार्ट किया गया। करीब पांच साल चले इस कोर्स के सही ढ़ंग से संचालन न होने से बंद हो गया। इस कोर्स का संचालन 2011 में फिर से सेल्फ फाइनेंस के तहत शुरू किया गया। जिसमें डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट और पीजी डिप्लोमा इन योगा शामिल रहा।
लेकिन हैरानी इस बात की है कि डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट कोर्स में स्टूडेंट्स की अभिरुचि ही नहीं है। इसके पीछे मेन वजह यह है कि डिपार्टमेंट में न तो पढ़ाने के टीचर्स हैं और ना ही इनके प्रैक्टिकल्स के लिए कोई एक्यूपमेंट्स। यही रीजन है कि 22 से 29 जून के बीच सम्पन्न हुए वार्षिक परीक्षा में 50 स्टूडेंट्स में 27 स्टूडेंट्स ही परीक्षा में बैठे। बाकी के 23 स्टूडेंट्स ने परीक्षा ही छोड़ दी। स्टूडेंट्स की माने तो संसाधन के अभाव में स्टूडेंट्स ने परीक्षा छोड़ी है। क्योंकि उन्हें इस कोर्स को करने के बाद उज्ज्वल भविष्य नजर नहीं आ रहा है।
डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए स्टूडेंट्स के लिए प्रोजेक्ट वर्क बेहद महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए वह बाढ़ ग्रस्त एरिया में जाकर इस पर वर्क करते हैं। इसकी रिपोर्ट सबमिट करते हैं। लेकिन उन्हें प्रापर गाइड करने वाला एक्सपर्ट न होने से स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट भी कंप्लीट नहीं हो पाते हैं। जो स्टूडेंट्स प्रोजेक्ट पर काम करते हैं वह अपने घर के आसपास के एरिया की रिपोर्ट तैयार कर खानापूर्ति करते हैं। क्योंकि 100 नंबर प्रोजेक्ट और प्रैक्टिकल पर मार्क्स मिलती है।
डिजास्टर मैनेजमेंट की वार्षिक परीक्षा में कुल 27 बच्चों ने ही परीक्षा दी। बाकी बच्चों ने परीक्षा छोड़ दी थी। रहा सवाल एक्यूपमेंट्स का तो वह नहीं है और ना ही टीचर है। किसी तरह बस कोर्स का संचालन किया जा रहा है।
प्रो। एपी शुक्ला, हेड, डिफेंस एंड स्ट्रैटेजिक स्टडीज डिपार्टमेंट